जस्टिन ट्रूडो जब भी मुसीबत में घिरते हैं, तो नया बखेड़ा कर देते हैं: माइकल रूबिन, अमेरिकी विशेषज्ञ

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 16-10-2024
 Michael Rubin
Michael Rubin

 

वाशिंगटन. ओटावा द्वारा हिंसक चरमपंथियों को जगह देने और निज्जर हत्याकांड की जांच पर ‘साक्ष्य’ को लेकर भारत और कनाडा के बीच कूटनीतिक विवाद के बीच, एक शीर्ष अमेरिकी नीति विशेषज्ञ ने ट्रूडो सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कनाडा का संकट तब पैदा होता है, जब भी प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो राजनीतिक संकट में पड़ते हैं और ‘‘कनाडाई साक्ष्य और उनके आरोपों को देखते हुए, हम जेएफके साजिश के क्षेत्र में थे.’’

अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ फेलो और मिडिल ईस्ट फोरम में नीति विश्लेषण के निदेशक माइकल रुबिन ने कहा कि भारत को अपने लिए खड़ा होना होगा और कनाडा के आरोपों की समस्या आज भी वैसी ही है, जैसी एक साल पहले थी. रुबिन ने एएनआई को बताया, ‘‘भारत को अपने लिए खड़ा होना होगा. कनाडा के आरोपों की समस्या आज भी वैसी ही है, जैसी एक साल पहले थी. वे बहुत सारे सबूतों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं. ऐसा लगता है कि जब भी जस्टिन ट्रूडो राजनीतिक संकट में पड़ते हैं, तो कनाडा का संकट पैदा हो जाता है. अभी वे विपक्षी नेता से दस प्रतिशत पीछे हैं.’’

उन्होंने कहा, ‘‘जब आप कनाडाई लोगों द्वारा बताए जा रहे सबूतों को देखते हैं, तो वहां बहुत कुछ नहीं है और एक अमेरिकी के रूप में मेरे लिए, जब मैंने कनाडाई सबूत और उनके आरोपों को पढ़ा, तो हम जेएफके षड्यंत्र के क्षेत्र में थे. हम जॉन एफ कैनेडी की हत्या से संबंधित क्षेत्र में थे. उदाहरण के लिए, कनाडाई लोगों का तर्क है कि भारतीय अपने गंदे कामों को करने के लिए कनाडा में संगठित अपराध का लाभ उठा रहे थे. देखिए, भारतीयों की हमेशा से शिकायत रही है कि आप हमें क्यों दोष दे रहे हैं? आपके पास संगठित अपराध की यह समस्या है, जिसके बारे में हम आपको चेतावनी देते रहे हैं और यह लगभग ऐसा है, जैसे कनाडाई लोग पलटकर भारत पर हर चीज का दोष मढ़ रहे हैं, जिसे रोकने के लिए भारत ने कनाडाई लोगों को चेतावनी दी थी.’’

अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी की हत्या के दशकों बाद भी, अनुत्तरित प्रश्न षड्यंत्र के सिद्धांतों को बढ़ावा दे रहे हैं. खालिस्तानी अलगाववादी की हत्या की कथित साजिश का मुद्दा अमेरिका द्वारा उठाए जाने के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए रुबिन ने कहा कि अमेरिकी इस मुद्दे की जटिलता को समझते हैं और यह केवल राजनीतिक लाभ के लिए भारत पर आरोप लगाने का मामला नहीं है.

रुबिन ने कहा कि भारत के सैन फ्रांसिस्को वाणिज्य दूतावास पर सिख चरमपंथियों और खालिस्तानी आतंकवादियों द्वारा दो बार हमला किया गया है. उन्होंने कहा, ‘‘इस पर हमारा मानना है कि अमेरिकी समझते हैं कि यह एक जटिल समस्या है. अमेरिकियों और कनाडाई लोगों के बीच अंतर यह है कि कनाडाई जस्टिन ट्रूडो की सीट पर बैठकर उड़ान भरते हैं... अमेरिकी इस मुद्दे की जटिलता को समझते हैं. यह केवल राजनीतिक लाभ के लिए भारत पर आरोप लगाने का मामला नहीं है. देखिए, सैन फ्रांसिस्को वाणिज्य दूतावास पर सिख चरमपंथियों और खालिस्तानी आतंकवादियों द्वारा दो बार हमला किया गया है.’’

उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिकी इस समय समझते हैं कि खालिस्तानी आतंकवादी संगठित अपराध में लिप्त हैं और इसलिए वे पहचानते हैं कि सब कुछ वैसा नहीं है, जैसा कि दिख रहा है. यही कारण है कि भारतीय भी अमेरिकी जांच पर अधिक भरोसा करने के लिए तैयार हैं, क्योंकि अमेरिकी जांच किसी एक प्रधानमंत्री को बचाने के लिए नहीं, बल्कि मामले की तह तक पहुंचने के लिए बनाई गई है.’’

भारत ने सोमवार को कनाडा के प्रभारी स्टीवर्ट व्हीलर को तलब करने के कुछ घंटों बाद छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया और बताया कि कनाडा में भारतीय उच्चायुक्त और अन्य राजनयिकों और अधिकारियों को ‘निराधार निशाना’ बनाना पूरी तरह से अस्वीकार्य है. विदेश मंत्रालय ने पहले कहा था कि कनाडा के प्रभारी को यह रेखांकित किया गया था कि उग्रवाद और हिंसा के माहौल में, ट्रूडो सरकार की कार्रवाइयों ने उनकी सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है और सरकार ने कनाडा में भारत के उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा और अन्य लक्षित राजनयिकों और अधिकारियों को वापस बुलाने का फैसला किया है. भारत सरकार ने कहा कि भारत के पास ‘ट्रूडो सरकार द्वारा भारत के खिलाफ उग्रवाद, हिंसा और अलगाववाद को समर्थन’ के जवाब में आगे कदम उठाने का अधिकार है.

विदेश मंत्रालय की विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘आज शाम सचिव (पूर्व) ने कनाडा के प्रभारी डी’अफेयर्स को तलब किया. उन्हें बताया गया कि कनाडा में भारतीय उच्चायुक्त और अन्य राजनयिकों और अधिकारियों को आधारहीन तरीके से निशाना बनाना पूरी तरह से अस्वीकार्य है.’’

इस बात पर जोर दिया गया कि उग्रवाद और हिंसा के माहौल में ट्रूडो सरकार की कार्रवाई ने उनकी सुरक्षा को खतरे में डाल दिया. हमें उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वर्तमान कनाडाई सरकार की प्रतिबद्धता पर कोई भरोसा नहीं है. इसलिए, भारत सरकार ने उच्चायुक्त और अन्य लक्षित राजनयिकों और अधिकारियों को वापस बुलाने का फैसला किया है.

 

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