शारीरिक कमजोरी को ताकत में बदलते इरफान भट्ट: कश्मीर से मशहूर क्रिकेट कमेंटेटर

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 28-08-2024
Irfan Bhatt: Famous disabled cricket commentator from Kashmir
Irfan Bhatt: Famous disabled cricket commentator from Kashmir

 

ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली  
 
ऊपर वाला भी उनकी मदद करता जो खुद की मदद करते हैं. इस कथन को सत्य साबित कर रहे हैं श्रीनगर के बाहरी इलाके बलहामा के निवासी, इरफान अली भट्ट जो पुलवामा और शोपियां जिलों में लाइव क्रिकेट कमेंट्री करने के लिए प्रसिद्ध हैं. इरफ़ान अब तक 600 से 650 मैचों में क्रिकेट में कमेंट्री की है. 
 
 
32 वर्षीय इरफ़ान ने आवाज द वॉयस को बताया कि 1994 में उन्हें पोलियो का अटेक हुआ और उनकी बायीं तंग डिसफंक्शनल हो गई. इसके बाद समय के साथ चलने में उन्हें असमर्थता होने लगी और वे एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने के लिए बैसाखी पर निर्भर हो गए. लेकिन इसके बावजूद इरफ़ान ने हार नहीं मानी वे अपने माँ-बाप पर बोझ नहीं बनना चाहते थे बल्कि वो उस सफलता की तलाश में थे जिससे वे खुद तो आत्मनिर्भर बने ही साथ ही अपने माता-पिता का भी सहारा बनें.
 
 
इरफ़ान एक बेहतरीन वक्ता हैं, जो क्रिकेट की बारीकियों से अच्छी तरह वाकिफ हैं. वह अपने मजेदार किस्सों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं. वह ऑनलाइन भी काफी प्रशंसक बनाने में सफल रहे. पिछले तीन सालों में इरफ़ान ने अपनी कमजोरी को ताकत में बदल दिया है. वे कहते हैं "मैं शारीरिक रूप से भले ही कमजोर हूं, लेकिन मुझे क्रिकेट बहुत पसंद है और मैं अपनी कमेंट्री के जरिए इसका लुत्फ उठाता हूं.
 
विशेष रूप से सक्षम (Specially-abled) स्थानीय क्रिकेट कमेंटेटर इरफ़ान भट ने आज वो सफलता हासिल हुई और आज इरफ़ान ने वो प्रसिद्धि और पहचान हासिल कर ली है. वे कई अन्य राज्यों में जाकर भी क्रिकेट कमेंट्री कर चुके हैं. आज के समय में उनके फेसबुक पर 90 हजार फॉलोवर्स हैं और लगातार उनके चाहने वाले सोशल मीडिया पर उनका उत्साह वर्धन करते रहते हैं और चाहते हैं कि इरफ़ान राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी क्रिकेट कमेंट्री करें.
 
 
इरफ़ान ने आवाज द वॉयस को बताया कि कमेंट्री के साथ मेरा सफर जून 2021 में शुरू हुआ. मैंने स्थानीय क्रिकेट टूर्नामेंट में कमेंट्री करना शुरू किया. मुझे कभी उम्मीद नहीं थी कि मैं एक अच्छा कमेंटेटर बन जाऊंगा; यह मेरे लिए अचानक से आया. मैंने अपने कौशल को विकसित करने के लिए कड़ी मेहनत की और अब मैं पहचाना जाने लगा हूं और जाना जाता हूं. मैंने क्रिकेट, स्थापित कमेंटेटरों के बारे में ज्ञान इकट्ठा किया है, कमेंट्री कौशल हासिल किया है और फिर इन सभी गुणों का उपयोग करके खुद को एक संपूर्ण पैकेज में बदल लिया है. मेरी आवाज अच्छी है और मुझे अब तक जो प्रतिक्रिया मिली है, वह शानदार रही है.
 
 
इरफ़ान ने आवाज को बताया कि वे 3 से 4 साल की उम्र में ही अपनी चलने की शक्ति खो चुके थे और 80 प्रतीशत डिसएबिलिटी के शिकार हो गए थे. उनके पिता एक सरकारी कर्मचारी हैं वहीँ उनकी माता होम मेकर हैं. अपनी शैक्षिक योग्यता के बारे में इरफ़ान ने बताया कि उन्होनें दसवीं की पढ़ाई के बाद उच्च शोक्षा लाल चौक जाकर प्राप्त की वहीँ कश्मीर विश्विद्यालय से उन्हेओनीन 2015 में बीएड और 2018 में एमए पूरी की.
 
