जर्मनी ने बर्लिन में ईरानी दूतावास के दो कर्मचारियों को गैर-ग्रेटे घोषित किया है और उन्हें देश छोड़ने का आदेश दिया है, विदेश कार्यालय के एक बयान में बुधवार को कहा गया. ईरानी अदालत द्वारा जर्मन-ईरानी नागरिक जमशेद शर्माहद को मौत की सजा सुनाए जाने के बाद इस फैसले की घोषणा की गई.
विदेश मंत्री अन्नालेना बेयरबॉक ने कहा कि जर्मनी ने फैसले पर ईरान के प्रभारी डीआफेयर को भी तलब किया. उन्होंने बताया, ‘‘उन्हें सूचित किया गया था कि हम एक जर्मन नागरिक के अधिकारों के बड़े पैमाने पर उल्लंघन को स्वीकार नहीं करते हैं.’’ ‘‘हम ईरान से जमशेद शर्माहद की मौत की सजा को रद्द करने और कानून के शासन के आधार पर उचित अपील प्रक्रिया प्रदान करने का आह्वान करते हैं.’’
तेहरान में अधिकारियों ने आतंकवादी गतिविधियों के लिए दोषी ठहराए जाने के बाद मंगलवार को 67 वर्षीय शर्माहद को मौत की सजा सुनाई. ईरान ने उन पर एक सशस्त्र समर्थक राजतंत्रवादी समूह का नेतृत्व करने का आरोप लगाया, जिसके बारे में उनका कहना है कि उसने 2008 में शिराज में एक मस्जिद पर घातक आतंकवादी हमला किया था.
शर्माहद एक अमेरिकी निवासी भी हैं और उन्होंने आरोपों से इनकार किया है. उनके परिवार ने कानूनी प्रक्रिया को ‘दिखावा मुकदमे’ के रूप में वर्णित किया है. इस फैसले के खिलाफ ईरान के सुप्रीम कोर्ट ऑफ जस्टिस में अपील की जा सकती है.
बर्लिन ने कहा है कि शर्माहद के पास ‘निष्पक्ष परीक्षण की शुरुआत भी नहीं’ थी और परीक्षण तक पहुंच से इनकार कर दिया गया था. जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज ने बुधवार को मौत की सजा को अस्वीकार्य बताया और आरोप लगाया कि ईरानी शासन ‘हर संभव तरीके से अपने ही लोगों से लड़ता है और मानवाधिकारों की अवहेलना करता है.’
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