कैनबरा
स्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री जॉन हॉवर्ड ने स्वीकार किया है कि इराक युद्ध की वजह बने सामूहिक विनाश के हथियारों (WMD) के बारे में खुफिया जानकारी गलत थी.
शिन्हुआ समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, हॉवर्ड ने बुधवार को कहा कि यह निराशाजनक है कि इराक में सामूहिक विनाश के हथियारों का पता लगाने में खोज विफल रही, लेकिन उनका अब भी मानना है कि ऑस्ट्रेलिया को युद्ध में शामिल करने का फैसला राष्ट्रीय हित में था.
उनकी यह टिप्पणी ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रीय अभिलेखागार (एनएए) द्वारा 2004 के पहले से सील किए गए कैबिनेट दस्तावेजों के जारी किए जाने के साथ मेल खाती है.
प्रत्येक वर्ष, 1 जनवरी को, एनएए 20 साल पहले के कैबिनेट दस्तावेजों को सार्वजनिक रूप से जारी करता है.
2003 के दस्तावेज, जिन्हें कुछ दस्तावेजों के गायब होने के बाद मार्च 2024 में देरी से जारी किया गया था, ने खुलासा किया कि हॉवर्ड की सरकार ने जनवरी 2003 में इराक में सैनिकों की तैनाती को अधिकृत किया था, उस वर्ष मार्च में ऑस्ट्रेलिया को युद्ध में शामिल करने से महीनों पहले.
2004 की जांच में पाया गया कि ऑस्ट्रेलियाई खुफिया एजेंसियां इराक के WMD कार्यक्रमों की सीमा और प्रकृति का सही आकलन करने में विफल रहीं.
ऑस्ट्रेलियाई इतिहास में दूसरे सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहे हॉवर्ड ने बुधवार को कहा कि युद्ध में शामिल होने का निर्णय संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम की खुफिया जानकारी पर आधारित था.
बिना किसी संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव के बल प्रयोग को अधिकृत किए, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने मार्च 2003 में इराक पर आक्रमण शुरू किया, जिसमें आरोप लगाया गया कि मिशन "इराक को सामूहिक विनाश के हथियारों से मुक्त करना, सद्दाम हुसैन के आतंकवाद के समर्थन को समाप्त करना और इराकी लोगों को मुक्त करना" था, जो कि, हालांकि, या तो झूठा निकला या पूरा नहीं हुआ.