आवाज द वाॅयस /हैदराबाद
मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय (MANUU) ने औपचारिक रूप से उर्दू भाषा में उच्च शिक्षा के लिए पाठ्यपुस्तकें विकसित करने का काम शुरू कर दिया. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की पहल भारतीय भाषा समिति (BBS) ने MANUU को यह कार्य सौंपा है.
विश्वविद्यालय पाठ्यपुस्तकें विकसित करने के लिए अकादमिक लेखन पर लेखकों के लिए दो दिवसीय कार्यशाला आयोजित कर रहा है. उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए हैदराबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.जे. राव ने उर्दू को ज्ञान की भाषा के रूप में बढ़ावा देने में MANUU द्वारा किए जा रहे महत्वपूर्ण योगदान की सराहना की.
उर्दू को एक मधुर भाषा बताते हुए उन्होंने MANUU द्वारा किए गए मानव संसाधन विकास कार्यक्रमों और AICTE से इंजीनियरिंग पाठ्यपुस्तकों के अनुवाद की लोकप्रियता और सफलता की ओर इशारा किया. MANUU के कुलपति और BBS (उर्दू) के नोडल अधिकारी प्रो. सैयद ऐनुल हसन ने अपने अध्यक्षीय भाषण में लेखकों को छात्रों को आकर्षित करने के लिए सीधा दृष्टिकोण अपनाने की सलाह दी.
उस्मानिया विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. सुलेमान सिद्दीकी, जिन्होंने MANUU के पहले रजिस्ट्रार के रूप में भी काम किया, ने अपने संबोधन में विश्वविद्यालय के प्रारंभिक चरणों के दौरान उर्दू में शैक्षणिक सामग्री तैयार करने के लिए किए गए प्रयोगों और विचार-विमर्श के बारे में बताया.
उन्होंने उर्दू, अंग्रेजी और संबंधित विषय को जानने वाले लेखकों का एक समूह तैयार करने का सुझाव दिया. प्रो. इम्तियाज हसनैन (भाषा विज्ञान विभाग, एएमयू) ने अपने संबोधन में बताया कि यूजीसी ने नई शिक्षा नीति 2020 के कारण यह पहल की है.
एनईपी मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करने पर जोर देती है। उन्होंने टिप्पणी की कि एनईपी ने भारतीय समाज की बहुभाषावाद को औपचारिक रूप से मान्यता दी है. इससे पहले, अनुवाद निदेशालय, अनुवाद अध्ययन, कोशरचना और प्रकाशन (डीटीटीएलपी) के निदेशक प्रो. एमकेएम जफर, जो बीबीएस उर्दू के समन्वयक भी हैं, ने मेहमानों का स्वागत किया और कार्यशाला के बारे में बताया.
उन्होंने भारतीय भाषाओं में पाठ्यपुस्तकें तैयार करने की पहल को उर्दू माध्यम के छात्रों के लिए वरदान बताया. इस अवसर पर विश्वविद्यालय की पत्रिका अल-कलाम का एक विशेष अंक भी जारी किया गया. डॉ. मोहम्मद मुस्तफा अली सरवरी, पीआरओ और एसोसिएट प्रोफेसर एमसीजे जो पत्रिका के संपादक भी हैं, ने विशेष अंक के बारे में बात की.उद्घाटन के दौरान डीटीटीएलपी की गतिविधियों और उपलब्धियों के बारे में एक लघु वीडियो फिल्म भी दिखाई गई.
बाद में, प्रो. बी.जे. राव ने सेंटर फॉर डेक्कन स्टडीज में स्थित डीटीटीएलपी में बीबीएस उर्दू के कार्यालय का उद्घाटन किया. कार्यशाला में भारत के विभिन्न हिस्सों से लगभग 60 लेखक भाग ले रहे हैं.