इस्लामाबाद. इंटरनेशनल इस्लामिक स्कॉलर्स ऑर्गनाइजेशन के अध्यक्ष डॉ. मोहम्मद अल-इसा ने मुस्लिम लड़कियों की तालीम पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने मुस्लिम लड़कियों को तालीम से दूर रखने की निंदा की है. उन्होंने कहा कि लड़कियों को तालीम से दूर रखना इस्लामी तालीम के खिलाफ है.
पाकिस्तान में मुस्लिम लड़कियों की तालीम पर इस्लामिक सहयोग संगठन (आईओसी) सम्मेलन हो रहा है. इस सम्मेलन में मोहम्मद अल-इसा ने तालिबान की तरफ से लड़कियों की तालीम पर लगाई गई पाबंदी को सीधे तौर पर कहा कि ‘‘किसी सही चीज पर पाबंदी लगाना सबसे बड़ा गुनाह है.’’ अल-इसा ने तालिबान से प्रतिबंधात्मक नीतियों के लिए इस्लाम को जिम्मेदार ठहराने को बंद करने को कहा. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस्लाम साफ तौर से औरतों की तालीम का सपोर्ट करता है.
अल-इसा ने सरकारों और संगठनों को गलत नीतियों को सही ठहराने के लिए मजहब का गलत इस्तेमाल करने के खिलाफ चेतावनी दी. उन्होंने कहा कि ‘‘औरतों और लड़कियों को तालीम तक पहुंच से दूर रखना पूरी तरह से गलत है.’’ शिखर सम्मेलन के दौरान गर्ल्सएजुकेशनमैटर पहल की शुरूआत पर बोलते हुए, अल-इसा ने इस्लामी जानकारों के बीच सबकी रजामंदी के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि ‘‘इस्लाम औरतों को तालीम से दूर करने के किसी भी रूप को नकारता है, चाहे वह कम हो या ज्यादा.’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘हम सभी जानते हैं कि औरतों को उनके तालीमी हक से दूर रखना, इससे बढ़कर कोई जुर्म नहीं है. इसलिए, कोई भी शख्स या इदारा- चाहे वह सार्वजनिक हो या निजी- जो इस मुद्दे पर असहमति रखता है, उसे औरतों के तालीमी हक पर बहुत सावधान रहना चाहिए.’’ अल-इस्सा ने इस्लाम की सख्त व्याख्या के खिलाफ भी चेतावनी दी. उन्होंने कहा, ‘‘जिसकी इजाजत है, उस पर पाबंदी लगाना, जो गैर कानूनी है, उसकी इजाजत देने से बड़ा पाप है.’’