इरफान ने आवाज को बताया कि अब उन्हें कमेंट्री टीमों में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया जा रहा है और उन्होंने कहा कि वह क्रिकेट प्रसारकों को यह कहते हुए सुनकर रोमांचित हैं, "इरफान, कृपया आएं और हमारी कमेंट्री टीम में शामिल हों." मेरा लक्ष्य अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कमेंटेटर बनना है.
 
ऐसे में उनका एक मात्र फोकस अपने करियर और रोजगार पर होने लगा कि बड़े होकर वे क्या करेंगे ? उनका मकसद सरकारी नौकरी का था लेकिन दुर्भाग्यवश उन्हें वो नसीब नहीं हुई. लेकिन कहते हैं न कि ऊपर वाला जो करता है वो अच्छे के लिए ही होता है. 17 जून 2021 को वो दिन आया जब पहली बार इरफ़ान ने अपनी बुलंद आवाज और शानदार आवाज के साथ क्रिकेट कमेंट्री एक लोकल प्लेग्राउण्ड में की जहां सभी उनसे काफी प्रभावित हुए.
 
और इसी खास मोके पर उनकी काबीलीयत के लिए उन्हें गोहर अमन जोकि एक भाषा ट्रेनर हैं, ने 1000 रुपए भी दिए. यहां से इरफ़ान को उनके रोजगार की भी एक किरण नजर आयी और वे क्रिकेट कमेंट्री को अपना पेशा बनाने में प्यूरी तरह से जुट गए.
 
जिसके लिए उन्होनें अपनी आवाज पर काम किया साथ ही क्रिकेट कमेंट्री के बारी में पूर्ण ज्ञान हासिल किया. इरफ़ान ने आवाज द वॉयस  को बताया कि  वैसे तो उन्होनें इसके लिए कोई खास कोर्स नहीं किया लेकिन इससे संबंधीत कोई भी छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी चीज़ उन्होनें अपने जहन में उतार ली और आज वो एक सफल क्रिकेट कमेंटेटर हैं जो कश्मीरियों का नाम रोशन कर रहे हैं. 
 
 
 
मेरा एक ही संदेश है - हार मत मानो; अपने सपनों का पीछा करो, ईश्वर हर कदम पर तुम्हारे साथ है. हम सभी किसी न किसी तरह से प्रतिभाशाली हैं, हमें इसे पहचानना होगा और इसे एक ऐसे कौशल में बदलना होगा जिसकी सभी प्रशंसा करें." उन्होंने कहा, "हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अपने कम्फर्ट जोन से बाहर आना होगा. कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता; कोई भी कौशल या काम सीखो, उसे प्यार और समर्पण के साथ करो, इससे तुम्हें उचित पुरस्कार मिलेगा. यह मेरा विचार है. मुझे कमेंट्री करना पसंद है, मैंने एक कमेंटेटर के रूप में अपने कौशल को जुनून के साथ विकसित किया है और ऐसा करना जारी रख रहा हूं, और अब मुझे जो पहचान मिल रही है, उसे देख रहा हूं."  
 
 
इरफान ने कहा कि "मैं या कोई भी व्यक्ति शारीरिक रूप से विकलांग हो सकता है, लेकिन हम दिव्यांगों ने एक ऐसा हुनर ​​हासिल किया है, जिसके जरिए हम जीविकोपार्जन करना चाहते हैं और उस हुनर ​​को जुनून के साथ अपनाना चाहते हैं. दूसरी बात यह है कि मैं या कोई भी व्यक्ति शारीरिक रूप से विकलांग माना जाएगा और समाज के लिए किसी काम का नहीं होगा."
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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"मैंने खुद को कभी कमजोर या दिव्यांग या कुछ भी करने में असमर्थ नहीं माना. मुझे हमेशा समाज में योगदान देने, नाम और शोहरत दोनों हासिल करने की इच्छा रही है. मैं चाहता हूं कि लोग मुझे दिव्यांग व्यक्ति के रूप में न पहचानें, बल्कि एक प्रतिष्ठित कमेंटेटर के रूप में पहचानें. समय बीतने के साथ, मुझे न केवल कश्मीर में, बल्कि अखिल भारतीय स्तर पर भी पहचान मिली है."
 
