IIT कानपुर में दिव्यांग व्यक्तियों के लिए कार्यक्रम, पैरा तैराक शम्स आलम ने साझा किए विचार

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 15-01-2025
Program for differently abled persons at IIT Kanpur, Para swimmer Shams Alam shares his thoughts
Program for differently abled persons at IIT Kanpur, Para swimmer Shams Alam shares his thoughts

 

आवाज द वाॅयस/नई दिल्ली

बदकिस्मती से शरीर का कोई अंग काम करना बंद कर दे तो इसका अर्थ यह कतई नहीं कि उसकी जिंदगी खत्म हो गई या जीवन का उत्साह समाप्त हो गया. बल्कि कई लोग तो अपनी इस कमजोरी पर विजय पा कर दूसरों के लिए प्रेरणा बने हुए हैं. यह साबित किया है बिहार के अंतरराष्ट्रीय पैरा तैराक शम्स आलम ने.

अपनी खेल कला से देश-विदेश में तमगा तो बटोर ही रहे हैं, दूसरों का हौंसला बढ़ाने के लिए लगातार सक्रिया रहते हैं. इस क्रम में उन्होंने आईआईटी कानपुर  के छात्रों का उत्साह बढ़ाया.

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर में दिव्यांग व्यक्तियों के लिए प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित वार्षिक कार्यक्रम धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया गया.इस आयोजन में अंतरराष्ट्रीय पैरा तैराक शम्स आलम ने भाग लिया और अपने प्रेरणादायक विचारों से उपस्थित सभी को प्रेरित किया.

बाद मेंशम्स आलम ने कार्यक्रम के दौरान आईआईटी कानपुर के निदेशक, रजिस्ट्रार, कर्मचारियों और छात्रों से मिलने का अनुभव साझा किया.उन्होंने कहा कि यह अवसर उनके लिए बहुत प्रेरणादायक था.शम्स आलम ने संस्थान में दिव्यांग व्यक्तियों के लिए किए गए समावेशी प्रयासों, सुलभ बुनियादी ढाँचे, शैक्षिक सामग्री और सुविधाओं की सराहना की.उन्होंने कहा, "यहाँ के हरे-भरे परिसर और खेल सुविधाओं ने मुझ पर गहरी छाप छोड़ी."

उन्हें संस्थान के पीएचडी छात्रों से मिलने का अवसर मिला, जो सहायक उपकरणों पर शोध कर रहे हैं और दिव्यांग व्यक्तियों के लिए नए उपाय विकसित कर रहे हैं.शम्स आलम ने संस्थान के छात्रों और कर्मचारियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा, "यहाँ जो गर्मजोशी और आतिथ्य मुझे मिला, वह मेरे लिए अविस्मरणीय रहेगा."

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आईआईटी कानपुर की समावेशी पहल

कार्यक्रम की शुरुआत आईआईटी कानपुर के निदेशक के उद्घाटन भाषण से हुई, जिसमें उन्होंने संस्थान की समावेशी समाज की दिशा में प्रतिबद्धता और प्रयासों को उजागर किया.इसके बाद आईआईटी कानपुर के रजिस्ट्रार ने दिव्यांग छात्रों के लिए उपलब्ध विभिन्न सुविधाओं और संस्थान के समावेशी दृष्टिकोण पर बात की.

कार्यक्रम का एक अहम हिस्सा हेल्प द ब्लाइंड फाउंडेशन (एचटीबीएफ), चेन्नई की पहल था, जिसके तहत योग्य दृष्टिबाधित छात्रों को 25,000 रुपये की छात्रवृत्ति प्रदान की गई.यह छात्रवृत्ति दिव्यांग छात्रों को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करेगी.

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सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ और समापन

कार्यक्रम में सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ भी दी गईं, जिनमें संगीत, कविता और अन्य कलात्मक प्रदर्शन शामिल थे.इन प्रस्तुतियों में आईआईटी कानपुर के छात्रों और कर्मचारियों की प्रतिभा का शानदार प्रदर्शन किया गया.

कार्यक्रम का समापन प्रो. अनुभा गोयल के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिन्होंने इस सफल आयोजन के लिए सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया.

कार्यक्रम में आईआईटी कानपुर के प्रमुख सदस्यों जैसे प्रो. सिद्धार्थ पांडा, डॉ. आशुतोष मोदी और सीडीएपी के अन्य सदस्य भी उपस्थित थे, जिनकी उपस्थिति ने इस आयोजन की सफलता में चार चाँद लगा दिए

समारोह का महत्व और आईआईटी कानपुर की प्रतिबद्धता

आईआईटी कानपुर का यह वार्षिक कार्यक्रम दिव्यांग व्यक्तियों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर था, जिसमें संस्थान ने शिक्षा और समाज में समावेशिता के महत्व को और भी मजबूती से प्रस्तुत किया.

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शम्स आलम का अनुभव और विचार इस आयोजन को और भी प्रेरणादायक बना गए.यह कार्यक्रम न केवल संस्थान के समावेशी दृष्टिकोण को उजागर करता है, बल्कि यह दिव्यांग व्यक्तियों को सम्मान देने और उनकी क्षमताओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी था.