पाकिस्तान में पूरी तरह युद्ध के हालात, अंतरराष्ट्रीय समुदाय ध्यान दे: बलूच यकजेहती समिति

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 30-07-2024
situation of full-blown war in Pakistan, international community should pay attention: Baloch Yakjehti Committee
situation of full-blown war in Pakistan, international community should pay attention: Baloch Yakjehti Committee

 

ग्वादर, पाकिस्तान. बलूच राष्ट्रीय सभा के दौरान प्रदर्शनकारियों पर पाकिस्तानी सेना द्वारा गोलीबारी करने की रिपोर्ट के बाद, बलूच यकजेहती समिति ने ग्वादर में स्थिति को ‘बेहद तनावपूर्ण और खतरनाक’ करार दिया और कहा कि यह क्षेत्र पूरी तरह से घेरे में है.

बलूच यकजेहती समिति ने सोमवार को एक बयान में कहा, ‘‘ग्वादर में स्थिति बेहद तनावपूर्ण और खतरनाक है. हजारों सैन्य कर्मियों ने बलूच राष्ट्रीय सभा पर क्रूरतापूर्वक हमला किया है, निहत्थे प्रतिभागियों पर सीधे गोलीबारी की है, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए और घायल हुए हैं.’’

अधिकार समूह ने आरोप लगाया कि पाकिस्तानी सेना ने मरीन ड्राइव को सील कर दिया है और प्रदर्शनकारियों का अपहरण करके और उन्हें प्रताड़ित करके 6क्रूर कार्रवाई’ की है.

बीवाईसी ने कहा, ‘‘सेना ने मरीन ड्राइव को चारों तरफ से सील कर दिया है और प्रतिभागियों के खिलाफ क्रूर कार्रवाई शुरू कर दी है. वे एंबुलेंस को घायलों को लेने नहीं दे रहे हैं. सेना अवैध रूप से प्रतिभागियों का अपहरण कर रही है और उन्हें प्रताड़ित कर रही है. वे हमारे नेतृत्व को गिरफ्तार करने और नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं.’’

बीवाईसी के अनुसार, ‘‘यह निर्दोष और निहत्थे बलूच और पाकिस्तान की शक्तिशाली, क्रूर, बर्बर सेना के बीच पूरी तरह से युद्ध जैसी स्थिति है. ग्वादर पूरी तरह से घेराबंदी में हैय सड़कों पर दिखने वाले हर व्यक्ति को गिरफ्तार किया जा रहा है और घरों पर छापे मारे जा रहे हैं.’’

बलूच अधिकार समूह ने लोगों से ‘उत्पीड़क’ को सबक सिखाने और पूरे बलूचिस्तान में शटर-डाउन स्ट्राइक करने और सड़कें जाम करने का आग्रह किया. समूह ने कहा, ‘‘हम बलूचिस्तान के चारों ओर बलूच जनता से अनुरोध करते हैं कि वे उत्पीड़क को सबक सिखाएं, बलूच कभी भी आपकी क्रूरताओं से नहीं डरेंगे. बलूचिस्तान के हर कोने से लोगों से शटर-डाउन स्ट्राइक करने, सड़कें जाम करने और किसी भी संभव तरीके से इस उत्पीड़न का विरोध करने का आग्रह किया जाता है.’’

बीवाईसी ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय, संयुक्त राष्ट्र और एमनेस्टी इंटरनेशनल से बलूचिस्तान की स्थिति पर ध्यान देने का आह्वान किया. बलूच यकजेहती समिति ने कहा, ‘‘अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और बलूचिस्तान के लोगों के लिए, आप पाकिस्तानी औपनिवेशिक अधिकारियों द्वारा बलूच लोगों के खिलाफ सबसे गंभीर उल्लंघन देख रहे हैं. मूकदर्शक बने रहने से उत्पीड़कों को और अधिक दर्द देने और अधिक विनाश करने की ताकत मिलेगी. हम संयुक्त राष्ट्र और एमनेस्टी इंटरनेशनल से बलूचिस्तान में जो कुछ हो रहा है, उस पर ध्यान देने का आग्रह करते हैं.’’

