बैंकॉक. थाई वकील चुचार्ट कनपाई ने 42 उइगर पुरुषों की रिहाई के लिए याचिका दायर की है, जिन्हें थाईलैंड में दस साल से अधिक समय से हिरासत में रखा गया है. इन पुरुषों को 2013 में चीन में कथित उत्पीड़न से बचने के लिए आव्रजन आरोपों में गिरफ्तार किया गया था. रेडियो फ्री एशिया द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, वे झिंजियांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र के सदस्य हैं, जो मुख्य रूप से मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय है.
गुरुवार को थाई अदालत में दायर अपनी अपील में, चुचार्ट ने उइगरों की हिरासत की लंबी अवधि पर जोर दिया और तर्क दिया कि उन्हें लंबे समय तक कैद में रखना अवैध है. चुचार्ट ने याचिका में कहा, ‘‘उन्होंने 2013 से 2025 तक दस साल से अधिक समय जेल में बिताया. उन्होंने सजा पूरी की.’’
याचिका इसलिए दायर की गई, क्योंकि मानवाधिकार संगठन इस बात से अधिक चिंतित हो गए थे कि गिरफ्तार किए गए उइगरों को चीन भेजा जा सकता है, जहां उन्हें आरएफए द्वारा रिपोर्ट की गई यातना और अन्य अत्याचारों का गंभीर खतरा होगा.
आरएफए द्वारा उद्धृत वकालत समूह जस्टिस फॉर ऑल की एक रिपोर्ट के अनुसार, थाई अधिकारी बंदियों को कागजी कार्रवाई पूरी करने के लिए मजबूर कर रहे हैं, जिससे उनका निर्वासन हो सकता है. हालांकि, पिछले हफ्ते थाई सरकार के एक प्रतिनिधि ने इन आरोपों का खंडन किया, यह दावा करते हुए कि थाईलैंड के पास उइगरों को निर्वासित करने की ‘कोई नीति’ नहीं है और जबरन प्रत्यावर्तन की चिंताओं को दूर कर दिया.
उइगर अल्पसंख्यक की दुर्दशा ने अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया है, और संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने थाईलैंड से किसी भी ऐसे कैदी को निर्वासित करने से परहेज करने का आग्रह किया है, जो उन्हें खतरे में डाल सकता है.
चीन में, उइगरों पर व्यापक दमन, जबरन प्रताड़ना का आरोप लगाया गया है. श्रम तथा सामूहिक नजरबंदी शिविरों में हिरासत में लिए जाने के मामले, जिनमें से सभी को चीनी सरकार ने आरएफए द्वारा उजागर किए जाने से इनकार किया है. आरएफए ने बताया कि अपनी अपील में, चुचार्ट ने मांग की है कि 42 उइगरों को तुरंत रिहा किया जाए, उनका दावा है कि उन्हें लंबे समय तक कैद में रखना अवैध है.
इस मामले की सुनवाई थाई अदालत द्वारा 17 फरवरी को की जाएगी और विश्व उइगर कांग्रेस जैसे समूहों के गवाहों के गवाही देने की उम्मीद है.