हुंजा. पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित-बाल्टिस्तान (पीओजीबी) के हुंजा में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए, क्योंकि स्थानीय निवासियों ने क्षेत्र की बिजली आपूर्ति को जगलोट गुरु पावर स्टेशन से जोड़ने के सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया.
प्रदर्शनकारियों ने योजना से अपना असंतोष व्यक्त किया है. उनका तर्क है कि पावर स्टेशन डैन्योर और गिलगित जैसे आस-पास के क्षेत्रों की बिजली की जरूरतों को पूरा करने में विफल रहा है और इसलिए इससे अधिक दूरस्थ और ऊर्जा की मांग वाले हुंजा क्षेत्र की सेवा करने की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए.
पामीर टाइम्स से बात करते हुए, विरोध आयोजकों के प्रवक्ता एजाज गिलगिती ने गुरु पावर स्टेशन की अपर्याप्तता पर जोर देते हुए दावा किया कि यह अपने वर्तमान सेवा क्षेत्रों की जरूरतों को पूरा करने में असमर्थ रहा है. उन्होंने तर्क दिया कि हुंजा से अतिरिक्त मांग को स्थानांतरित करने से क्षेत्र को पहले से ही प्रभावित करने वाली बिजली की कमी और भी बदतर हो जाएगी.
गिलगिती ने बताया कि सरकार की यह घोषणा कि हुंजा को जगलोट से 1.2 मेगावाट बिजली मिलेगी, एक झूठे और भ्रामक बयान से ज्यादा कुछ नहीं है. उन्होंने लोगों को महीनों पहले किए गए इसी तरह के प्रयास की याद दिलाई, जब सरकार ने हुंजा के लोगों को सत्ता-साझाकरण समझौते को स्वीकार करने के लिए मनाने की कोशिश की थी. उन्होंने कहा कि पिछला प्रयास, जो चार महीने तक चला, बिजली आपूर्ति की अपर्याप्तता के कारण बुरी तरह विफल रहा, जिससे क्षेत्र अंधेरे में डूब गया.
उन्होंने कहा, ‘‘वर्तमान में, सरकार फर्जी खबरें फैला रही है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि हम, हुंजा के लोग, जगलोट से 1.2 मेगावाट बिजली प्राप्त करेंगे. यह पहली बार नहीं है जब ऐसा प्रयास किया गया है. चार महीने पहले भी हमें धोखा देने का ऐसा ही प्रयास किया गया था. हम इस प्रस्ताव को अस्वीकार करते हैं. हमें नहीं पता कि इसके पीछे असली एजेंडा क्या है.’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘यह लोगों के बीच विभाजन पैदा करने की एक चाल है. सरकार हुंजा और अन्य क्षेत्रों के लोगों के बीच संघर्ष और कलह को भड़काने की कोशिश कर रही है.’’
योजना को पूरी तरह से खारिज करते हुए प्रदर्शनकारियों ने हुंजा की बिजली जरूरतों को पूरा करने के लिए अधिक टिकाऊ समाधान की मांग की. उन्होंने मांग की कि सरकार विश्वसनीय बुनियादी ढांचे के निर्माण में निवेश करे जो उनके क्षेत्र में बिजली की बढ़ती मांग को पूरा कर सके, बजाय इसके कि पहले से ही बोझ से दबे एक असफल बिजलीघर पर निर्भर रहा जाए.