 
इरफ़ान एक दिव्यांग कम्युनिटी का भी प्रतिनिधित्व करते हैं. वे कहते हैं कि दिव्यांगता कोई ऐसी बाधा नहीं जो हमे आगे बढ़ने से रोक सके और किसी भी क्षेत्र में हम लोग कामयाबी हासिल कर सकते हैं. मेने व्हीलचेयर क्रिकेट में भी अपनी कमेंट्री की है और इसके लिए मुझे खुद दिल्ली दिव्यांग क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ऑफ़ इंडिया की सीईओ ग़ज़ल खान ने न्योता दिया था. जहां मेने सूरत में 51 डिग्री सेल्सियस में धुप में बैठकर क्रिकेट कमेंट्री की. वहीँ मेने 3 दिनों में 300 क्रिकेट कमेंट्री वहां गुजरात की लोकल पाटिल मैच में भी की. दिल्ली के द्वारका में भी मेने 42 डिग्री सेल्सियस के अंदर क्रिकेट कमेंट्री की.
 
कश्मीर में वे एक क्रिकेट कमेंट्री का लोकल चार्ज 2000 रुपए लेते और बाकी मैच की कमेंट्री वे उसके फॉर्मेट के अनुसार उसकी फीस निर्धरित करते हैं. 
 
इरफ़ान ने कहा, "मेरा पहला और एकमात्र प्यार कमेंट्री रहा है. मैं किसी और चीज की ओर नहीं देखता." उन्होंने कहा कि उनका सपना एक अंतरराष्ट्रीय मैच में भारत के लिए कमेंट्री करना है. उन्होंने कहा, "मैं भारत और विदेश में भारतीय टीम के साथ यात्रा करना चाहता हूं और कमेंट्री करना चाहता हूं." इरफ़ान चाहते हैं कि उनका भी नाम पीएम मोदी अपने भाषणों में लें और आत्मनिर्भर भारत के प्रतीक के रूप में इरफ़ान जाने जाए. 
 
 
अपने पसंदीदा कमेंटेटर के बारे में इरफ़ान ने कहा, "मैंने सभी तरह के कमेंटेटरों को सुना है, चाहे वह उर्दू में हो, हिंदी में हो या अंग्रेजी में. उनमें से हर एक में एक गुण, एक कौशल है, लेकिन मेरे पसंदीदा कमेंटेटर रवि शास्त्री हैं. वह बिल्कुल शानदार हैं. मुझे संजय मांजरेकर भी पसंद हैं, आकाश चोपड़ा और सिद्धू सर भी, जो मुझे खास तौर पर मजेदार लगते हैं. संजय बनर्जी भी हैं, जो रेडियो कमेंट्री करते हैं, हालांकि इन दिनों रेडियो कमेंट्री बहुत कम लोकप्रिय है. ये मेरे कुछ पसंदीदा हैं." भावनाओं को अंतर्दृष्टि के साथ संतुलित करते हुए, इरफ़ान भट जैसे कमेंटेटर एक नाजुक रेखा पर चलते हैं. सोशल मीडिया और ऑनलाइन दर्शकों की संख्या के इन दिनों में आधुनिक संचार उपकरणों से लैस, वे पुराने की यादों को नए की मांग वाली तीक्ष्णता के साथ मिलाते हैं. फिर भी, इन सबके दिल में, उनका और दूसरों का बेलगाम जुनून है जो सबसे अलग है.  
 
 
इरफ़ान चाहते हैं कि जब भी भारत खेल रहा हो, तो लोगों की जुबान पर इरफान अली भट का नाम होना चाहिए. मैं इरफान पठान, आकाश चोपड़ा, रवि शास्त्री, नवजोत सिद्धू आदि जैसे पूर्व टेस्ट खिलाड़ियों से कमेंटेटर बने लोगों की तरह बनना और उनके साथ दिखना चाहता हूं. मैं राष्ट्रीय स्तर पर उस मंच, उस स्थान पर होना चाहता हूं." इरफ़ान भारत की क्रिकेट टीम को सर्व करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं.   
 
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