राय शाहनवाज / लाहौर
पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते और अधिक तनावपूर्ण हो गए हैं. भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया, वाघा-अटारी सीमा बंद कर दी और पाकिस्तान के नागरिकों को 48 घंटे के भीतर भारत छोड़ने का आदेश दे दिया.
इस बीच, भारत और पाकिस्तान के बीच पहले से ही सख्त वीज़ा नीति के बीच, अब केवल धार्मिक आयोजनों के लिए ही वीज़ा जारी किए जा रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि हर साल पाकिस्तान आने वाले सिख तीर्थयात्रियों पर इस हालिया तनाव का क्या असर होगा ?
हालांकि गुरुवार को पाकिस्तान की ओर से जब भारत के इन कदमों पर प्रतिक्रिया आई, तो पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने साफ कहा, “हम भारत के लिए वीज़ा सेवाएं निलंबित कर रहे हैं, लेकिन सिख तीर्थयात्रियों पर इसका कोई असर नहीं होगा.”
क्या है 'सिख कूटनीति'?
राजनीतिक विश्लेषक पाकिस्तान के इस रुख को ‘सिख कूटनीति’ का नाम दे रहे हैं. उनका मानना है कि पाकिस्तान इस नीति के माध्यम से सिख समुदाय के साथ अपने संबंध मजबूत करना चाहता है.
अंतरराष्ट्रीय संबंध विशेषज्ञ मोहम्मद मेहदी का कहना है, “भारत ने खुद को सिखों से दूर कर लिया है और वह इस हमले का कूटनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रहा है. लेकिन पाकिस्तान ने समझदारी दिखाई है और तीर्थयात्रियों को इस विवाद से दूर रखा है.”
भारत की चिंता: चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश के समीकरण
विशेषज्ञों के अनुसार भारत की चिंता सिर्फ आतंकवाद तक सीमित नहीं है, बल्कि वह क्षेत्रीय स्तर पर बदलते समीकरणों—खासकर चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच बढ़ते सामरिक संबंधों को लेकर भी चिंतित है.
मेहदी कहते हैं, “भारत के कई राज्यों में उग्रवाद का माहौल है और अब जो कुछ भी हो रहा है, उसे इस बड़े परिप्रेक्ष्य में देखना चाहिए.”
'भारत खुद को क्षेत्रीय महाशक्ति के रूप में स्थापित करना चाहता है'
प्रोफेसर डॉ. हसन असकरी के अनुसार, “भारत इस पूरे मसले का इस्तेमाल वैश्विक मंच पर दबाव बनाने के लिए करना चाहता है. लेकिन सिख तीर्थयात्रा वाला पहलू केवल एक छोटा हिस्सा है — असली मामला क्षेत्रीय शक्ति संतुलन का है.”
वह आगे कहते हैं, “यह ‘महान खेल’ बहुआयामी है. भारत खुद को क्षेत्र में एक अग्रणी शक्ति के रूप में प्रस्तुत करना चाहता है, और उसे लगता है कि पाकिस्तान इसमें बाधा बना हुआ है.”
सिख तीर्थयात्रियों में नाराज़गी
इस बीच, उर्दू न्यूज़ ने गुरुवार को वाघा सीमा पर अटके सिख तीर्थयात्रियों से बातचीत की. इनमें से कई तीर्थयात्रा के लिए पाकिस्तान नहीं जा सके और इस स्थिति को लेकर उन्होंने नाराज़गी जताई. अभी यह स्पष्ट नहीं है कि भारत अपने नागरिकों को पाकिस्तान जाने की अनुमति देगा या नहीं.
जहां भारत अपनी सुरक्षा प्राथमिकताओं को लेकर सख्त रुख अपना रहा है, वहीं पाकिस्तान ने सिख तीर्थयात्रियों को इस तनाव से अलग रखने का फैसला किया है. क्या इससे पाकिस्तान को कूटनीतिक लाभ मिलेगा? यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा, लेकिन फिलहाल 'सिख कूटनीति' के जरिए पाकिस्तान एक मुलायम ताकत (soft power) के रूप में खुद को पेश करने की कोशिश कर रहा है.