आवाज द वाॅयस /नई दिल्ली
इराक दूतावास के नवनियुक्त सांस्कृतिक अताशे, डॉ. फिरास सबा सालेह, ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के कुलसचिव प्रो. मोहम्मद महताब आलम रिजवी से मुलाकात की. इस बैठक का उद्देश्य भारत और इराक के बीच शैक्षिक और सांस्कृतिक सहयोग को और अधिक मजबूत बनाना था. इस अवसर पर इराक के निवर्तमान सांस्कृतिक अताशे, डॉ. अम्मार अब्दुलहमद खादर, भी उपस्थित थे..
जामिया मिल्लिया इस्लामिया की विदेशी छात्र सलाहकार, प्रो. साइमा सईद, ने इराकी प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया. उन्होंने बताया कि इराक से आने वाले छात्रों के लिए जामिया हमेशा से "घर से दूर घर" की भावना को प्रोत्साहित करता रहा है.
कुलसचिव प्रो. रिजवी ने इस अवसर पर इराकी दूतावास को शुभकामनाएं दीं. जामिया की ओर से दोनों देशों के बीच शैक्षिक और सांस्कृतिक संबंधों को और गहरा करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया इराक के छात्रों के लिए उच्च अध्ययन का एक प्रमुख केंद्र है, जो विश्वविद्यालय के अनुकूल वातावरण और सुविधाओं के कारण इसे पसंद करते हैं.
प्रो. रिजवी ने यह भी बताया कि विश्वविद्यालय ऐसे छात्रों के लिए "इंग्लिश फॉर एकेडमिक पर्पजेस" (ईएपी) नामक अल्पकालिक कोर्स उपलब्ध कराता है, जो गैर-अंग्रेजी भाषी देशों से आते हैं। यह कोर्स उनके लेखन और विश्लेषणात्मक कौशल को बढ़ावा देने में मदद करता है और उनकी शैक्षणिक यात्रा को सुगम बनाता है..
जामिया मिल्लिया इस्लामिया वर्तमान में इराक से आए छात्रों के लिए अध्ययन का एक पसंदीदा स्थल बना हुआ है. यहां इराकी छात्र इंजीनियरिंग, कंप्यूटर साइंस, जीवन विज्ञान में पीएचडी और वास्तुकला एवं विज्ञान संकायों में स्नातकोत्तर कार्यक्रमों में नामांकित हैं.
यह बैठक दोनों देशों के बीच शैक्षिक संबंधों को प्रगाढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी.