यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा की नई तारीखों का ऐलान

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 25-07-2024
Yogi Adityanath
Yogi Adityanath

 

लखनऊ. उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड द्वारा आरक्षी नागरिक पुलिस के 60,244 पदों पर सीधी भर्ती लिखित परीक्षा की नई तिथियों का ऐलान हो गया है. यह परीक्षा 23, 24, 25 अगस्त एवं 30, 31 अगस्त 2024 को आयोजित करने का निर्णय लिया गया है.

विभाग द्वारा जारी सूचना के अनुसार, जन्माष्टमी त्योहार के कारण परीक्षा में अंतराल दिया गया है. प्रतिदिन दो पालियों में यह परीक्षा सम्पन्न होगी तथा प्रति पाली में लगभग पांच लाख अभ्यर्थी इस परीक्षा में सम्मिलित होंगे.

परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों को उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की निःशुल्क बस सेवा की सुविधा रहेगी. अभ्यर्थी अपनी सुविधानुसार इसका लाभ ले सकते है, जिसके लिए बस से यात्रा करने वाले अभ्यर्थियों को अपने प्रवेश पत्र की अतिरिक्त दो प्रतियों डाउनलोड करनी होगी तथा उसकी एक प्रति परीक्षा केन्द्र तक की यात्रा एवं दूसरी प्रति परीक्षा उपरान्त अपने जनपद तक की यात्रा के लिए बस कंडक्टर को प्रस्तुत करना होगा.

विभाग ने अपनी जानकारी में बताया कि यह परीक्षा पूर्व में निरस्त कर दी गयी थी. मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया था कि यह परीक्षा छह माह के अन्दर शुचिता एवं पारदर्शिता के उच्चतम मानकों को ध्यान में रखते हुए पुनः आयोजित करायी जाए. चयन प्रक्रिया को पारदर्शी एवं शुचितापूर्ण ढंग से कराये जाने के सम्बन्ध में परीक्षा सम्बन्धित विभिन्न व्यवस्थाओं यथा-परीक्षा की तैयारियों, परीक्षा केन्द्रों के चयन, परीक्षार्थियों का सत्यापन, छद्म निरूपण रोके जाने आदि हेतु विस्तृत दिशा निर्देश उत्तर प्रदेश शासन द्वारा दिनांक-19.06.2024 को जारी किए गये हैं. यह परीक्षा इन सभी मानकों के अनुसार की जा रही है.

उत्तर प्रदेश शासन द्वारा सार्वजनिक परीक्षाओं में अनुचित साधनों, जैसे प्रश्नपत्र लीक होना, उत्तर पुस्तिकाओं से छेड़छाड़ आदि को रोकने के लिए उप्र सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) अध्यादेश-2024 (उत्तर प्रदेश अध्यादेश संख्या-6, सन् 2024) 1 जुलाई, 2024 को अधिसूचित किया गया है. इस अधिनियम में प्रावधान किया गया है कि इस अधिनियम के अन्तर्गत परीक्षा में अनुचित साधनों का प्रयोग करना, नकल करना या नकल कराना, प्रश्न पत्र का प्रतिरूपण करना या प्रकट करना या प्रकट करने का षड्यंत्र करना आदि कृत्य अपराध की श्रेणी में आते हैं, जो इस अधिनियम के अन्तर्गत दण्डनीय है.

ऐसे प्रकरणों में एक करोड़ तक का जुर्माना और आजीवन कारावास तक की सजा, दोनों ही हो सकती है.

 

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