वॉशिंगटन/नई दिल्ली
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अपने विविधता, समानता और समावेशन (DEI) विभाग की प्रमुख नीला राजेंद्र को पद से हटा दिया है.यह कदम पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा जारी एक कार्यकारी आदेश के बाद उठाया गया, जिसमें अमेरिका भर में DEI कार्यक्रमों को बंद करने और इनसे जुड़े कर्मचारियों को हटाने का निर्देश दिया गया था.
भारतीय मूल की नीला राजेंद्र इस आदेश की चपेट में आने वाली प्रमुख अधिकारियों में से एक हैं.एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, आदेश लागू होने के बाद नासा ने शुरुआत में राजेंद्र को हटाने से बचाने की कोशिश की.उनका विभागिक पद बदलकर "टीम उत्कृष्टता एवं कर्मचारी सफलता कार्यालय प्रमुख" कर दिया गया, हालांकि उनके कार्य की प्रकृति लगभग वैसी ही रही.
लेकिन प्रशासनिक दबाव के कारण अंततः अप्रैल की शुरुआत में उन्हें पद से हटा दिया गया.नासा की जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला (जेपीएल) की निदेशक लोरी लेशिन द्वारा कर्मचारियों को भेजे गए एक ईमेल में कहा गया:"नीला राजेंद्र अब जेपीएल में कार्यरत नहीं हैं.हमारे संगठन पर उनके द्वारा डाले गए स्थायी प्रभाव के लिए हम उनके आभारी हैं और उनके भविष्य के प्रयासों के लिए शुभकामनाएं देते हैं."
गौरतलब है कि पिछले वर्ष जब नासा ने बजट में कटौती के चलते DEI विभाग से लगभग 900कर्मचारियों की छंटनी की थी, तब नीला राजेंद्र की नौकरी बनी रही थी.लेकिन मार्च 2025में ट्रंप के नए आदेश के तहत DEI विभाग को पूरी तरह बंद कर दिया गया और आखिरकार, राजेंद्र को भी हटा दिया गया.
राजेंद्र को कुछ समय के लिए एक नए विभाग का नेतृत्व सौंपा गया था, जिसका नाम था – "टीम उत्कृष्टता और कर्मचारी सफलता कार्यालय".इस विभाग के तहत ‘ब्लैक एक्सीलेंस स्ट्रेटेजिक टीम’ जैसी कई सामाजिक समावेशन पहलों की निगरानी की जाती थी.
NASA's Indian-Origin Diversity Chief Sacked After Trump's Executive Orderhttps://t.co/oKlBEr3UQC pic.twitter.com/e6A3lgRFXf
— NDTV (@ndtv) April 15, 2025
नए पद की शुरुआत के समय नीला राजेंद्र ने अपने LinkedIn प्रोफाइल पर लिखा था:"इस कार्यालय का नेतृत्व करने का मेरा मुख्य लक्ष्य साहसिक कार्रवाई के लिए हमारी सामूहिक क्षमता को उन्मुक्त करना है."
हालांकि, ट्रंप प्रशासन की सख्ती और आदेशों के दबाव के कारण अंततः उन्हें पद छोड़ना पड़ा.इस घटना ने अमेरिका में विविधता कार्यक्रमों के भविष्य और ट्रंप की नीतियों के प्रभाव पर बहस छेड़ दी है, खासकर प्रवासी समुदायों और अल्पसंख्यकों में चिंता बढ़ा दी है.