दुबई
यमन के हूती विद्रोहियों ने सोमवार को दावा किया कि अमेरिका द्वारा रास ईसा तेल बंदरगाह पर किए गए हवाई हमले में कम से कम 38 लोग मारे गए हैं, जबकि 102 अन्य घायल हुए हैं.यह हमला 15 मार्च से जारी अमेरिकी हमलों की श्रृंखला में अब तक का सबसे घातक बताया जा रहा है.
अमेरिकी सेना की ‘सेंट्रल कमांड’ ने हमले की पुष्टि की है, लेकिन जान-माल के नुकसान पर कोई टिप्पणी नहीं की.हूती समर्थित ‘अल-मसीरा’ चैनल ने बंदरगाह पर हमले के बाद की ग्राफिक फुटेज जारी की, जिसमें घटनास्थल पर शव बिखरे हुए दिखाई दे रहे थे.
चैनल के अनुसार, हमले में अर्द्धचिकित्सक और असैन्य कर्मचारी मारे गए.धमाके के बाद इलाके में भीषण आग लग गई.सेंट्रल कमांड ने अपने बयान में कहा, “अमेरिकी बलों ने ईरान समर्थित हूती आतंकवादियों के ईंधन स्रोत को खत्म करने और उन्हें अवैध राजस्व से वंचित करने के लिए यह कार्रवाई की.
यही धन पिछले एक दशक से इस क्षेत्र में आतंक फैलाने की उनकी गतिविधियों का वित्तपोषण कर रहा था.”बयान में यह भी कहा गया कि इस हमले का उद्देश्य यमन की आम जनता को नुकसान पहुंचाना नहीं था। “यमन के लोग हूती आतंक से मुक्ति और शांतिपूर्ण जीवन के हकदार हैं.”
इसी बीच, इज़राइली सेना ने जानकारी दी कि ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों ने शुक्रवार को इज़राइल की ओर एक मिसाइल दागी थी, जिसे बीच में ही नष्ट कर दिया गया.इस हमले के बाद तेल अवीव समेत कई इलाकों में सायरन बजने लगे.
वहीं अमेरिका ने आरोप लगाया है कि एक चीनी उपग्रह कंपनी हूती हमलों में “प्रत्यक्ष सहयोग” कर रही है। हालांकि, बीजिंग ने इस पर कोई तत्काल प्रतिक्रिया नहीं दी है.गौरतलब है कि यमन में वर्षों से चल रहे गृहयुद्ध और क्षेत्रीय हस्तक्षेपों के चलते हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं.अमेरिका और उसके सहयोगी इन हमलों को क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा मानते हैं.