इटली में पाकिस्तान की फजीहत, इतालवी सांसदों ने पाकिस्तानी ईसाईयों के उत्पीड़न पर कार्रवाई का आग्रह किया

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 25-07-2024
Italian MPs urge action on persecution of Pakistani Christians
Italian MPs urge action on persecution of Pakistani Christians

 

रोम. इटली में पाकिस्तानी ईसाइयों के संघ द्वारा नीदरलैंड के जुबली अभियान के सहयोग से आयोजित एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम में, पैनलिस्टों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय, यूरोपीय सांसदों, विशेष रूप से इतालवी विधायकों से पाकिस्तान में ईसाई समुदाय के उत्पीड़न को संबोधित करने के लिए राजनयिक चैनलों का उपयोग करने और विधायी सुधारों की वकालत करने का आह्वान किया.

इस कार्यक्रम में ईशनिंदा कानूनों के दुरुपयोग और जबरन धर्म परिवर्तन को महत्वपूर्ण मुद्दों के रूप में उजागर किया गया. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, व्हाइटेकर हाउस द्वारा प्रकाशित शगुफ्ता कौसर और यूजीन बाख द्वारा लिखी गई एक नई किताब, अंडर थ्रेट ऑफ डेथरू ए मदर्स फेथ इन द फेस ऑफ इनजस्टिस, इम्प्रिजनमेंट, एंड पर्सेक्यूशन का विमोचन हुआ.

यह किताब पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोपों का सामना करने के दौरान कौसर के दर्दनाक अनुभवों को बयां करती है. कार्यक्रम में बोलते हुए, कौसर ने अपनी आपबीती साझा की, जिसमें उन्होंने बताया कि सजा से बचने के लिए उन्हें इस्लाम अपनाने के कई मौके दिए गए. मौत की धमकियों के बावजूद उन्होंने दृढ़ता से अपने ईसाई धर्म को त्यागने से इनकार कर दिया.

उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तान में ईसाई भेड़ियों के बीच भेड़ की तरह हैं, जिनका कोई रक्षक नहीं है.’’ उन्होंने कार्यक्रम के आयोजन और आठ साल की कैद की गवाही साझा करने की अनुमति देने के लिए लोरेंजो मालागोला और प्रोफेसर शाहिद मोबीन का आभार व्यक्त किया.

लोरेंजो मालागोला ने मानवाधिकारों के मूल मूल्य के रूप में धर्म की स्वतंत्रता के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने पाकिस्तानी सरकार से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि सभी धार्मिक अल्पसंख्यक बिना किसी डर या प्रतिबंध के अपने विश्वासों का पालन कर सकें. मालागोला ने राष्ट्रीय पहचान पत्रों पर धर्म परिवर्तन पर राष्ट्रीय डेटाबेस और पंजीकरण प्राधिकरण की भेदभावपूर्ण नीति की आलोचना की, जो धर्म, अभिव्यक्ति और पहचान की स्वतंत्रता को कमजोर करती है.

फादर गिल्बर्ट शहजाद ने इतालवी सांसदों और यूरोपीय संघ के सदस्य देशों से पाकिस्तान के साथ राजनीतिक रूप से जुड़ने का आग्रह किया ताकि मृत्युदंड को खत्म किया जा सके और मानवाधिकार दायित्वों को पूरा किया जा सके. उन्होंने धार्मिक अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए प्रगतिशील कानूनों की आवश्यकता पर जोर दिया और ऐसा माहौल बनाने की बात कही, जहां सभी नागरिक बिना किसी डर के अपने अधिकारों का प्रयोग कर सकें.

शहजाद ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पाकिस्तान को जनवरी 2023 में यूनिवर्सल पीरियोडिक रिव्यू के अपने चौथे चक्र के दौरान ईशनिंदा कानूनों में संशोधन करने के लिए 12 सिफारिशें प्राप्त हुईं, लेकिन अभी तक उन्हें प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया गया है.

नीदरलैंड के जुबली कैंपेन के मानवाधिकार कार्यकर्ता जोसेफ जेनसन ने पाकिस्तान में ईसाइयों के सामने आने वाले उत्पीड़न के विभिन्न रूपों को संबोधित किया, जिसमें ईशनिंदा कानून का दुरुपयोग, भीड़ द्वारा हत्या, चर्चों पर हमले, ऑनर किलिंग, नाबालिग लड़कियों का अपहरण और बलात्कार, जबरन इस्लाम में धर्मांतरण और ईंट भट्टों पर बंधुआ मजदूरी शामिल है.

जेनसन ने पाकिस्तानी अधिकारियों से अल्पसंख्यक संरक्षण कानूनों को बनाए रखने के अपने प्रयासों को मजबूत करने की अपील की, न्याय सुनिश्चित करने में न्यायपालिका, राज्य सरकार और पुलिस की प्रतिबद्धता के महत्व पर जोर दिया.

वकील तबस्सुम यूसुफ ने पाकिस्तानी सरकार से घरेलू हिंसा, जबरन विवाह और बाल विवाह सहित महिलाओं के खिलाफ हिंसा का मुकाबला करने का आग्रह किया. उन्होंने ईशनिंदा कानूनों के घोर दुरुपयोग पर प्रकाश डाला, जहां झूठी शिकायतों के माध्यम से अक्सर व्यक्तिगत बदला चुकाने के लिए निर्दोष व्यक्तियों को निशाना बनाया जाता है, जिससे धार्मिक रूप से प्रेरित हिंसा और उत्पीड़न को बढ़ावा मिलता है.

पादरी जस्टिन भट्टी ने उल्लेख किया कि नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर वाचा, नस्लीय भेदभाव के उन्मूलन पर कन्वेंशन, और बाल अधिकारों पर कन्वेंशन के कार्यान्वयन की निगरानी करने वाले संयुक्त राष्ट्र संधि निकायों ने पाकिस्तान से अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों का पालन करने के लिए ईशनिंदा कानूनों को निरस्त करने या संशोधित करने का आग्रह किया है. भट्टी ने जोर देकर कहा कि इन कानूनों का दुरुपयोग कमजोर समूहों में आतंक और भय पैदा करता है और इसे प्रभावी ढंग से संबोधित किया जाना चाहिए.

 

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