रुशान अब्बास ने ब्रितानी संसद में चीन में मुस्लिमों के उत्पीड़न का मुद्दा उठाया

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 08-03-2025
Rushan Abbas
Rushan Abbas

 

लंदन. उइगर मुस्लिमों के लिए अभियान की कार्यकारी निदेशक रुशान अब्बास ने वेस्टमिंस्टर हॉल में यू.के. संसद के इफ्तार में भाग लिया, जहाँ उन्होंने झिंजियांग क्षेत्र में उइगरों के चल रहे दमन के बारे में यू.के. के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर से संक्षिप्त बातचीत की.

विश्व उइगर कांग्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इस कार्यक्रम में लॉर्ड स्पीकर जॉन मैकफॉल, स्पीकर लिंडसे होयल, लॉर्ड तारिक अहमद, बैरोनेस सईदा वारसी और डिप्टी स्पीकर नुसरत गनी जैसे वरिष्ठ ब्रिटिश अधिकारियों ने भाग लिया, जिससे उइगर संकट के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच उपलब्ध हुआ.

विश्व उइगर कांग्रेस ने कहा कि प्रधानमंत्री स्टारमर के साथ अपनी बातचीत के दौरान, अब्बास ने उइगर नरसंहार की वास्तविकता को दबाने के चीन के प्रयासों की निंदा की, चीनी सरकार पर अंतरराष्ट्रीय ध्यान भटकाने के लिए बड़े पैमाने पर ब्लैकआउट अभियान चलाने का आरोप लगाया. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि उनकी बहन गुलशन अब्बास अभी भी जेल में बंद हैं. अब्बास ने जोर देकर कहा कि उइगरों के खिलाफ नरसंहार एक मौजूदा अत्याचार है जिसे वैश्विक समुदाय द्वारा अनदेखा किया जा रहा है.

एक्स पर एक पोस्ट में, विश्व उइगर कांग्रेस ने कहा, ‘‘विश्व उइगर कांग्रेस की कार्यकारी समिति की अध्यक्ष रुशान अब्बास ने ऐतिहासिक वेस्टमिंस्टर हॉल में यूके संसद के इफ्तार कार्यक्रम में भाग लिया, जहाँ उन्हें उइगर मुद्दे पर यूके के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर से बात करने का एक संक्षिप्त अवसर मिला.’’

इससे पहले, उइगरों के लिए अभियान के कार्यकारी निदेशक रुशान अब्बास ने झिंजियांग के तारिम बेसिन में स्थित एशिया में सबसे गहरे ऊर्ध्वाधर कुएं को पूरा करने के बारे में चीन की हालिया घोषणा की निंदा की. उन्होंने इस परियोजना की आलोचना की और इसे चीन के व्यापक औपनिवेशिक एजेंडे का हिस्सा बताया जिसका उद्देश्य उइगर मातृभूमि का शोषण करना है.

अब्बास के बयान चीन के उइगरों के साथ व्यवहार और क्षेत्र में उसकी आर्थिक और राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं पर बढ़ती अंतरराष्ट्रीय चिंता को दर्शाते हैं. चीन में उइगर आबादी, मुख्य रूप से झिंजियांग में, ‘पुनः शिक्षा’ शिविरों में सामूहिक कारावास, जबरन श्रम, व्यापक निगरानी और उनकी संस्कृति के दमन जैसे तीव्र दमन को सहन करती है. अधिकारी आतंकवाद विरोधी उपायों के बहाने उइगर धार्मिक प्रथाओं, भाषा और रीति-रिवाजों को प्रतिबंधित करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप महत्वपूर्ण मानवाधिकारों का हनन और वैश्विक आलोचना होती है.