संयुक्त राष्ट्र. पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय की खराब स्थिति जग जाहिर है. वहां से मुसलसल किसी न किसी माइनॉरिटी ग्रुप को दबाने और उनपर हमले की खबर सामने आती रहती है. इस बीच भारत के जम्मू-कश्मीर का रहने वाला एक राजनैतिक-सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ता ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद् में पाकिस्तान के माइनॉरिटी की हक की आवाज को बुलंद किया है. उन्होंने पाकिस्तान में हिंदू, ईसाई समुदाय के अल्पसंख्यकों के साथ होने वाले जुल्म और घिनौने व्यवहार की घटनाओं का जिक्र यूएनएचआरसी के मंच पर कर दिया है. इस घटना के बाद पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय मंच पर पोल खुल गई है.
स्विट्जरलैंड के जिनेवा में मौजूद संयुक्त राष्ट्र के कार्यालय में संयुक्तर राष्ट्र मानवाधिकार पिरषद की 58वीं बैठक हो रही थी. इस बैठक में भारत के जम्मू कश्मीर के रहने वाले और मानवाधिकार कार्यकर्ता जावेद अहमद भी मौजूद थे. जावेद अहमद ने यूएनएचआरसी की बैठक में पाकिस्तान की पोल-खोल कर रख दी है. उन्होंने पाकिस्तान के अंदर हिंदू और ईसाई अल्पसंख्यकों पर होने वाले जुल्म के मुद्दें को उठाया है.
जावेद ने अपने जोशीले भाषण में कहा कि पाकिस्तान में हिंदू और ईसाई वहां कि जनसंख्या का महत्वपूर्ण हिस्सा है. लेकिन उन्हे पाकिस्तानी सिस्टम, वहां कि संस्थाओं और संप्रदायिक ताकतों से दमन का सामना करना पड़ा हैं. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में हिंदू और ईसाई अल्पसंख्यकों की तादाद लगभग 3.8 मिलियन है, जो पाकिस्तान की टोटल आबादी का 1.6ः है. लेकिन वहां संप्रदायिक्ता के बढ़ते जहर की वजह से पाकिस्तान में पिछले चार दशकों में हिंदुओं के खिलाफ हिंसक घटनाओं में कई गुना इजाफा हुआ है.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में नौजवान हिंदू लड़कियों को बार-बार अगवा किया जाता है, और मुसलिम समुदाय के मर्दों के साथ उन्हें शादी करने पर मजबूर किया जाता है, जो अक्सर उनकी उम्र से दोगुनी उम्र के होते हैं. साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि पाकिस्तान में मजहबी अल्पसंख्यकों की लड़की को अगवा कर के उन्हे धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया जाता है. उन्होंने आगे कहा कि हिंदू मंदिरों पर नियमित रूप से हमले होते रहते हैं और पाकिस्तानी अफसर ऐसे भयावह हमलों को रोकने के लिए कुछ नहीं करते हैं.
जावेद ने पाकिस्तानी अल्पसंख्योकों का भारत में प्रवास का मुद्दा उठाते हुए कहा कि पाकिस्तान में मजहबी आजादी पर खतरा और लगातार उत्पीड़न से बाज आकर वहां के माइनॉरिटी लगातार अवैध तरीके से भारत की ओर माइग्रेंट कर रहे हैं. क्यों कि उन्हें भारत में अमन और जीवन की संभावना दिखाई दे रही है. उन्होंने भारत सरकार के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि विस्तारित वीजा पर भारत में 4,000 से 5,000 पाकिस्तानी हिंदू रह रहे हैं. पाकिस्तान के ईसाई अल्पसंख्यकों की दुर्दशा के संबंध में, उन्होंने कहा कि ईसाई पाकिस्तान की कुल आबादी का लगभग 3.3 मिलियन या 1.3ः हैं. फिर भी ईसाईयों को वहां अपमान का सामना करना पड़ता है, और पाकिस्तान में कट्टरपंथी लोग ईसाईयों को गंदा मानकर उन्हें ‘चुरा’ कहते हैं.