ब्रिटेन : दो ब्रिटिश भारतीयों से किंग चार्ल्स तृतीय ने वापस लिए सम्मान

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 07-12-2024
Britain: King Charles III withdraws honors from two British Indians
Britain: King Charles III withdraws honors from two British Indians

 

लंदन. ब्रिटिश भारतीय समुदाय की दो प्रमुख हस्तियों - रामी रेंजर और हिंदू काउंसिल यूके के मैनेजिंग ट्रस्टी अनिल भनोट - को मिले सम्मान किंग चार्ल्स तृतीय ने वापस ले लिए हैं.  

किंग ने करोड़पति रेंजर से सीबीई (कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर) की उपाधि और लीसेस्टर में सामुदायिक कला केंद्र चलाने वाले एक प्रैक्टिसिंग अकाउंटेंट भनोट से ओबीई (ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर) की उपाधि छीन ली. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शुक्रवार को 'लंदन गजट' में यह घोषणा की गई. दोनों से अपना प्रतीक चिन्ह बकिंघम पैलेस को लौटाने के लिए कहा जाएगा.

एक जब्ती समिति उन मामलों पर विचार करती है जिनमें सम्मान धारक को सम्मान प्रणाली को बदनाम करने वाला माना जा सकता है. जब्ती संबंधी समिति की सिफारिशें ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर के माध्यम से राजा को सौंपी गईं.

रेंजर और भनोट ने इस कदम की निंदा करते हुए इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया.

सामुदायिक सामंजस्य के लिए ओबीई सम्मान पाने वाले भनोट ने कहा कि जनवरी में जब्ती कमेटी ने उनसे संपर्क किया था और उन्होंने अपना पक्ष रखा था. उन्होंने कहा, "मुझे लगा कि यह ठीक रहेगा, लेकिन जाहिर तौर पर ऐसा नहीं हुआ."

रिपोर्ट के मुताबिक भनोट ने जानकारी दी कि इस्लामोफोबिया का आरोप लगाने वाली शिकायत, 2021 में बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा के बारे में उनके ट्वीट्स के बारे में थी. एक वेबसाइट ने इन ट्वीट्स के बारे में चार्टर्ड अकाउंटेंट्स संस्थान और चैरिटी कमीशन से शिकायत की थी और दोनों ने ही उन्हें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के आधार पर बरी कर दिया.

भनोट ने बताया कि उन्हें नहीं पता कि जब्ती समिति से किसने शिकायत की. उन्होंने इस बात से इनकार किया कि उसने इस्लामोफोबिक कुछ भी कहा था.

भनोट ने कहा, "उस समय हमारे मंदिरों को नष्ट किया जा रहा था और हिंदुओं पर हमला किया जा रहा था लेकिन मीडिया इसका कवरेज नहीं कर रहा था. मुझे उन लोगों के लिए सहानुभूति महसूस हुई. मुझे लगा कि किसी को कुछ कहना चाहिए. यह वैसा ही था जैसा कि अब हो रहा है, लेकिन छोटे पैमाने पर. मैं संवाद और विधायी उपायों की मांग कर रहा था. मैंने कुछ भी गलत नहीं किया और न ही मैंने सम्मान प्रणाली को बदनाम नहीं किया. इंग्लैंड में अब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अतीत की बात हो गई है. मैं इससे काफी परेशान हूं. क्योंकि यह एक सम्मान है, मुझे नहीं लगता कि उन्होंने मेरी दलील पर बिल्कुल भी ध्यान दिया."

कंजर्वेटिव पार्टी के समर्थक और ब्रिटेन स्थित एफएमसीजी फर्म सन मार्क लिमिटेड के संस्थापक, लॉर्ड रामी रेंजर के प्रवक्ता ने फैसले को 'अन्यायपूर्ण' बताया और कहा कि रेंजर इसे चुनौती देंगे.

 

रेंजर को दिसंबर 2015 की नए साल की सम्मान सूची में दिवंगत महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की ओर से ब्रिटिश व्यापार और एशियाई समुदाय के लिए की गई सेवाओं के लिए सीबीई से सम्मानित किया गया था.

 

हालांकि यूके कैबिनेट कार्यालय की जब्ती समिति ऐसी सिफारिशों के पीछे अपने कारणों को स्पष्ट नहीं करती है, लेकिन यह कदम पिछले साल लॉर्ड्स जांच के बाद उठाया गया, जिसमें निष्कर्ष निकाला गया कि रेंजर ने 'धमकाने और उत्पीड़न' से संबंधित संसदीय आचार संहिता का उल्लंघन किया था.

 

लॉर्ड रेंजर के प्रवक्ता ने कहा कि वे 'अन्यायपूर्ण निर्णय' को चुनौती देने पर विचार कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "लॉर्ड रेंजर ने कोई अपराध नहीं किया है और न ही उन्होंने कोई कानून तोड़ा है, जबकि इस तरह से अपना सम्मान रद्द करने वाले अधिकांश लोगों ने अपराध किया है या कानून तोड़ा है.

 

प्रवक्ता ने आगे कहा कि वह अपने लिए खुले विभिन्न कानूनी रास्तों के माध्यम से अपील के लिए सभी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं. लॉर्ड रेंजर अपने सीबीई के योग्य प्राप्तकर्ता थे. जिस तरह से यह उनसे छीना गया है, वह शर्मनाक है.”