लंदन. मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) के संस्थापक और नेता अल्ताफ हुसैन ने हाल ही में पारित इलेक्ट्रॉनिक अपराध रोकथाम अधिनियम (पीईसीए) संशोधन विधेयक 2025 की कड़ी निंदा करते हुए इसे ‘तानाशाही का स्पष्ट उदाहरण’ बताया. उन्होंने पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) की सरकार द्वारा पारित कानून को ‘कठोर कानून’ बताया, जो मौलिक मानवाधिकारों का उल्लंघन करता है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाता है.
लंदन से जारी एक बयान में हुसैन ने विधेयक की आलोचना करते हुए कहा, ‘‘पीईसीए अधिनियम संशोधन विधेयक-2025 नागरिकों के अधिकारों का गंभीर उल्लंघन है. यह दमनकारी कानून न केवल पाकिस्तानी पत्रकारों और नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के उनके अधिकार को छीनकर निशाना बनाता है, बल्कि सरकार के नाजायज कार्यों के खिलाफ रचनात्मक आलोचना को भी दबाने का लक्ष्य रखता है.’’
उन्होंने आगे कहा कि सरकार का दृष्टिकोण मार्शल लॉ जैसा है, क्योंकि यह बल के माध्यम से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस की स्वतंत्रता को दबाने का प्रयास करता है. अपने स्वयं के अनुभव का हवाला देते हुए हुसैन ने कहा कि सितंबर 2015 से उनके लेखन, भाषणों और छवियों के प्रकाशन और प्रसारण पर ‘अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक प्रतिबंध’ लगाया गया था.
उन्होंने कहा, ‘‘अदालतों का दरवाजा खटखटाने के बावजूद, कोई न्याय नहीं मिला.’’ उन्होंने आगे जोर दिया कि इससे उन्हें प्रेस की स्वतंत्रता के प्रति सरकार के दुर्भावनापूर्ण इरादों को पूरी तरह से समझने का मौका मिला है.
एमक्यूएम सुप्रीमो ने पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) सरकार पर प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर अनुचित प्रतिबंध लगाने सहित ‘सत्तावादी प्रथाओं’ को अपनाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, ‘‘सच बोलने वाले पत्रकारों को पहले से ही सरकार के दमनकारी उपायों का निशाना बनाया जा रहा है. अब, इस कानून का उद्देश्य इन प्रतिबंधों को सोशल मीडिया तक विस्तारित करना है, जिससे सरकार की गैरकानूनी कार्रवाइयों को चुनौती देने वाली आवाजों को चुप कराया जा सके.’’
उन्होंने सवाल किया कि क्या देश में मार्शल लॉ लागू है और दमनकारी कानूनों के जरिए सच्चाई की आवाज को कुचलने की कोशिश करने के लिए सरकार की आलोचना की. हुसैन ने इस तरह के महत्वपूर्ण मुद्दे पर पत्रकार संगठनों से परामर्श करने में सरकार की विफलता पर भी प्रकाश डाला,जिसके कारण पत्रकारों और उनके प्रतिनिधि निकायों में व्यापक आक्रोश है.
विधेयक को ‘लोकतंत्र पर हमला’ करार देते हुए हुसैन ने कहा, ‘‘यह सत्तावादी कानून लोकतांत्रिक सिद्धांतों के प्रति पूरी तरह से शत्रुतापूर्ण है. मैं प्रेस की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए पत्रकार समुदाय के संघर्ष में उनके साथ खड़ा हूं और इस लड़ाई में अपनी भूमिका निभाता रहूंगा.’’
उन्होंने पत्रकारों का समर्थन करने और मीडिया की स्वतंत्रता को दबाने के किसी भी प्रयास का विरोध करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए समापन किया.