ब्रिटिश कोलंबिया/नई दिल्ली
कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत के सरे शहर में स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर में तीसरी बार तोड़फोड़ की घटना सामने आई है. कनाडाई पत्रकार डेनियल बोर्डमैन ने इस घटना का वीडियो साझा करते हुए दावा किया कि रविवार रात दो संदिग्धों ने मंदिर की दीवारों पर खालिस्तान समर्थक भित्तिचित्र बनाए और सुबह 3 बजे के करीब वहां लगा एक सुरक्षा कैमरा चुरा लिया.
बोर्डमैन ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “मैं सरे के लक्ष्मी मंदिर गया था, जहां खालिस्तानियों ने एक बार फिर तोड़फोड़ की है. यह तीसरी बार है जब इस मंदिर को निशाना बनाया गया है. मैंने मंदिर प्रबंधन और भक्तों से बात की, जिन्हें नहीं लगता कि पुलिस या राजनेताओं को इस घटना की कोई परवाह है.”
उन्होंने वीडियो में कहा कि समुदाय भय और निराशा में है. “भक्तों ने बताया कि हमलावरों ने मंदिर में घुसकर पूरी जगह पर भित्तिचित्र बनाए और कैमरा चोरी कर लिया। वे चिंतित हैं कि न तो राजनीतिक नेतृत्व और न ही पुलिस उनकी रक्षा कर रही है.”
इस घटना की कनाडाई हिंदू चैंबर ऑफ कॉमर्स (CHCC) ने कड़ी निंदा की है. उन्होंने एक्स पर कहा, “हम खालिस्तानी चरमपंथियों द्वारा बीसी में लक्ष्मी नारायण मंदिर में की गई तोड़फोड़ की कड़ी निंदा करते हैं.
#Hinduphobia के इस कृत्य का कनाडा में कोई स्थान नहीं है. हम सभी कनाडाई नागरिकों से नफरत के खिलाफ एकजुट होने की अपील करते हैं. चुप्पी कोई विकल्प नहीं है.”
इसी बीच, ओटावा नेपियन से भारतीय मूल के कनाडाई सांसद चंद्र आर्य ने भी इस घटना की निंदा करते हुए सरकार से खालिस्तानी चरमपंथियों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की मांग की.
उन्होंने कहा, “हिंदू मंदिरों पर हमले कई साल पहले शुरू हुए थे और अब भी जारी हैं. यह नवीनतम घटना खालिस्तानी उग्रवाद के बढ़ते प्रभाव की भयावह याद दिलाती है.”
आर्य ने यह भी चेतावनी दी कि यह समूह न सिर्फ हिंदू संस्थानों को, बल्कि सिख धार्मिक स्थलों को भी निशाना बना रहा है. उन्होंने बताया कि वैंकूवर के रॉस स्ट्रीट गुरुद्वारे पर भी खालिस्तान समर्थकों ने नारेबाज़ी वाले भित्तिचित्र बनाकर माहौल खराब करने की कोशिश की.
खालसा दीवान सोसाइटी (KDS) ने इसे पवित्र स्थल का अपमान बताया और इसे एक ‘छोटे लेकिन संगठित चरमपंथी गुट’ की करतूत कहा.आर्य ने कहा, “अब समय आ गया है कि हिंदू-कनाडाई समुदाय, अपने सिख-कनाडाई भाई-बहनों के साथ मिलकर खालिस्तानी हिंसा के खिलाफ खड़े हों और सभी स्तरों पर सरकार से निर्णायक कार्रवाई की मांग करें। अब चुप रहना विकल्प नहीं है.”
इस बढ़ती घटनाओं की श्रृंखला ने कनाडा में धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. स्थानीय समुदाय के लोग और प्रवासी भारतीय इस घटनाक्रम को लेकर बेहद चिंतित हैं और सरकार से ठोस कार्रवाई की अपेक्षा कर रहे हैं.