एससीओ के मंच पर जयशंकर और शरीफ की मुलाकात, गर्मजोशी से मिलाया हाथ,संक्षिप्त संवाद भी

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 16-10-2024
Jaishankar and Sharif met on the SCO platform, shook hands warmly and also had a brief conversation
Jaishankar and Sharif met on the SCO platform, shook hands warmly and also had a brief conversation

 

मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली / इस्लामाबाद
 
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने मंगलवार को इस्लामाबाद में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन के दौरान एक-दूसरे का अभिवादन किया. यह आदान-प्रदान एससीओ सदस्य देशों के प्रतिनिधियों के सम्मान में शहबाज शरीफ द्वारा आयोजित एक विशेष रात्रिभोज के दौरान हुआ.

दोनों नेताओं ने गर्मजोशी से हाथ मिलाया और संक्षिप्त बातचीत की, जो खास तौर पर इसलिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि भारत और पाकिस्तान के बीच पिछले कई वर्षों से रिश्तों में कड़वाहट बनी हुई है. यह मुलाकात ऐसे समय में हुई जब दोनों देशों के बीच कश्मीर मुद्दे और सीमा पार आतंकवाद को लेकर गंभीर तनाव बना हुआ है.

जयशंकर का विमान स्थानीय समयानुसार दोपहर करीब साढ़े तीन बजे इस्लामाबाद के बाहरी इलाके नूर खान एयरबेस पर उतरा. वहां पाकिस्तान के वरिष्ठ अधिकारियों ने उनका स्वागत किया. इस दौरे के जरिए जयशंकर ने नौ साल बाद किसी भारतीय विदेश मंत्री द्वारा पाकिस्तान की यात्रा की.

पिछली बार 2015 में तत्कालीन भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान का दौरा किया था, जब उन्होंने अफगानिस्तान पर आयोजित 'हार्ट ऑफ एशिया' सम्मेलन में भाग लिया था. उस यात्रा में जयशंकर, जो तब विदेश सचिव थे, सुषमा स्वराज के प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे.
 

जयशंकर का एससीओ सम्मेलन में हिस्सा लेना

विदेश मंत्री एस जयशंकर पाकिस्तान की राजधानी में बुधवार को आयोजित एससीओ काउंसिल ऑफ हेड्स ऑफ गवर्नमेंट (सीएचजी) शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे. इस बैठक का फोकस व्यापार और आर्थिक सहयोग पर होगा. एससीओ सीएचजी बैठक हर साल आयोजित की जाती है और यह संगठन के व्यापार और आर्थिक एजेंडे को आगे बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण मंच है.

पाकिस्तान में पहुंचने के बाद, जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया, “एससीओ काउंसिल ऑफ हेड्स ऑफ गवर्नमेंट मीटिंग में भाग लेने के लिए इस्लामाबाद पहुंचे.” इसके साथ ही उन्होंने एयरपोर्ट पर उनके स्वागत के दौरान बच्चों और अधिकारियों के साथ खींची गई तस्वीरें भी साझा कीं.

पिछले दौरे और संबंधों में उतार-चढ़ाव

यह जयशंकर का पहला पाकिस्तान दौरा है, लेकिन इससे पहले उन्होंने 2015 में सुषमा स्वराज के प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के रूप में इस्लामाबाद का दौरा किया था. उस यात्रा के दौरान सुषमा स्वराज ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष सरताज अजीज से मुलाकात की थी. इस बैठक के बाद दोनों देशों ने एक संयुक्त बयान जारी किया, जिसमें द्विपक्षीय वार्ता की बहाली की घोषणा की गई थी. यह घोषणा दोनों देशों के बीच संबंध सुधारने के प्रयासों के रूप में देखी गई थी.

सुषमा स्वराज की यात्रा के कुछ ही हफ्तों बाद, दिसंबर 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी काबुल से लौटते समय अचानक लाहौर का दौरा किया. मोदी ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ के घर का दौरा किया, और उस समय इसे दोनों देशों के बीच शांति के मार्ग को खोलने के एक बड़े कदम के रूप में देखा गया था.

हालांकि, कुछ ही समय बाद पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों द्वारा भारत पर किए गए आतंकी हमलों की श्रृंखला ने दोनों देशों के संबंधों को और अधिक तनावपूर्ण बना दिया. इसके बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच कूटनीतिक संबंधों में सुधार की कोई खास पहल नहीं हो पाई.

एससीओ शिखर सम्मेलन और क्षेत्रीय महत्व

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का यह शिखर सम्मेलन पाकिस्तान के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह 15 और 16 अक्टूबर को इस दो दिवसीय सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है. एससीओ, जिसमें भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, और मध्य एशियाई देशों समेत कई सदस्य देश शामिल हैं,

 

एक ऐसा मंच है जो क्षेत्रीय सुरक्षा, व्यापार और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देता है. भारत एससीओ के विभिन्न तंत्रों में सक्रिय रूप से शामिल रहा है, जिसमें व्यापार और आर्थिक एजेंडे को प्रमुखता दी जाती है.

विदेश मंत्रालय (एमईए) ने एक संक्षिप्त बयान में कहा कि भारत एससीओ प्रारूप में सक्रिय रूप से भाग लेता है, और जयशंकर इस बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे. भारत का उद्देश्य इस संगठन के व्यापार और आर्थिक पहलुओं में अपना योगदान देना है, जिससे सदस्य देशों के बीच सहयोग को और मजबूत किया जा सके.

नौ साल बाद नई शुरुआत?

जयशंकर की इस यात्रा को राजनीतिक विश्लेषक कई दृष्टिकोणों से देख रहे हैं. यह दौरा ऐसे समय पर हुआ है जब भारत और पाकिस्तान के बीच संवाद लगभग ठप है. हालांकि, एससीओ जैसे बहुपक्षीय मंच पर इस्लामाबाद की यात्रा करना कूटनीति का एक हिस्सा है, लेकिन इसे दोनों देशों के बीच रिश्तों में सुधार के संकेत के रूप में भी देखा जा सकता है.

हालांकि, कश्मीर और सीमा पार आतंकवाद जैसे मुद्दों पर दोनों देशों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं दिखा है, लेकिन इस तरह की मुलाकातें कूटनीतिक संबंधों में स्थिरता बनाए रखने का एक संकेत हो सकती हैं. जयशंकर और शहबाज शरीफ के बीच इस संक्षिप्त बातचीत को भी इसी नजरिए से देखा जा रहा है.अगले कुछ दिनों में एससीओ सम्मेलन के दौरान क्या नई घोषणाएं या संवाद होते हैं, इस पर भी क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय राजनीति की निगाहें टिकी होंगी.