सूडान के मुस्लिम समूहों में जंग, 800 नागरिकों की मौत : संयुक्त राष्ट्र

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 21-12-2024
War between Muslim groups in Sudan kills 800 civilians: UN
War between Muslim groups in Sudan kills 800 civilians: UN

 

जिनेवा. पश्चिमी सूडान में उत्तरी दारफुर राज्य की राजधानी एल फशर में जारी घेराबंदी के कारण मई 2024 से अब तक कम से कम 782 लोग मारे गए और 1,143 से अधिक घायल हुए हैं. यह जानकारी संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (ओएचसीएचआर) ने दी.

जनरल अब्देल फत्ताह अल-बुरहान के नेतृत्व में सूडानी सेना और उनके पूर्व डिप्टी मोहम्मद हमदान डागालो के नेतृत्व में आरएसएफ 18 महीने से अधिक समय से संघर्ष में उलझे हुए हैं. इस युद्ध से एक गंभीर मानवीय संकट पैदा हो गया है, जिसमें 1 करोड़ 20 लाख से अधिक लोगों को घरों से विस्थापित कर दिया गया है और संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों को राहत पहुंचाने में संघर्ष करना पड़ा है.

रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष जून में लड़ाई काफी बढ़ गई थी और संघर्षरत पक्षों के बीच आवासीय क्षेत्रों में भीषण लड़ाई हुई. लोग गोलीबारी में फंस गए क्योंकि घरों का इस्तेमाल लड़ाई के लिए किया जाने लगा. साथ ही बाजारों पर हमला किया गया और लूटपाट की गई.

समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, कई नागरिकों ने अपने घरों, बाजारों, अस्पतालों के पास और सड़कों पर अपनी जान गंवा दी.

रिपोर्ट में कहा गया कि हजारों लोग शहर में फंसे हुए हैं, उन्हें सुरक्षित बाहर निकलने की कोई गारंटी नहीं है. साथ ही संघर्ष में शामिल सभी पक्षों द्वारा अंधाधुंध हमलों से और लोगों की मौत का खतरा बना हुआ है.

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर तुर्क ने भी शुक्रवार को जारी एक बयान में एल फशर की घेराबंदी को तत्काल समाप्त करने की अपील की.

तुर्क ने संघर्ष में शामिल सभी पक्षों से नागरिकों, नागरिक बुनियादी ढांचे पर हमले बंद करने, अंतरराष्ट्रीय कानूनी दायित्वों का पालन करने और संघर्ष बढ़ने से रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से तत्काल हस्तक्षेप करने की अपील की.

अंतरराष्ट्रीय संगठनों के नवीनतम अनुमानों के अनुसार, अप्रैल 2023 के मध्य से सूडान रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (आरएसएफ) और सूडानी सशस्त्र बलों (एसएएफ) के बीच खतरनाक संघर्ष की चपेट में है, जिसके कारण 28,700 से अधिक लोगों की मौत हो गई और 14 मिलियन से अधिक लोग सूडान के अंदर या बाहर विस्थापित होने को मजबूर हो गए.