हरियाणा: मेवात के सालिम याहया लंदन स्टॉक एक्सचेंज में बने फाइनेंशियल एनालिस्ट

Story by  यूनुस अल्वी | Published by  [email protected] | Date 03-07-2023
हरियाणा: मेवात के सालिम याहया लंदन स्टॉक एक्सचेंज बने में फाइनेंशियल एनालिस्ट
हरियाणा: मेवात के सालिम याहया लंदन स्टॉक एक्सचेंज बने में फाइनेंशियल एनालिस्ट

 

यूनुस अल्वी/  नूंह ( मेवात/ हरियाणा)

अब सालिम याहया ने हरियाणा के सबसे पिछड़े इलाके मेवात को लेकर सोच बदलने की कोशिश की है. वह लंदन स्टॉक एक्सचेंज में फाइनेंशियल एनालिस्ट नियुक्त किए गए हैं. लंदन स्टॉक एक्सचेंज में नौकरी पाने वाले सालिम याहया पहले मेवाती हैं.

सालिम याहया की इस कामयाबी से परिवार, रिश्तेदार और मेवात खुश है. परिवार वालों को बधाइयां मिल रही हैं.सालिम याहया ने रमैया मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट बेंगलुरू से मैनेजमेंट में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है. उसके बाद लंदन स्टॉक एक्सचेंज के लिए कॉलेज से प्लेसमेंट हो गई. 
 
उनके पिता मोहम्मद याहया ने बताया की सालिम ने दसवीं तक मेवात की राजधानी कहे जाने वाले नूंह के मारिया मंजिल स्कूल और बारहवीं की पढ़ाई मेवात मॉडल स्कूल से की है. उसके बाद मंगलोर से मेकेनिकल में बी. टेक  किया.
 
फिर वह 2021 में बेंगलुरु के मैनेजमेंट कॉलेज रमैय्या इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के पीजीडीएम में दाखिला लेने में कामयाब रहे. कॉलेज से ही लंदन स्टॉक एक्सचेंज में नौकरी पाई है.  सालिम याहया ने बताया कि लंदन स्टॉक एक्सचेंज में इंटरव्यू के लिए कॉलेज ने 50 बच्चों को सेलेक्ट किया था.
 
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चौथे दौर का इंटरव्यू  पार करने में सिर्फ तीन लड़कों ने कामयाबी हासिल की, जिसमें एक वह थे. अब वह नौकरी पाकर बेहद खुश हैं. उनका कहना है कि स्टॉक एक्सचेंज में अपनी लगन और मेहनत के बूते उच्च पद पर हासिल करना चाहते हैं. 
 
सालिम का कहना है कि अभी उन्हें 9 लाख 50 हजार के सालाना पैकेज पर रखा गया है. जल्दी ही पैकेज में खासी बढ़ोतरी का आश्वासन मिला है.सालिम का कहना है कि मेवात के बच्चों में टैलेंट की कमी नहीं. बस अच्छे एक्सपोजर की जरूरत है. उन्होंने बताया कि अब मेवात के बच्चांे को आईएएस और आईपीएस बनकर इलाके का नाम रौशन करना चाहिए, ताकि पिछड़े और अनपढ़ लोगों के इलाके का टैग हट सके.
 
उन्होंने युवाओं से आहवान किया कि उड़ान हौंसलों से होती है. हम जितना बड़ा सपना देखेंगे, उड़ान उतनी ऊंची होगी. आपको अपनी काबिलियत पर भरोसा होना चाहिए, तभी मनचाही कामयाबी मिलेगी. सालिम का कहना है कि मेरी सफलता के पीछे मेरे पिता और माता का सबसे बड़ा हाथ है जिन्होंने हर मौके पर उनका साथ दिया. हौसला बढ़ाया. बेंगलुरू में पढ़ाई के दौरान भी उन्होंने अकेला नहीं छोड़ा.
 
उनकी तीन बहनें भी बेंगलुरु में उच्च शिक्षा हासिल कर रही हैं. पिता मोहम्मद याहया एक बड़ी कंपनी में बतौर कंसलटेंट काम करते हैं.