राकेश चौरासिया / नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन देशों की अपनी यात्रा के अगले पड़ाव के अंतर्गत रविवार को पापुआ न्यू गिनी पहुंचे. वहां के पीएम जेम्स मारापे ने पीएम मोदी का भावभीना स्वागत किया और प्रोटोकोल तोड़कर पीएम मोदी के पैर छुए.
मोदी जब पापुआ न्यू गिनी एक एयरपोर्ट पर जहाज की सीढ़ियों से उतरे, तो वहां के पीएम जेम्स मारापे ने उनकी आगवानी की. मोदी और मारापे गले मिले, फिर मारापे थोड़ा पीछे हटकर नीचे झुके और मोदी के चरण स्पर्श किए. मोदी को मारापे के एक अतिशय सम्मान के उपक्रम का आभास हुआ, तो मोदी ने भी अपने बाएं हाथ से पीएम मारापे की पीठ थपथपाकर उन्हें भारतीय शैली में आशीर्वाद और शुभकामनाएं दीं. इसके बाद दोनो नेता एक बार फिर गले मिले और मारापे के हाथों को मोदी अपने हाथों में हर्षपूर्वक थामकर काफी देर तक थपथपाते रहे. बाद में मारापे ने पीएम मोदी का अपने अन्य अधिकारियों से परिचय करवाया.
Never before seen visuals:
— DD News (@DDNewslive) May 21, 2023
Papua New Guinea PM touches the feet of PM @narendramodi as he lands in the country for a historic visit!@PMOIndia pic.twitter.com/1F1MMrAknD
उल्लेखनीय है पापुआ न्यू गिनी ईसाई बहुल देश है और दूसरे नंबर पर बौद्धों की संख्या है. हिंदुओं की संख्या नगण्य है. मारापे वहां के सबसे बड़े आदिवासी समुदाय से आते हैं. मारापे अपने मेहमान मोदी के प्रति ‘चरण स्पर्श’ की सर्वोच्च नम्रता प्रस्तुत कर हर भारतीय के दिल पर छा गए. इसे आप भारतीय और पापुआ न्यू गिनी की संस्कृति का फ्यूजन भी मान सकते हैं. भारत में यह प्रतीक सम्मान आमतौर पर देखने को मिल जाता है, लेकिन वैश्विक नेताओं के मध्य इसके बड़े गहरे कूटनीतिक अर्थ गिने जाते हैं.
पापुआ न्यू गिनी की उनकी यात्रा किसी भी भारतीय प्रधान मंत्री की पहली यात्रा है. विदेश मंत्रालय ने ट्वीट किया, ‘‘जापान की सफल यात्रा के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने तीन देशों के दौरे के दूसरे चरण के लिए पापुआ न्यू गिनी के लिए रवाना हुए.’’
पापुआ न्यू गिनी में प्रवासी भारतीयों ने भी पीएम मोदी का भव्य स्वागत किया. उन्हें चीयर करते और प्रधानमंत्री के साथ सेल्फी क्लिक करते देखा गया. पापुआ न्यू गिनी में, वह सोमवार को अपने समकक्ष जेम्स मारपे के साथ संयुक्त रूप से फोरम फॉर इंडिया-पैसिफिक आइलैंड्स कोऑपरेशन के तीसरे शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेंगे. मोदी ने पहले कहा था, ‘‘मैं आभारी हूं कि सभी 14 प्रशांत द्वीप देशों (पीआईसी) ने इस महत्वपूर्ण शिखर सम्मेलन (एफआईपीआईसी) में भाग लेने के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है.’’