हैदराबाद
मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय (MANUU) में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन “बेहतर दुनिया के लिए सतत विकास लक्ष्य: लोक प्रशासन की भूमिका” का उद्घाटन किया गया. विश्वभारती केंद्रीय विश्वविद्यालय, कोलकाता के पूर्व कुलपति प्रो. बिद्युत चक्रवर्ती इस सत्र के मुख्य अतिथि और मुख्य वक्ता थे. सम्मेलन का आयोजन लोक प्रशासन विभाग द्वारा किया जा रहा है.
लोक प्रशासन के प्रसिद्ध विद्वान प्रो. बिद्युत चक्रवर्ती ने सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण की भारतीय परंपरा को फिर से जीवंत करने की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा कि मानवता को सभी सतत विकास प्रयासों का केंद्र बिंदु होना चाहिए. स्थिरता और मानवता का मौलिक संबंध है और यह पश्चिम की नकल करने से कहीं आगे की बात है. उन्होंने कहा कि जन कल्याण, भाईचारे और बंधुत्व के बिना सतत विकास अर्थहीन है.
उत्तर प्रदेश सरकार के जीएसटी के डिप्टी कमिश्नर अहमद यासर मुख्य अतिथि थे। प्रशासन के व्यावहारिक पहलुओं पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि किसी अवधारणा को सिद्धांतबद्ध करना और उसी अवधारणा को लागू करना दो अलग-अलग बातें हैं. दोनों के बीच समन्वय होना जरूरी है, ताकि सार्थक परिणाम प्राप्त किए जा सकें. इसके लिए अकादमिक और प्रशासनिक एजेंसियों को आपसी सहयोग से काम करने की जरूरत है.
अपने अध्यक्षीय भाषण में ओएसडी-1 प्रो. शगुफ्ता शाहीन ने बताया कि सतत विकास लक्ष्यों को तभी सफलतापूर्वक हासिल किया जा सकता है, जब उनके व्यावहारिक पहलुओं को ध्यान में रखा जाए. ऐसा ही एक महत्वपूर्ण व्यावहारिक पहलू प्रशासनिक पहलू है और कई नीतियों की सफलता प्रशासनिक प्रक्रियाओं पर निर्भर करती है.
स्कूल ऑफ आर्ट्स एंड सोशल साइंसेज की डीन प्रो. शाहिदा ने विभिन्न हितधारकों के बीच सहयोग और समन्वय की जरूरत पर जोर दिया.सम्मेलन के संयोजक और विभागाध्यक्ष प्रो. सैयद नजीउल्लाह ने सम्मेलन के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि सतत विकास की चिंता वास्तविक और वैश्विक है, जिसमें अकादमिक जगत की बड़ी भूमिका है.
लोक प्रशासन विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. जुनैद खान ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा. कार्यक्रम का संचालन सह-संयोजक एवं सहायक प्रोफेसर, लोक प्रशासन विभाग, एमएएनयूयू ने किया.