शैक्षिक विकास के लिए मर्कज़ी तालीमी बोर्ड का वित्त मंत्री को महत्वपूर्ण सुझाव

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 22-01-2025
Central Educational Board's important suggestion to Finance Minister for educational development
Central Educational Board's important suggestion to Finance Minister for educational development

 

नई दिल्ली

मर्कज़ी तालीमी बोर्ड के अध्यक्ष प्रोफेसर इंजीनियर मोहम्मद सलीम ने भारत की वित्त मंत्री को आगामी केंद्रीय बजट 2025-26 के लिए सुझाव रूप में एक विस्तृत पत्र सौंपा है. ये सुझाव विशेष रूप से अल्पसंख्यकों और पिछड़े वर्गों के शैक्षिक मानकों में सुधार के साथ-साथ उनके सामाजिक और शैक्षिक विकास पर केंद्रित हैं.

 प्रोफेसर सलीम ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत का शिक्षा पर वर्तमान व्यय सकल घरेलू उत्पाद का केवल 2.9% है जो वैश्विक मानकों से काफी नीचे है. इसके प्रकाश में उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की सिफारिशों के अनुरूप शिक्षा बजट को सकल घरेलू उत्पाद के 6% तक बढ़ाने का प्रस्ताव रखा.

उन्होंने शिक्षा के निजीकरण को रोकने तथा शिक्षा प्रत्येक नागरिक के लिए सुलभ बनाने की आवश्यकता पर बल दिया.प्रोफेसर सलीम ने उच्च शिक्षा जैसे - आईआईएम, आईआईटी, एनआईटी और मेडिकल कॉलेजों आदि प्रतिष्ठित संस्थानों की फीस में कमी का सुझाव दिया.

इससे उच्च गुणवत्ता वाले संस्थान अधिक संख्या में छात्रों के लिए सुलभ हो जाएंगे। उन्होंने छात्रवृत्तियों की संख्या और राशि दोनों बढ़ाने की सिफारिश की तथा उच्च शिक्षा संस्थानों में बुनियादी ढांचे, प्रयोगशालाओं, पुस्तकालयों और डिजिटल पुस्तकालयों के लिए अधिक धनराशि आवंटित करने का आग्रह किया.इसके अतिरिक्त, उन्होंने अनुसंधान और फेलोशिप अनुदान में पर्याप्त वृद्धि के महत्व पर बल दिया.

 इसके अतिरिक्त उन्होंने केंद्र सरकार के तहत अल्पसंख्यक समुदायों, अनुसूचित जातियों (एससी), अनुसूचित जनजातियों (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) और उपेक्षत वर्गों के लिए योग्यता आधारित छात्रवृत्ति योजनाओं के विस्तार की आवश्यकता को रेखांकित किया.

प्रोफेसर सलीम ने अल्पसंख्यक बहुल इलाक़ों में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) बुनियादी ढांचे को मजबूत करने का भी प्रस्ताव रखा तथा वंचित समुदायों के लिए शिक्षा तक बेहतर पहुंच सुनिश्चित करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों की संख्या बढ़ाने का आह्वान किया.

उन्होंने पारंपरिक शिल्प और कौशल जैसे भदोही में कालीन बुनाई, मुरादाबाद में धातुकर्म, और बीदर में बिदरी के कामों को विकसित करने के लिए अनुसंधान और शिक्षा के लिए समर्पित विश्वविद्यालयों की स्थापना के साथ-साथ इन क्षेत्रों में कौशल-आधारित डिप्लोमा और स्नातक पाठ्यक्रम शुरू करने की सिफारिश की.

 प्रोफेसर सलीम ने अल्पसंख्यकों और उपेक्षत समुदायों के लिए स्कूल प्रबंधन समितियों की प्रभावशीलता बढ़ाने की आवश्यकता पर भी बल दिया. उन्होंने छात्रों और शिक्षकों की शैक्षिक और भावनात्मक दोनों आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अल्पसंख्यक इलाक़ों में विशेष शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने और परामर्श केन्द्रों की स्थापना की वकालत की.