आवाज द वाॅयस /नई दिल्ली
जामिया मिलिया इस्लामिया (जेएमआई) के मल्टीडिसिप्लिनरी सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च एंड स्टडीज (एमसीएआरएस) में कार्यरत सहायक प्रोफेसर डॉ. तनवीर अहमद और उनकी पीएचडी छात्रा मिस निशा चौधरी को उनके अभिनव आविष्कार के लिए पेटेंट संख्या 556810 प्रदान किया गया है.
यह पेटेंट, जो 24 दिसंबर, 2024 को प्रदान किया गया, उनके अनूठे आविष्कार "जीनोमिक मार्कर और डिजिटल पैथोलॉजी इमेज-आधारित ओरल मैलिग्नेंट डिसऑर्डर की भविष्यवाणी के लिए प्रणाली और विधि" को मान्यता देता है.
डॉ. अहमद और उनकी टीम ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और डिजिटल पैथोलॉजी का उपयोग करते हुए एक उन्नत प्रणाली विकसित की है, जो मौखिक कैंसर के निदान और उसकी भविष्यवाणी को सटीक और किफायती बनाती है.
यह प्रणाली ऊतक छवियों का अध्ययन करके यह निर्धारित करती है कि वे मौखिक उपश्लेष्मा फाइब्रोसिस (OSMF), मौखिक ल्यूकोप्लाकिया (OLL), मौखिक लाइकेन प्लेनस (OLP), या मौखिक स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (OSCC) से संबंधित हैं या नहीं.
OSCC निदान में क्रांतिकारी बदलाव
यह प्रणाली एआई तकनीक की मदद से यह भी बताती है कि कैंसर किस स्तर का है - अच्छी तरह से विभेदित, मध्यम रूप से विभेदित या खराब रूप से विभेदित. इसके अलावा, यह OSMF और OLL/OLP के OSCC में बदलने की संभावना का भी आकलन करती है, जिससे डॉक्टरों को रोगियों के लिए बेहतर उपचार योजना बनाने में मदद मिलती है.
उपलब्धियों की श्रृंखला
इस शोध टीम ने हाल ही में नेचर पब्लिशिंग ग्रुप के प्रतिष्ठित उच्च प्रभाव कारक (9.8) जर्नल साइंटिफिक डेटा में अपना शोध प्रकाशित किया है. इस पेपर में "ओरल सबम्यूकोस फाइब्रोसिस और स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा के निदान के लिए उच्च-रिज़ॉल्यूशन एआई इमेज डेटासेट" पर प्रकाश डाला गया है, जो शोधकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन प्रदान करता है.
यह उपलब्धि डॉ. अखिलानंद चौरसिया, डॉ. अर्पिता राय, डॉ. दीपिका मिश्रा, और डॉ. चारबेल दारिदो सहित कई प्रतिष्ठित सहयोगियों के साथ साझेदारी का परिणाम है.
भविष्य पर प्रभाव
यह आविष्कार पारंपरिक तरीकों की तुलना में अधिक सटीक और किफायती निदान प्रदान करके मौखिक कैंसर के उपचार को नए आयाम देने के लिए तैयार है. साथ ही, इसने चिकित्सा क्षेत्र में एक नई राह खोलते हुए, मौखिक कैंसर के निदान और इलाज के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव की उम्मीदें बढ़ा दी हैं.