सरदार शौकत अली कश्मीरी ने पीओजेके में पाकिस्तानी शोषण की निंदा की, अंतर्राष्ट्रीय हस्तक्षेप की मांग

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 10-01-2025
Sardar Shaukat Ali Kashmiri
Sardar Shaukat Ali Kashmiri

 

मुजफ्फराबाद. यूनाइटेड कश्मीर पीपुल्स नेशनल पार्टी (यूकेपीएनपी) के अध्यक्ष सरदार शौकत अली कश्मीरी 1999 से ही पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर पीओजेके के लोगों के अधिकारों और उनकी आजादी के संघर्ष की वकालत करते रहे हैं. मिरर जम्मू और कश्मीर के साथ हाल ही में एक साक्षात्कार में, कश्मीरी ने पीओजेके में चल रही स्थिति, पाकिस्तान की राजनीतिक और आर्थिक चुनौतियों और क्षेत्र के आसपास की अंतर्राष्ट्रीय गतिशीलता पर अपने दृष्टिकोण साझा किए.

कश्मीरी ने कश्मीर संघर्ष के कारण क्षेत्र पर पड़ने वाले भारी नुकसान पर विचार किया, जिसमें 1990 के दशक के अंत में पाकिस्तान द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन टुपैक के कारण कश्मीर में 150,000 से 200,000 लोगों की दुखद मौत का हवाला दिया गया. इन बलिदानों के बावजूद, कश्मीरी ने इस बात पर जोर दिया कि इस क्षेत्र का राजनीतिक भविष्य अनिश्चित बना हुआ है, जिसमें निरंतर अस्थिरता और अनसुलझे क्षेत्रीय विवाद हैं.

उन्होंने इस बारे में महत्वपूर्ण प्रश्न उठाए कि क्या पाकिस्तान कश्मीर की वर्तमान आर्थिक और राजनीतिक स्थितियों को देखते हुए वहां सैन्य कारनामे जारी रख सकता है. उन्होंने पीओजेके की अनिश्चित स्थिति की ओर भी इशारा किया, जहां लोगों को भयंकर गरीबी और सीमित विकास का सामना करना पड़ रहा है.

कश्मीरी के अनुसार, यह क्षेत्र राजनीतिक शोषण का एक प्रजनन स्थल बन गया है, जहां कई स्थानीय नेता लोगों की जरूरतों की उपेक्षा करते हुए व्यक्तिगत लाभ के लिए अपनी शक्ति का उपयोग कर रहे हैं. उन्होंने आजाद कश्मीर की स्थिति को आतंकवाद के लिए ष्बेस कैंपष् के रूप में वर्णित किया, जहां स्वतंत्रता के संघर्ष को स्थानीय और बाहरी दोनों शक्तियों द्वारा हेरफेर किया गया है.

कश्मीरी द्वारा उजागर किए गए सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक पाकिस्तान की राजनीतिक स्थिरता में गिरावट थी. उन्होंने कहा कि देश की राजनीतिक व्यवस्था अव्यवस्थित है, जिसमें खंडित राजनीतिक दल और सेना निर्णय लेने पर महत्वपूर्ण नियंत्रण रखती है.

कश्मीरी ने तर्क दिया कि पाकिस्तान की नागरिक सरकारों के पास सार्थक निर्णय लेने की शक्ति का अभाव है, जबकि सैन्य नेतृत्व राष्ट्रीय मामलों पर अंतिम अधिकार रखता है. उन्होंने पाकिस्तान के आर्थिक संघर्ष की भी आलोचना की, और कहा कि देश मुद्रास्फीति और आर्थिक अस्थिरता का सामना कर रहा है, लेकिन इसके राजनीतिक नेता अधूरे वादे कर रहे हैं.

अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर, कश्मीरी ने ब्रिक्स जैसे संगठनों की उभरती भूमिका पर चर्चा की, जिसमें अब इंडोनेशिया जैसे देश भी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि ब्रिक्स का उद्देश्य अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करना है, एक ऐसा बदलाव जिसका वैश्विक व्यापार और पाकिस्तान और भारत जैसे देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है.

कश्मीरी ने क्षेत्र में बढ़ती सांप्रदायिकता, उग्रवाद और उग्रवाद पर भी चिंता व्यक्त की, और चेतावनी दी कि ऐसी विचारधाराएँ पीओजेके की पीड़ा को बढ़ा रही हैं. उन्होंने तर्क दिया कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को भारत और पाकिस्तान दोनों में कश्मीरियों की दुर्दशा पर अधिक ध्यान देना चाहिए और उनके आत्मनिर्णय के अधिकार का समर्थन करना चाहिए.