ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली
उत्तर प्रदेश के संभल जिला मुख्यालय से 7-8 किलोमीटर दूर रुकउद्दीन सराय की संकीर्ण गलियों में 'हलीम' पकाने वाले का बेटा मोहम्मद कासिम अब जज की कुर्सी संभालेगा. कुछ साल पहले उत्तर प्रदेश के संभल में 29 साल के मोहम्मद कासिम अपने पिता के ठेले पर गंदी प्लेटें धोते थे. कासिम ने अब प्रांतीय सिविल सेवा (न्यायिक) परीक्षा में 135वीं रैंक हासिल की है. अब एडवोकेट मो. कासिम ‘न्यायाधीश मो. कासिम’ में तब्दील हो जायेंगे.
साहस के साथ संघर्षों का सामना
कासिम का अतीत संघर्षों और कठिनाइयों से भरा. कासिम समेत 8 भाई-बहन एक पुराने घर में पले-बढ़े हैं, जिसकी छत एक रात ढह गई थी लेकिन अल्लाह के शुक्र के कारण वे 3 भाई और 5 बहन, माता-पिता समेत बाल-बाल बचे थें.
कासिम के बुजुर्ग अब्बू रोज सुबह 3 बजे से हलीम बनाना शुरू कर देते हैं. पूरा परिवार उनके साथ इसी काम में लगता है, तब जाकर परिवार का गुजारा हो पाता है.
आर्थिक रूप से वंचित समुदाय का हिस्सा होने और एक मेहनती विक्रेता का बेटा होने के कारण, कासिम को अपने पिता के काम में मदद करनी पड़ी और अपनी प्राथमिक शिक्षा के वर्षों के दौरान अपने पिता के स्टाल पर बर्तन धोने पड़े. इन विकट चुनौतियों के बावजूद, कासिम के सपने कभी नहीं रुके.
सरकारी स्कूल में कासिम दसवीं कक्षा में एक बार असफल हुए, उन्होंने अपने गाँव में और बाद में वारसी जूनियर हाई स्कूल में अपनी स्कूली शिक्षा जारी रखी. इसके बाद उच्च शिक्षा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से ली. जहां उन्होंने कानून की पढ़ाई की और फिर दिल्ली विश्वविद्यालय गए.
दिल्ली में रहने की जगह नहीं थी, तो कब्रिस्तान के पास झोपड़ी बनाकर रहें. जहां उन्होंने 2019 में एलएलएम परीक्षा में अखिल भारतीय रैंक 1 हासिल की. बाद में उन्होंने 2021 में यूजीसी नेट के लिए अर्हता प्राप्त की.
1994 में कासिम के अब्बू दिल्ली से वापस संभल आ गए. संभल में कासिम के इलाके की आबादी तकरीबन 10 हजार से अधिक है, जो एक विशेष समुदाय की है. अधिकांश लोग दिहाड़ी मजदूर हैं. पढ़े-लिखे भी बहुत कम हैं.
कई बार ऐसा हुआ कि फर्जी मामले में इलाके के लोगों को जान-बूझकर फंसाया गया. लेकिन इन असहाय लोगों के लिए कोर्ट ही एक अंतिम सहारा होता है. इसीलिए कासिम ने वकालत की राह चुनी.
फेरीवाले से न्याय भवन तक
कासिम का सड़क किनारे सामान बेचने वाले से जज तक का सफर उसकी कड़ी मेहनत, प्रतिबद्धता और उसकी क्षमता में उसके परिवार के अटूट विश्वास का प्रमाण है. कासिम की उपलब्धि पर उनके परिवार के सदस्यों और समुदाय के सदस्यों में खुशी की लहर है.
कासिम की अभी पुलिस वेरिफिकेशन और ट्रेनिंग बाकी है लेकिन मेहनत ने आखिरकार उन्हें जज बना ही दिया. कासिम की यात्रा चुनितयों से शुरू होकर सफलता पर खत्म हुई जो अब युवाओं के लिए प्रेरणा है.
कड़ी मेहनत और दृढ़ता हमेशा फल देती है, और सफलता के लिए कोई शॉर्टकट नहीं होता है. कासिम की सफलता समाज के लिए संदेश है कि शिक्षा के माध्यम से हम जीवन में बदलाव ला सकते हैं.
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग प्रांतीय सिविल सेवा (यूपीपीएससी पीसीएस) सिविल जज जूनियर डिवीजन परीक्षा 2022, जिसे न्यायिक सेवा परीक्षा भी कहा जाता है, के परिणाम 30 अगस्त को जारी किए गए.