राकेश चौरासिया / नई दिल्ली
प्रभु श्री कृष्ण न केवल हिंदुओं में ही सप्तम विष्णु अवतार के रूप में पूजे जाते हैं, अपितु श्री कृष्ण अपने भगवद गीता में दिए गए संदेश और निष्काम कर्मयोग के लिए गैर-हिदुओं में भी लोकप्रिय हैं. कई मुस्लिम सूफियों और शायरों को श्री कृष्ण की लीलाओं ने आकर्षित किया है और वह उनकी रचनाओं में मुख्य विषय वस्तु रहे हैं. कराची की वजीहा अतहर नकवी भी उनके चरित्र से इतना प्रभावित हुईं कि उन्होंने ‘कन्हैया’ नाम का भजन सुनाते हुए एक वीडियो बनाया है, जो देखते ही देखते वायरल हो गया.
वजीहा अतहर नकवी मूलतः पाकिस्तान के शहर कराची की निवासी हैं और इस समय वे लंदन में रहती हैं, जहां वे संगीत में पीएचडी कर रही हैं. उन्होंने रमजान शुरू होने से ठीक एक दिन पहले ही अपना एक वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था, जिसमें वह तन्मयता से ‘कन्हैया’ भजन सुनाते हुए दिख रही हैं. वो यह भजन एक किताब को देखकर गाने का प्रयास कर रही हैं, जो उर्दू भाषा में है.
On the eve of Ramzan and in the heart of empire- overjoyed to be able to sing Nawab Sadiq Jung Bahadur Hilm’s famous kalam ‘Kanhaiya’ holding his original diwan from late 19th century Hyderabad, Deccan which includes specific musical instructions for this poem! pic.twitter.com/RD8L25bM3c
— Wajiha Ather Naqvi (@tribalgulabo) March 23, 2023
वजीहा अतहर नकवी ने सोशल मीडिया के एक यूजर को जवाब में कहा कि ‘कन्हैया’ भजन भगवान कृष्ण को समर्पित है और वो हमारे लिए पैगंबर की तरह हैं. दक्षिण एशिया की इंडो-फारसी साहित्यिक परंपरा में उनके बारे में यही लिखा और बताया गया है. मुझे पहली बार इसे सीखने और गाने का सौभाग्य मिला. सोशल मीडिया पर इस भजन को लेकर अच्छी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं. यह भजन लोगों को इतना भाया कि कुछ ही दिनों में वायरल हो गया है और इसे लोगों द्वारा एक लाख बार से सुना जा चुका है.
वजीहा अतहर नकवी ने जो भजन सुनाया है, वह दरअसल एक ठुमरी है और इसकी रचना नवाब सादिक जंग बहादुर हिल्म ने 19वीं सदी में की थी, जो भारत के हैदराबाद शहर के थे और भक्ति काल की रचनाओं से प्रभावित होकर उन्होंने यह ठुमरी लिखी थी. यह ठुमरी नवाब सादिक जंग बहादुर हिल्म के असल दीवान का एक हिस्सा है. वीडियो में वजीहा अपने हाथों में असल दीवान लेकर ही इस भजन को सुनाते हुए दिख रही हैं.