सीरिया के युवाओं ने ‘बलूच नरसंहार दिवस’ पर बलूचों संग एकजुटता दिखाई

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 25-01-2025
Nadia Youssef
Nadia Youssef

 

बलूचिस्तान. बलूचिस्तान में लोगों ने 25 जनवरी को ‘बलूच नरसंहार दिवस’ के रूप में मनाया. वहीं उत्तर-पूर्व सीरिया के युवाओं ने एकजुटता व्यक्त की, इस दिन को बलूचिस्तान के तूतक में 2014 में 100 से अधिक क्षत-विक्षत शवों की खोज की दर्दनाक याद के रूप में पहचाना.

बलूचिस्तान पोस्ट के अनुसार, पीड़ितों को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों, अर्धसैनिक बलों और मौत के दस्ते के मिलिशिया द्वारा जबरन गायब कर दिया गया था. इस दुखद घटना ने बलूच लोगों की सामूहिक स्मृति पर एक अमिट निशान छोड़ दिया है, जिससे पूरे बलूचिस्तान में भारी दर्द और पीड़ा हुई है.

बलूचिस्तान पोस्ट ने रिपोर्ट किया कि तूतक में सामूहिक कब्रें बलूच आबादी द्वारा सामना किए जा रहे अत्याचारों और न्याय, पहचान और अस्तित्व के लिए चल रहे संघर्ष का प्रमाण हैं.

सोशल मीडिया पर साझा किए गए एक वीडियो संदेश में, सीरिया की डेमोक्रेटिक यूथ काउंसिल के प्रतिनिधियों, नादिया यूसुफ और नासिर नासेरो ने बलूच लोगों के प्रति अपना अटूट समर्थन व्यक्त किया. उन्होंने उत्पीड़न, उपनिवेशवाद और साम्राज्यवाद के खिलाफ बलूच और कुर्द दोनों लोगों के साझा संघर्षों पर जोर दिया.

नेताओं ने दोनों समुदायों के प्रतिरोध आंदोलनों के बीच गहरे संबंध को उजागर करते हुए कहा, ‘‘हमारा दर्द एक है.’’ उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि बलूच लोगों को अपनी पहचान, अस्तित्व और संस्कृति को संरक्षित करने का पूरा अधिकार है.

पाकिस्तान द्वारा किए गए अत्याचारों की निंदा करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘बलूचिस्तान के लोग इस्लामाबाद द्वारा उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं.’’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान बलूच भूमि का शोषण करना, उसके युवाओं का अपहरण करना और लोगों, विशेष रूप से बलूचिस्तान के युवाओं के खिलाफ विभिन्न अत्याचार करना जारी है.

बलूच लोगों को लंबे समय से पाकिस्तान के तहत व्यवस्थित मानवाधिकारों के हनन का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें जबरन गायब करना, न्यायेतर हत्याएं और सैन्य दमन शामिल हैं. स्वायत्तता और न्याय के लिए उनके आह्वान का जवाब हिंसा से मिला है, जिससे पीड़ा और उपेक्षा का चक्र जारी है. यह जारी संघर्ष उस गहन राजनीतिक और सांस्कृतिक दमन को उजागर करता है जो बलूच आबादी के बीच असंतोष और न्याय की मांग को बढ़ाता रहता है.