इस्लामाबाद
पाकिस्तान ने 2008 के मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा से खुद को पूरी तरह अलग कर लिया है और कहा है कि वह कनाडा का नागरिक है, ना कि पाकिस्तान का. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस संबंध में साफ शब्दों में कहा कि राणा ने पिछले दो दशकों से अपने पाकिस्तानी दस्तावेजों का नवीनीकरण नहीं कराया है और उसकी कनाडाई नागरिकता "स्पष्ट रूप से प्रमाणित" है.
गौरतलब है कि तहव्वुर राणा को अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित किया जा रहा है. भारत पहुंचने पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) उसे तुरंत हिरासत में लेगी. तहव्वुर राणा को अमेरिका की अदालत ने आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और 2008 के मुंबई हमले के लिए जिम्मेदार समूहों को सहयोग देने का दोषी ठहराया है. इस हमले में 174 से अधिक लोगों की जान गई थी.
पाकिस्तानी मीडिया में प्रकाशित रिपोर्टों के अनुसार, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता शफकत अली खान ने कहा:
“तहव्वुर राणा ने पिछले 20 सालों से अपने पाकिस्तानी दस्तावेजों को अपडेट नहीं किया है. उसकी नागरिकता कनाडा की है और यह बात बहुत स्पष्ट है.”
हालांकि पाकिस्तान दोहरे नागरिकता कानून के तहत कनाडा जैसे देशों के साथ दोहरी नागरिकता रखने की अनुमति देता है, लेकिन मौजूदा मामले में पाकिस्तान राणा से किसी भी तरह का संबंध स्वीकार करने से बचता नजर आ रहा है.
11 फरवरी को अमेरिकी विदेश मंत्री ने राणा के प्रत्यर्पण को अधिकृत करने वाले आत्मसमर्पण वारंट पर हस्ताक्षर किए थे. राणा के वकीलों ने इस आदेश को चुनौती देते हुए आपातकालीन स्थगन प्रस्ताव दायर किया, लेकिन 7 अप्रैल को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया, जिससे भारत को उसे लाने का रास्ता साफ हो गया.
भारत सरकार द्वारा 11 नवंबर, 2009 को दिए गए निर्देश के अनुसार, एनआईए ने IPC की धारा 121A, UAPA की धारा 18 और SAARC आतंकवाद विरोधी अधिनियम की धारा 6(2) के तहत राणा और डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी के खिलाफ मामला दर्ज किया था.
एनआईए ने बताया कि:
“यूएसए की एजेंसियों ने हेडली और राणा को गिरफ्तार किया था. एनआईए ने उनके प्रत्यर्पण के लिए अनुरोध भेजा है और पाकिस्तान को भी जांच में सहायता के लिए पत्र भेजा गया था, जिसके जवाब की प्रतीक्षा की जा रही है.”
24 दिसंबर 2011 को एनआईए ने दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में 9 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें विभिन्न धाराओं में हत्या, देशद्रोह, जालसाजी और आतंकी गतिविधियों का ज़िक्र था.
तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण 26/11 के पीड़ितों और उनके परिवारों के लिए न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति माना जा रहा है. भारत लंबे समय से राणा के प्रत्यर्पण की मांग करता रहा है और अब अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद वह भारत लाया जा रहा है.