भारत और बांग्लादेश को सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने होंगे, वे ‘शत्रुतापूर्ण’ संबंध बर्दाश्त नहीं कर सकते: तारिक करीम, बांग्लादेश के पूर्व राजदूत

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 13-01-2025
  Tariq A. Karim
Tariq A. Karim

 

ढाका. भारत में बांग्लादेश के पूर्व उच्चायुक्त तारिक ए करीम ने सोमवार को कहा कि भारत और बांग्लादेश को सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने होंगे और वे एक-दूसरे के साथ ‘शत्रुतापूर्ण’ संबंध बर्दाश्त नहीं कर सकते. एएनआई को दिए गए साक्षात्कार में पूर्व राजदूत ने कहा कि नई दिल्ली और ढाका को एक-दूसरे के साथ बातचीत करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि वे ‘एक-दूसरे के संकेतों को पार करके’ नीतियां नहीं बना सकते.

उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखना चाहते हैं, तो हमें एक-दूसरे से बात करनी चाहिए. हम एक-दूसरे के संकेतों को पार करके नीतियां नहीं बना सकते. हमें बातचीत करनी चाहिए और हमें तनाव कम करना चाहिए. बांग्लादेश और भारत एक-दूसरे के साथ शत्रुतापूर्ण संबंध बर्दाश्त नहीं कर सकते.’’

जब उनसे पूछा गया कि बांग्लादेश की नई सरकार को भारत के साथ स्थिर संबंध बनाए रखने के लिए किन प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, तो उन्होंने कहा, ‘‘आधिकारिक बातचीत में फिर से शामिल होना चाहिए और साथ ही लोगों के बीच संपर्कों में फिर से शामिल होना चाहिए, व्यापार और आर्थिक गतिविधियों को फिर से सक्रिय करना चाहिए, इनके बिना हम आगे नहीं बढ़ पाएंगे.’’

शेख हसीना के सत्ता से बाहर होने के बाद नेतृत्व परिवर्तन के बाद बांग्लादेश में आए बदलावों पर बोलते हुए, करीम ने कहा कि दोनों पक्षों में ‘बहुत सारी भावनाएं’ चल रही हैं, लेकिन भारत सरकार और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार दोनों एक-दूसरे के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखना चाहती हैं. उन्होंने कहा, ‘‘खैर, मीडिया और सोशल मीडिया में दोनों पक्षों में बहुत सारी भावनाएं चल रही हैं, लेकिन मेरा मानना है कि दोनों देशों की सरकारें एक-दूसरे के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखना चाहती हैं, और मुझे लगता है कि आधिकारिक संकेतों को हमें महत्व देना चाहिए क्योंकि सोशल मीडिया बहुत सारी खबरें और फर्जी खबरें फैलाएगा, जो माहौल को खराब करेगा, जो बांग्लादेश या भारत के हित में नहीं है.’’

छात्रों का विरोध प्रदर्शन एक बड़े विद्रोह में बदल गया, जिसके कारण कई सप्ताह तक चले विरोध प्रदर्शनों और झड़पों के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से बाहर होना पड़ा, जिसमें 600 से अधिक लोग मारे गए. हसीना (76) ने भारत में शरण ले ली और नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में ढाका में एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया.

जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें नई सरकार के तहत बांग्लादेश के प्रति भारत के दृष्टिकोण में बदलाव की उम्मीद है, तो तारिक ए करीम ने कहा कि हर देश का अपना राष्ट्रीय हित होता है और दो देशों के बीच संबंध ‘एक-दूसरे के राष्ट्रीय हितों को सौहार्दपूर्ण तरीके से संबोधित करने की उनकी क्षमता’ से तय होते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘हर देश के विदेशी संबंध उसके अपने राष्ट्रीय हितों की धारणाओं पर आधारित होते हैं. हमारा अपना राष्ट्रीय हित है और उनका अपना राष्ट्रीय हित है. दो देशों के बीच मित्रता इस बात पर निर्भर करती है कि वे एक-दूसरे के राष्ट्रीय हितों को सौहार्दपूर्ण तरीके से संबोधित करते हैं या नहीं, ताकि दोनों देशों के राष्ट्रीय हित एक ऐसे बिंदु पर आकर मिलें, जहाँ संतुलन हो, आप इसे मित्रता कहते हैं. अगर संतुलन बदलता है, तो रिश्ते में उथल-पुथल होगी.’’

उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों को शेख हसीना के मुद्दे को किनारे रखना होगा और इसके बजाय व्यापार और संपर्क को जारी रखने और विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा. उन्होंने कहा, ‘‘बांग्लादेश में शासन परिवर्तन हुआ है, और यह निर्विवाद है कि भारत ने शेख हसीना को भारत में रहने की अनुमति दी है. अब, हमें एक-दूसरे की आपसी चिंताओं को दूर करना होगा, उस कारक को किनारे रखना होगा और इसे केंद्रीय नहीं बनाना होगा, क्योंकि ऐसा करने से, हम अन्य मुद्दों को अस्पष्ट कर सकते हैं जो हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं, यानी सीमाओं पर सद्भाव बनाए रखना, व्यापार को जारी रखना और विस्तार करना, साथ ही हमारे पूर्व में हमारे पड़ोसियों के साथ संपर्क. सहयोग का बड़ा सवाल तनाव में आ जाएगा. दोनों देशों के लिए, आय में उच्च वृद्धि की दिशा में विकास में आत्मनिर्भरता और स्वायत्तता के लक्ष्य तक पहुँचने के लिए क्षेत्रीय सहयोग की राह पर आगे बढ़ना आवश्यक है.’’

उल्लेखनीय है कि अंतरिम बांग्लादेश सरकार ने भारत से शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है. विदेश मंत्रालय ने ढाका से अनुरोध प्राप्त होने की पुष्टि की है. इसने ‘लोकतांत्रिक स्थिर, शांतिपूर्ण, प्रगतिशील और समावेशी बांग्लादेश’ के लिए भारत के समर्थन की पुष्टि की और नई दिल्ली और ढाका के बीच संबंधों में दोनों देशों के लोगों को मुख्य हितधारक बताया.

इससे पहले दिन में, भारत में बांग्लादेश के उप उच्चायुक्त नूरल इस्लाम को विदेश मंत्रालय ने तलब किया था. यह समन ढाका में भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा को बांग्लादेश विदेश मंत्रालय द्वारा रविवार को तलब किए जाने के एक दिन बाद आया है. बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने भारत-बांग्लादेश सीमा पर हाल ही में बाड़ लगाने पर ‘गहरी चिंता’ जताई थी और अपनी आपत्तियों को व्यक्त करने के लिए भारतीय उच्चायुक्त को तलब किया था. आज विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश के राजदूत को बताया कि ‘बाड़ लगाने सहित सीमा पर सुरक्षा उपायों के संबंध में भारत ने दोनों सरकारों और सीमा सुरक्षा बल तथा सीमा रक्षक बलों के बीच सभी प्रोटोकॉल और समझौतों का पालन किया है.’