हैदराबाद, पाकिस्तान. पाकिस्तान के हैदराबाद में न्यू अलीबाद कॉलोनी में हिंदू समुदाय ने हैदराबाद प्रेस क्लब के सामने और बाद में एसएसपी कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें रामपीर हिंदू मंदिर पर कथित हमले को लेकर आक्रोश व्यक्त किया गया.
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने रिपोर्ट दी है कि प्रदर्शन, जिसमें महिलाएं और बच्चे शामिल थे, कॉलोनी में रामपीर मंदिर पर कथित हमले के संबंध में गिरफ्तारी की कमी के जवाब में किया गया था, जिसमें चार लोग घायल हो गए थे.
रिपोर्ट के अनुसार, हलानाका रोड पर मंदिर पर हमले से संबंधित हत्या के प्रयास के आरोपों सहित अन्य प्रावधानों के तहत 11 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. साथ ही गोलीबारी और हिंसा की घटनाओं के लिए भी मामला दर्ज किया गया है.
शिव लाल मेघवार की शिकायत पर महेश, वकार, सोहेल जटोई, रफी बंग्लानी और जमील इहसान बलेदी समेत अन्य के खिलाफ हटरी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई है. प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि रामपीर मंदिर में एक धार्मिक समारोह हो रहा था, तभी हिंदू समुदाय के कुछ युवकों के बीच झगड़ा हो गया. बाद में, कॉलोनी के बाहर से आए लोगों का एक समूह भी संघर्ष में शामिल हो गया.
एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, 10 से अधिक हमलावर मंदिर में घुस गए और उन्होंने धार्मिक समारोह में शामिल सभी लोगों, पुरुषों, महिलाओं और बच्चों पर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी. इस झगड़े में चार लोग घायल हो गए - रोहित कुमार, सवाई कुमार, रमेश कुमार और टेसो लाली.
गौरतलब है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय को वर्षों से उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है. उनमें से अधिकांश सुरक्षा के लिए दूसरे देशों में चले गए हैं. बाकी लोग उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं. अगस्त की शुरुआत में, पाकिस्तान में अल्पसंख्यक और हाशिए पर पड़े समुदायों के सैकड़ों लोगों ने कराची के फ्रेरे हॉल इलाके में पहला श्अल्पसंख्यक अधिकार मार्चश् निकाला, जिसमें उन्होंने अपने अधिकारों की वकालत की और जबरन धर्मांतरण की प्रथा को समाप्त करने की मांग की.
गेटस्टोन की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों, मुख्य रूप से हिंदू और ईसाई महिलाओं और बच्चों पर अत्याचार और अत्याचार जारी है, साथ ही उन्हें अपहरण, जबरन धर्मांतरण, बलात्कार और किसी बड़े या बुजुर्ग व्यक्ति से ‘विवाह’ के लिए मजबूर किए जाने का खतरा भी है.
ये भी पढ़ें : पैगंबर मोहम्मद का नेतृत्व और शिक्षाएं मुसलमानों के लिए आज भी हैं प्रासंगिकता
ये भी पढ़ें : ईद मिलाद- उन- नबी: पैगंबर मोहम्मद के संदेश में विश्वास, करुणा और न्याय पर ज़ोर
ये भी पढ़ें : ईद मिलाद-ए-नबी पर विशेष : आक़ा की पाक निशानियां
ये भी पढ़ें : 118 वर्षों से सामाजिक सौहार्द को संजोए सातारा का आजाद हिंद गणेशोत्सव मंडल
ये भी पढ़ें : मौलवी मोहम्मद बाकर पत्रकारिता में सोशल रिफॉर्म पर फोकस करते थे, बोलीं इतिहासकार डॉ स्वप्रा लिडल