इससे पहले दिन में, बलूच राष्ट्रीय सभा के दौरान ग्वादर में पाकिस्तानी सेना द्वारा शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर क्रूर कार्रवाई को दिखाने वाली कई रिपोर्टें सामने आईं. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि सुरक्षा बलों ने जानबूझकर प्रदर्शनकारियों को निशाना बनाते हुए अत्यधिक बल का प्रयोग किया. इस कृत्य को शांतिपूर्ण सभा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का गंभीर उल्लंघन माना जाता है, जो अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत संरक्षित मौलिक मानवाधिकार हैं.

बीवाईसी ने आरोप लगाया कि शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर ‘अंधाधुंध गोलीबारी’ की गई. इसमें कहा गया है, ‘‘ग्वादर से बेहद दुखद खबर आ रही है कि पाकिस्तान के सुरक्षा बलों ने एक बार फिर पाडी जेर ग्वादर में बलूच राष्ट्रीय सभा के शांतिपूर्ण धरने पर हमला किया है. शांतिपूर्ण प्रतिभागियों पर तीव्र और अंधाधुंध गोलीबारी की जा रही है, आंसू गैस के गोले छोड़े जा रहे हैं और कई प्रतिभागी गंभीर रूप से घायल हैं और उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है.’’ इससे पहले, अधिकार समूह ने आरोप लगाया था कि पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने बलूच राष्ट्रीय सभा से 12 महिलाओं और 50 से अधिक पुरुषों का अपहरण कर लिया.

ग्वादर बंदरगाह शहर के पास हजारों बलूच लोगों के एकत्र होने पर, बलूच कार्यकर्ता महरंग बलूच ने लोगों के साहस और बहादुरी को सलाम किया और कहा कि गिरफ्तार प्रतिभागियों की रिहाई तक धरना जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि जब तक सभी गिरफ्तार लोगों को रिहा नहीं किया जाता, तब तक विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा.

म्हरंग बलूच ने एक पोस्ट में कहा, ‘‘जब तक हमारे सभी काफिले सुरक्षित रूप से ग्वादर नहीं पहुंच जाते और हमारे सभी गिरफ्तार प्रतिभागियों की रिहाई नहीं हो जाती, तब तक धरना जारी रहेगा. इसके लिए हम हर तरह का दर्द सहने और बलिदान देने के लिए तैयार हैं.’’

बलूच समुदाय ने मानवाधिकारों के गंभीर हनन से बहुत पीड़ा झेली है. जबरन गायब होना एक गंभीर मुद्दा है, जहाँ व्यक्तियों को राज्य या संबंधित बलों द्वारा बिना किसी कानूनी आरोप के हिरासत में ले लिया जाता है, जिससे परिवार पीड़ादायक अनिश्चितता में रह जाते हैं और अक्सर पीड़ितों को क्रूर यातनाएँ सहनी पड़ती हैं. न्यायेतर हत्याएँ स्थिति को और खराब कर देती हैं, बिना किसी निष्पक्ष कानूनी कार्यवाही के कार्यकर्ताओं और आलोचकों को निशाना बनाया जाता है, व्यापक भय पैदा किया जाता है और असहमति को दबा दिया जाता है. हिरासत में यातना और दुर्व्यवहार व्यापक है, पीड़ितों को कबूलनामा निकालने या विरोध को दबाने के लिए शारीरिक और मनोवैज्ञानिक दुर्व्यवहार सहना पड़ता है. मनमाने ढंग से हिरासत में लेना भी आम बात है, जिससे जीवन बाधित होता है और भय का व्यापक माहौल बनता है. इसके अतिरिक्त, पत्रकारों और कार्यकर्ताओं के उत्पीड़न और सेंसरशिप सहित मुक्त भाषण का महत्वपूर्ण दमन होता है, जो सार्वजनिक बहस और जवाबदेही को दबाता है.

 

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