MANUU में राष्ट्रीय संगोष्ठी : ‘इतिहासलेखन और मुस्लिम इतिहासकार’

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 04-10-2024
MANUU में राष्ट्रीय संगोष्ठी : ‘इतिहासलेखन और मुस्लिम इतिहासकार’
MANUU में राष्ट्रीय संगोष्ठी : ‘इतिहासलेखन और मुस्लिम इतिहासकार’

 

हैदराबाद

मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय (MANUU) का इस्लामिक अध्ययन विभाग "इतिहासलेखन और मुस्लिम इतिहासकार: एक भारतीय परिप्रेक्ष्य" विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन कर रहा है.  उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता MANUU के प्रभारी कुलपति प्रो. फ़ज़लुर रहमान ने की और दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के प्रो. फ़रहत हसन ने मुख्य भाषण दिया.

 MANUU के रजिस्ट्रार प्रो. इश्तियाक अहमद ने भी सभा को संबोधित किया.प्रो. फ़रहत हसन ने मुगल काल के महत्वपूर्ण योगदानों पर प्रकाश डालते हुए कहा, "सभी विकासों में सबसे महत्वपूर्ण साक्षरता का विस्तार और प्रचार था."

उन्होंने कहा कि मुगलों द्वारा फारसी और संस्कृत दोनों भाषाओं को समान रूप से बढ़ावा देने के ऐतिहासिक साक्ष्य हैं. इतिहासकार मन्नान आसिफ के काम का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि कैसे फारसी साहित्य, जैसे कि "तारीख-ए-फरिश्ता" और "आइन-ए-अकबरी" ने भारत को सहिष्णुता, बहुसंस्कृतिवाद और समावेशिता के स्थान के रूप में दर्शाया.

प्रो. फरहत हसन ने दो पुस्तकों का विमोचन भी किया, जो प्रो. फहीम अख्तर नदवी द्वारा संपादित हाल के सेमिनारों की कार्यवाही हैं.प्रो. इश्तियाक अहमद ने विभाग को सेमिनार के पेपर प्रकाशित करने के लिए प्रोत्साहित किया, जिसमें व्यापक शैक्षणिक दर्शकों के साथ अंतर्दृष्टि और निष्कर्षों को साझा करने के महत्व पर प्रकाश डाला गया.

सहायक प्रोफेसर डॉ. मोहम्मद सेराजुद्दीन ने धन्यवाद ज्ञापन दिया और संकाय सदस्य डॉ. आतिफ इमरान ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की.प्रतिष्ठित शिक्षाविद - प्रो. दीपक कुमार, प्रो. निशात मंजर और प्रो. एसएम अजीजुद्दीन हुसैन 4 अक्टूबर, 2024 को आयोजित होने वाले समापन सत्र में संबोधित करेंगे.