आवाज द वाॅयस /हैदराबाद
मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय (मानू) के अरबी विभाग ने अखिल भारतीय नहजुल बलाग़ा सोसाइटी के सहयोग से 28 नवंबर को सी.पी.डी.यू.एम.टी. सभागार में नहजुल बलाग़ा पर एक भव्य अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया.इस सम्मेलन में विद्वानों और प्रबुद्धजनों ने नहजुल बलाग़ा की शिक्षाओं और उनके सांस्कृतिक महत्व पर गहन चर्चा की..
कार्यक्रम का उद्घाटन मानू के कुलपति प्रो. सैयद ऐनुल हसन ने किया. अपने अध्यक्षीय भाषण में उन्होंने नहजुल बलाग़ा की शिक्षाओं की प्रासंगिकता और उनके द्वारा समाज में शांति और समृद्धि के प्रसार पर बल दिया। मुख्य अतिथि के रूप में ईरान से आए अयातुल्ला महदी महदवीपुर ने समकालीन समय में नहजुल बलाग़ा के आध्यात्मिक और बौद्धिक महत्व को रेखांकित किया.
अरबी विभाग के प्रमुख प्रो. सैयद अलीम अशरफ ने स्वागत भाषण में सम्मेलन के उद्देश्यों और इसके महत्व पर प्रकाश डाला.इस अवसर पर नहजुल बलाग़ा के उर्दू और अंग्रेजी अनुवाद के साथ-साथ शिक्षाओं पर आधारित दो अन्य पुस्तकों का विमोचन भी किया गया.
शैक्षणिक सत्र और विद्वानों का योगदान
सम्मेलन में दो शैक्षणिक सत्र आयोजित किए गए.पहले सत्र में कुवैत के प्रो. हसन कमाल, मौलाना मुजाहिद हुसैन और इंजीनियर मुस्तफा जी. अब्बास जैसे प्रख्यात वक्ताओं ने नहजुल बलाग़ा की शिक्षाओं पर अपने विचार साझा किए.
दूसरे सत्र में कुम, ईरान के डॉ. अली ज़ियाई और अन्य विद्वानों ने गहन व्याख्यान प्रस्तुत किए, जो शिक्षाप्रद और प्रेरणादायक थे.डॉ. हैदर रज़ा ज़बेट ने धन्यवाद प्रस्ताव रखते हुए सम्मेलन को सफल बनाने के लिए सभी का आभार प्रकट किया। कार्यक्रम का संचालन सी.पी.डी.यू.एम.टी. के निदेशक प्रो. एम.ए. समी सिद्दीकी ने किया.
उत्साहजनक उपस्थिति और बौद्धिक ऊर्जा
सम्मेलन में विश्वविद्यालय के संकाय सदस्यों, विद्वानों और छात्रों की बड़ी संख्या में भागीदारी देखने को मिली. यह आयोजन न केवल मानू की बौद्धिक जीवंतता को दर्शाता है, बल्कि इसके सांस्कृतिक और शैक्षणिक योगदान को भी उजागर करता है.