वाशिंगटन. अमेरिकी खुफिया एजेंसियों का नेतृत्व करने के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा नामित पूर्व कांग्रेस सदस्य भारतीय-अमेरिकी तुलसी गबार्ड ने डेमोक्रेटिक सीनेटरों पर हिंदुओं के प्रति धार्मिक कट्टरता को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है. खुफिया मामलों पर सीनेट की चयन समिति के साथ अपनी पुष्टिकरण सुनवाई के दौरान, गबार्ड ने अपने हिंदू धर्म के कारण अपने साथ हुए भेदभाव के बारे में चिंता जताई.
गबार्ड ने अपने बयान में कहा, ‘‘डेमोक्रेट्स ने मुझ पर ट्रंप की कठपुतली, मोदी की कठपुतली, पुतिन की कठपुतली, असद की कठपुतली होने का आरोप लगाया है, लेकिन जो बात उन्हें सबसे ज्यादा परेशान करती है, वह यह है कि मैं उनकी कठपुतली बनने से इनकार करती हूँ.’’
उन्होंने अपनी धारणा साझा की कि उनके साथ होने वाला भेदभाव सिर्फ व्यक्तिगत नहीं है, बल्कि हिंदुओं और हिंदू धर्म के खिलाफ धार्मिक कट्टरता को बढ़ावा देने के व्यापक प्रयास का हिस्सा है. उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म के साथ उनकी व्यक्तिगत यात्रा के बारे में वास्तव में उत्सुक कोई भी व्यक्ति उनके सोशल मीडिया अकाउंट पर आ सकता है, जहाँ वह अपनी मान्यताओं के बारे में और अधिक जानकारी साझा करेंगी.
गबार्ड ने उन उदाहरणों को भी उजागर किया, जहाँ डेमोक्रेटिक सीनेटरों ने ट्रम्प के न्यायिक नामांकितों की धार्मिक मान्यताओं को निशाना बनाया था. उन्होंने विशेष रूप से एमी कोनी बैरेट और ब्रायन बुशर पर हमलों का हवाला दिया, और धार्मिक कट्टरता के रूप में ऐसी कार्रवाइयों की निंदा की. गबार्ड ने कहा, ‘‘मैंने उस समय कांग्रेस में एक डेमोक्रेट के रूप में उन कार्रवाइयों की निंदा की थी, क्योंकि धार्मिक कट्टरता की हम सभी को पूरी तरह से निंदा करनी चाहिए, चाहे वह किसी भी धर्म का हो.’’
अनुच्छेद 6 का संदर्भ देते हुए, जो सार्वजनिक पदधारियों के लिए धार्मिक परीक्षणों पर रोक लगाता है, उन्होंने टिप्पणी की, ‘‘दुर्भाग्य से, कुछ डेमोक्रेट सीनेटर हैं जो अभी भी धर्म की स्वतंत्रता के सिद्धांत और संविधान के अनुच्छेद 6 को नहीं समझते हैं. संयुक्त राज्य अमेरिका के तहत किसी भी कार्यालय या सार्वजनिक ट्रस्ट के लिए योग्यता के रूप में कभी भी धार्मिक परीक्षण की आवश्यकता नहीं होगी.’’
अमेरिकी खुफिया एजेंसियों का नेतृत्व करने के लिए गैबार्ड के नामांकन में महत्वपूर्ण बाधाएँ हैं. 2017 में सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद के साथ उनकी पिछली मुलाकात, साथ ही छै. व्हिसलब्लोअर एडवर्ड स्नोडेन को माफ करने के उनके समर्थन की कड़ी जाँच की गई है. यूक्रेन पर रूस के आक्रमण और विदेशी खुफिया निगरानी अधिनियम (थ्प्ै.) के कुछ पहलुओं को नवीनीकृत करने के विरोध पर उनके विचारों ने उनकी पुष्टि के बारे में संदेह को और बढ़ा दिया है.