वाशिंगटन. विश्व उइगर कांग्रेस ने उइगर जबरन श्रम रोकथाम अधिनियम (यूएफएलपीए) के तहत अमेरिकी इकाई सूची में 37कंपनियों को शामिल किए जाने का स्वागत किया, जिससे चीन के स्वायत्त क्षेत्र में जबरन श्रम से जुड़े सामानों के आयात पर अंकुश लगाने के प्रयासों में तेजी आई.
एक्स पर एक पोस्ट में, विश्व उइगर कांग्रेस ने कहा कि इस कदम में सौर ऊर्जा, कपड़ा और खनन जैसे उद्योगों की प्रमुख कंपनियाँ शामिल हैं, जिनमें से कई पूर्वी तुर्किस्तान में उइगर और अन्य जातीय अल्पसंख्यक समूहों के शोषण से जुड़ी हैं.
नयी प्रतिबंधित कंपनियों में दुनिया की सबसे बड़ी कपड़ा निर्माता कंपनियों में से एक हुआफू फैशन कंपनी और उसकी 25सहायक कंपनियाँ शामिल हैं. इन कंपनियों को चीन के स्वायत्त क्षेत्र में कपास उद्योग से संबंधित जबरन श्रम प्रथाओं में फंसाया गया है. अमेरिका ने पहले भी चीनी अधिकारियों पर परिधान, सौर पैनल और इलेक्ट्रॉनिक्स सहित वस्तुओं के उत्पादन में जबरन श्रम का उपयोग करने का आरोप लगाया है, जिनमें से अधिकांश वैश्विक स्तर पर निर्यात किए जाते हैं.
वॉयस ऑफ अमेरिका के अनुसार, दिसंबर 2021में राष्ट्रपति जो बिडेन के तहत अधिनियमित यूएफएलपीए, जबरन श्रम से उत्पादित उत्पादों के आयात को रोकने का प्रयास करता है, जो मानवाधिकार संगठनों की रिपोर्टों और व्यापक दुर्व्यवहारों का दस्तावेजीकरण करने वाली स्वतंत्र जांच का सीधा जवाब है. अगस्त 2022में, संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञ तमोया ओबोकाटा ने क्षेत्र में उइगर और अन्य अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से कृषि और विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में जबरन श्रम के स्पष्ट सबूतों के अस्तित्व की पुष्टि की. अमेरिकी निर्णय चीनी कंपनियों को मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए जवाबदेह ठहराने में एक महत्वपूर्ण कदम है और उइगरों के साथ उसके व्यवहार को लेकर चीन पर बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव के अनुरूप है, जिसे अमेरिका ने नरसंहार बताया है.
यूएस एंटिटी लिस्ट का विस्तार करके, बिडेन प्रशासन का लक्ष्य उन उत्पादों के प्रवाह को रोकना है, जिनके बारे में माना जाता है कि वे जबरन श्रम से दूषित हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि अमेरिकी उपभोक्ता अपनी खरीद के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से मानवाधिकारों के हनन का समर्थन नहीं कर रहे हैं.