‘बजरंगी भाईजान’ की मुन्नी के अब्बा मीर सरवर बोले, फिल्म में छोटा रोल भी फूंक सकता है जान

Story by  शाहताज बेगम खान | Published by  [email protected] | Date 13-09-2022
छोटा रोल भी फिल्म में जान फूंक सकता हैः मीर सरवर
छोटा रोल भी फिल्म में जान फूंक सकता हैः मीर सरवर

 

शहताज खान / पुणे

‘बजरंगी भाईजान’ फिल्म में मुन्नी के अब्बा के रोल ने मीर सरवर को बॉलीवुड में पहचान दी. हालांकि रोल बहुत छोटा था, लेकिन एक बड़े बैनर की बड़ी फिल्म ने बॉलीवुड में उनके लिए रास्ता खोल दिया.

केसरी, ढिशुम, जॉली एलएलबी, हामिद और ऐसी ही बहुत सी फिल्मों ने मीर सरवर को अपनी कला और सलाहियतों को पर्दे पर प्रस्तुत करने के अवसर प्रदान किए. सिल्वर स्क्रीन पर अपनी कला का प्रदर्शन करने से पहले वह मॉडलिंग की दुनिया में कई वर्षों तक काम करने का अनुभव प्राप्त कर चुके थे.

कश्मीर की वादियों में पले बढ़े मीर सरवर मार्शल आर्ट्स और किक बॉक्सिंग में भी महारत रखते हैं. मीर सरवर से आवाज-द वॉयस ने बात की हैः

प्रश्नः फिल्मी दुनिया में कदम रखने का विचार मन में कब आया?

उत्तरः मैं तो एक स्पोर्ट्समैन था. मार्शल आर्ट्स की वजह से घूमने का मौका मिला. फिटनेस अच्छी थी और लुक भी, तो दिल्ली में मॉडलिंग शुरू की. हर इंसान जिंदगी में कुछ खास और बेहतर की तलाश में रहता है.

मैं जब कश्मीर से बाहर निकला, तो कई काम किए. मॉडलिंग के साथ ही थियेटर करना भी शुरू किया. 2001-2002 में पहला थिएटर ‘जुलियस सीजर के आखरी सात दिन’ किया. और फिर एक वक्त वो भी आया कि सोचा मुम्बई जाकर किस्मत आजमाई जाए. इस तरह बॉलीवुड में अभिनय की दुनिया में कदम रखा.

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प्रश्नः बॉलीवुड फिल्मों में आप को किस तरह के रोल निभाने का मौका मिला?

उत्तरः मैंने अधिकतर मुस्लिम किरदार निभाए हैं. कम ही सही, लेकिन दूसरे किरदार निभाने का मौका भी मिला है. यह फिल्म इंडस्ट्री है, यहां दिखना जरूरी है. मुझे फिल्म इंडस्ट्री में दाखिल होना था.

काम की अहमियत थी, रोल की नहीं. काम मिलेगा, तभी तो एक कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन कर सकेगा. मेरे पास चॉइस नहीं थी. मुझे फिल्म इंडस्ट्री में सर्वाइव करना था, जिंदा रहना था, इसलिए मैंने काम किया.

प्रश्नः क्या एक ही तरह के किरदार निभाने का कोई नुकसान उठाना पड़ा ?

उत्तरः रोल मिलना महत्वपूर्ण है. अगर आपने अपना रोल सही तरह से निभाया होगा, तभी अगली बार आप को फिल्म में जगह मिलेगी. यह किसी भी कलाकार की जिम्मेदारी है कि वो अपने अभिनय से दर्शकों पर अपनी छाप छोड़ने की कोशिश करे.

कभी छोटा सा रोल और छोटा सा सीन भी फिल्म और कलाकार दोनों को कामयाब बना सकता है . मैं मानता हूं कि अगर हमें फिल्म में कास्ट किया गया है, तो अपना बेस्ट दूं और प्रोड्यूसर डायरेक्टर की अपेक्षा से भी बेहतर काम कर सकूं.

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प्रश्नः आजकल आप किन फिल्मों की शूटिंग में व्यस्त हैं?

उत्तरः हाल ही में एक शार्ट फिल्म ‘अजान’ की शूटिंग पूरी हुई है. ‘गदर-2’ की भी तैयारी चल रही है. इस फिल्म में मैं एक आर्मी ऑफिसर का रोल निभा रहा हूं. ‘मिशन मजनू’ में साइंटिस्ट के किरदार में नजर आऊंगा. सोनी लाइव के लिए ‘तनाव’ भी तैयार है. ओटीटभ्  प्लेटफार्म के लिए भी कई सीरीज की शूटिंग जारी है.

प्रश्नः एक्टिंग के अलावा आप की मसरूफियात क्या हैं?

उत्तरः एक्टिंग के अलावा फिल्म मेकिंग का भी शौक है. प्रोड्यूसर डायरेक्टर की हैसियत से भी कई प्रोजेक्ट किए हैं. ‘लक्ष्मी बॉम’ रिलीज हो चुकी है. ‘बेड नम्बर-17’ भी रिलीज के लिए तैयार है. कुछ वेब सीरीज भी जल्द ही दर्शकों के सामने होंगी. इसके अलावा स्क्रिप्ट लिखता हूं और शायरी भी करता हूं. खास तौर पर उर्दू में गजलें लिखता हूं.

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प्रश्नः कश्मीर से अपने जुड़ाव को किस तरह देखते हैं?

उत्तरः मेरा ख्वाब है कि कश्मीर में फिल्म इंडस्ट्री खड़ी हो. यहां के कलाकारों को बेहतर काम करने के अवसर मिलें. फिल्में यहां बनती हैं, शूटिंग होती है, लेकिन रोजगार के जितने अवसर मिलना चाहिए, उनका अभाव है. यहां इंडस्ट्री कायम नहीं हो पाई है.

बहुत कम लोग ऐसे हैं, जो कश्मीर में पैसा लगाकर फिल्म इंडस्ट्री को खड़ा करना चहते हैं. जब प्रोड्यूसर और फाइनेंसर यहां आएंगे, तब सब चीजें आसान हो जाएंगी. लेकिन अभी हम खुद अपना पैसा लगा कर फिल्में बना रहे हैं.

ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम है, लेकिन कोशिश जारी है. मैं अपनी कम्युनिटी और सोसायटी के लिए कुछ करना चाहता हूं. मैं मानता हूं कि जमीन से जुड़े रहो. जो कुछ सीखा है खुद तक मेहदूद मत रखो, बल्कि दूसरों को भी सिखाओ. मालूम नहीं कौन आप से प्रेरणा लेकर अपना सफर शूरू करे. सोसायटी से जो कुछ मिला है, उसे वापस करना भी तो हमारी जिम्मेदारी है.