तेहरान
अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के महानिदेशक राफेल मारियानो ग्रॉसी ने बुधवार को ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची से मुलाकात की. इस उच्चस्तरीय बैठक में दोनों पक्षों के बीच ईरान के परमाणु कार्यक्रम की पारदर्शिता और उसके शांतिपूर्ण उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए IAEA के साथ सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया गया..
IAEA प्रमुख ग्रॉसी ने अपनी ईरान यात्रा के दौरान सोशल मीडिया मंच ‘X’ पर पोस्ट करते हुए कहा:"ईरान की मेरी समयानुकूल यात्रा के दौरान विदेश मंत्री अराघची से मिलना बेहद अहम था. आज के समय में जब कूटनीति की जरूरत पहले से कहीं अधिक है, तब ईरान के परमाणु कार्यक्रम की शांतिपूर्ण प्रकृति की पुष्टि के लिए IAEA के साथ सहयोग अनिवार्य हो जाता है."
ग्रॉसी की यह यात्रा उस समय हो रही है जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर फिर से गंभीर चर्चा शुरू हो चुकी है.इस बैठक के कुछ ही दिन पहले, अमेरिका के मध्य पूर्व मामलों के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने भी तेहरान में विदेश मंत्री अराघची से मुलाकात की.
इन चर्चाओं का मुख्य उद्देश्य ईरान के परमाणु संवर्धन और हथियार विकास कार्यक्रमों पर लगाम लगाना और क्षेत्रीय शांति और स्थिरता की दिशा में ठोस कदम उठाना था.
अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने मंगलवार को इस घटनाक्रम की पुष्टि करते हुए बताया कि अमेरिका और ईरान के बीच हाल ही में ओमान की राजधानी मस्कट में अप्रत्यक्ष वार्ता आयोजित की गई थी, जिसकी मेज़बानी ओमानी विदेश मंत्री ने की थी.
उन्होंने व्हाइट हाउस के हवाले से कहा:"चर्चा सकारात्मक और रचनात्मक रही। दोनों पक्षों ने आगामी शनिवार को फिर से मिलने पर सहमति जताई है."ब्रूस ने राजदूत विटकॉफ की टिप्पणी को दोहराते हुए कहा:"हमारा उद्देश्य स्पष्ट है – कोई भी समझौता तभी पूरा होगा जब वह 'ट्रंप का सौदा' होगा.
यह समझौता मध्य पूर्व में शांति, स्थिरता और समृद्धि की नींव रखेगा। इसका मतलब है कि ईरान को अपने परमाणु संवर्धन और हथियारीकरण कार्यक्रमों को पूरी तरह रोकना होगा."
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलीन लेविट ने भी जोर देकर कहा कि अमेरिका दृढ़ संकल्पित है कि ईरान किसी भी कीमत पर परमाणु हथियार हासिल न कर सके.
उन्होंने बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में ओमान के सुल्तान के साथ बातचीत की और ईरान-अमेरिका वार्ता के लिए मध्यस्थता करने पर उन्हें धन्यवाद दिया.
मस्कट में हुई अप्रत्यक्ष वार्ता में मुख्य रूप से ईरान के परमाणु कार्यक्रम के साथ-साथ उसकी पड़ोसी देशों में बढ़ती सैन्य और राजनीतिक गतिविधियों पर भी चर्चा हुई. दोनों पक्षों ने वार्ता को एक "रचनात्मक माहौल और आपसी सम्मान पर आधारित" बातचीत बताया.