ईरान और इजराइल तनातनी के मद्देनजर भारत दोनों मुल्कों के नियमित संपर्क में है: पश्चिम एशिया संघर्ष पर विदेश मंत्री जयशंकर

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 25-11-2024
S Jaishankar
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रोम. पश्चिम एशिया में बिगड़ती स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को कहा कि भारत दोनों देशों के बीच संघर्ष को हल करने के प्रयास में ‘संयम बरतने’ और ‘संचार बढ़ाने’ के लिए इजराइल और ईरान दोनों के साथ नियमित संपर्क में है.

इटली के रोम में मेड मेडिटेरेनियन डायलॉग्स कॉन्फ्रेंस में अपने उद्घाटन भाषण में विदेश मंत्री ने आतंकवाद और हमास द्वारा बंधकों के अपहरण की भारत की कड़ी निंदा दोहराई और युद्धविराम तक पहुंचने के लिए समर्थन की पुष्टि की. हालांकि, जयशंकर ने अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का पालन करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया और बड़े पैमाने पर नागरिकों के हताहत होने को ‘अस्वीकार्य’ बताया.

विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, ‘‘आज मैं अपनी टिप्पणी संघर्षों पर केंद्रित करूंगा. मध्य पूर्व में स्थिति स्पष्ट रूप से दोनों के लिएबहुत चिंताजनक है, जो कुछ हुआ है और जो अभी भी हो सकता है. भारत आतंकवाद और बंधक बनाने की स्पष्ट रूप से निंदा करता है. यह सैन्य अभियानों में बड़े पैमाने पर नागरिकों की मौत को भी अस्वीकार्य मानता है. अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून की तत्काल अवहेलना नहीं की जा सकती. हम सभी को युद्ध विराम का समर्थन करना चाहिए.’’

जयशंकर ने सार्थक अंतर्राष्ट्रीय कूटनीतिक प्रयासों में योगदान देने की भारत की इच्छा भी व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘भारत दो-राज्य समाधान का पक्षधर है. संघर्ष के विस्तार पर हमारी चिंताएँ भी बढ़ रही हैं. हम संयम बरतने और संचार बढ़ाने की वकालत करने के लिए उच्चतम स्तर पर इजराइल और ईरान दोनों के साथ नियमित रूप से संपर्क में हैं.’’

रूस-यूक्रेन संघर्ष पर अपना ध्यान केंद्रित करते हुए, विदेश मंत्री ने भूमध्य सागर द्वारा सामना की जाने वाली चुनौती सहित ‘गंभीर अस्थिर परिणामों’ पर जोर दिया. उन्होंने स्थिति पर भारत के रुख को दोहराया और कहा कि इस युग में विवादों को युद्ध से नहीं बल्कि केवल बातचीत और कूटनीति के माध्यम से सुलझाया जा सकता है. जयशंकर ने कहा, ‘‘यूक्रेन में संघर्ष को संबोधित करना हमारे समय की दूसरी सबसे बड़ी अनिवार्यता है. यह अपने तीसरे वर्ष में प्रवेश कर चुका है. इस संघर्ष के जारी रहने से भूमध्य सागर सहित कई क्षेत्रों में गंभीर अस्थिरता पैदा हो सकती है. यह स्पष्ट है कि युद्ध के मैदान से कोई समाधान नहीं निकलने वाला है. भारत ने हमेशा यह माना है कि इस युग में विवादों को युद्ध से नहीं सुलझाया जा सकता. संवाद और कूटनीति की ओर लौटना होगा. जितनी जल्दी हो सके उतना अच्छा है. आज दुनिया में, खासकर ग्लोबल साउथ में यह एक व्यापक भावना है.’’

उन्होंने लगभग तीन साल से चल रहे संघर्ष को समाप्त करने के प्रयास में रूस और यूक्रेन के नेताओं के साथ प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों का भी उल्लेख किया. जयशंकर ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उद्देश्य के लिए व्यक्तिगत रूप से रूस और यूक्रेन दोनों के नेताओं से संपर्क किया है. इसमें मॉस्को और कीव की उनकी यात्रा भी शामिल है. हमारे वरिष्ठ अधिकारी लगातार संपर्क में हैं. हमारा दृढ़ विश्वास है कि जो लोग साझा आधार खोजने की क्षमता रखते हैं, उन्हें इस जिम्मेदारी को निभाना चाहिए.’’

जयशंकर ने आगे कहा कि ‘पुनः वैश्वीकरण, पुनर्संतुलन और बहुध्रुवीयता’ के नए युग में भारत और भूमध्य सागर के बीच ‘करीबी और मजबूत’ संबंध बनाने की जरूरत है. उन्होंने कहा, ‘‘आज हम एक नए युग की दहलीज पर हैं. यह पुनः वैश्वीकरण, पुनर्संतुलन और बहुध्रुवीयता का युग है. यह प्रतिभा की गतिशीलता और हरित विकास पर जोर देने वाला अधिक प्रौद्योगिकी-केंद्रित भविष्य भी है. इस दुनिया में अवसर उतने ही अविभाज्य हैं जितने चिंताएं. भारत और भूमध्य सागर के बीच एक करीबी और मजबूत संबंध हम दोनों के लिए फायदेमंद होगा.’’

विदेश मंत्री इटली की तीन दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर हैं, जिसके दौरान वे इटली के फिउग्गी में जी7 विदेश मंत्रियों की बैठक के आउटरीच सत्र में भाग लेंगे, जहां भारत को अतिथि देश के रूप में आमंत्रित किया गया है. उन्होंने रविवार को रोम में भारतीय दूतावास के नए चांसरी का भी उद्घाटन किया.