इस्लामाबाद. गिरती अर्थव्यवस्था को स्थिर करने को लेकर ऋण कार्यक्रम को पुनर्जीवित करने के लिए बेताब, पाकिस्तान ने अगले वित्तीय वर्ष में उपभोक्ताओं पर पावर सरचार्ज लगाने की अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की मांग मान ली है. जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार,आईएमएफ के 'शिफ्टिंग गोलपोस्ट' से पाकिस्तानी अधिकारी चकित हैं क्योंकि देश ऋणदाता को लुभाने के लिए काफी प्रयास कर रहा है जिसने 2019 में हस्ताक्षरित 6.5 अरब डॉलर विस्तारित फंड सुविधा (ईएफएफ) को अनलॉक करने के लिए नई शर्ते निर्धारित की हैं.
ईएफएफ की नौवीं समीक्षा के तहत आईएमएफ से 1 अरब डॉलर की किश्त सुरक्षित करने के लिए कैश-स्ट्रैप्ड देश प्रमुख उपाय कर रहा है. जियो न्यूज ने बताया कि उपायों में करों को बढ़ाना और सब्सिडी को हटाना और एक्सचेंज रेट पर आर्टिफिशियल कर्ब्स शामिल हैं. वित्त मंत्री इशाक डार की अध्यक्षता में हुई आर्थिक समन्वय समिति (ईसीसी) ने आईएमएफ की एक और मांग को स्वीकार करते हुए मार्च से जून 2023 तक 3.82 पीकेआर प्रति यूनिट तक बिजली अधिभार लगाने को मंजूरी दे दी है. रुके हुए कार्यक्रम को पुनर्जीवित करने के लिए आईएमएफ द्वारा लगाई गई एक और कठिन शर्त को लागू करने के लिए अगले वित्त वर्ष 2023-24 में बिजली उपभोक्ताओं से औसतन 2.63 रुपये प्रति यूनिट का बिजली अधिभार वसूला जाता रहेगा.