ढाका. भारत के पूर्वोत्तर में उग्रवाद को बढ़ावा देने के लिए हथियारों की तस्करी के मामले में मुख्य आरोपियों में से एक बांग्लादेश के पूर्व मंत्री लुत्फोज्जमान बाबर को गुरुवार को ढाका की सेंट्रल जेल से रिहा कर दिया गया. यह मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार का एक और विवादास्पद कदम है. विश्लेषकों का मानना है कि इससे संकटग्रस्त देश में कट्टरपंथी तत्वों को और बढ़ावा मिलेगा.
2004 में खालिदा जिया के नेतृत्व वाली बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी)-जमात-ए-इस्लामी गठबंधन सरकार में गृह राज्य मंत्री के रूप में कार्य करने वाले बाबर को मई 2007 में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर ग्रेनेड हमले और चटगांव के रास्ते प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) को 10 ट्रक हथियार और गोला-बारूद की तस्करी के प्रयास के मामलों में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. यह संगठन असम को भारत से अलग करने की कोशिश कर रहा था.
शस्त्र अधिनियम और विशेष अधिकार अधिनियम के तहत सलाखों के पीछे बंद बाबर यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार के सत्ता में आने से पहले मौत और आजीवन कारावास की सजा काट रहा था. पिछले साल अगस्त में हसीना सरकार के गिरने के बाद कई मामलों में उसे बरी करने की प्रक्रिया शुरू की गई थी. पिछले महीने बाबर और छह अन्य को विशेष अधिकार अधिनियम मामले में उच्च न्यायालय ने बरी कर दिया था, जबकि उल्फा प्रमुख परेश बरुआ की सजा को मौत से घटाकर आजीवन कारावास कर दिया गया था.
इस निर्णय की कड़ी आलोचना करते हुए कई बांग्लादेशियों ने इसे ‘अवैध सरकार और उसकी कठपुतली न्यायपालिका’ द्वारा एक ऐसे देश में किया गया ‘एक और शर्मनाक कृत्य’ करार दिया, ‘‘जहां न्याय का राजनीतिकरण और अराजकता आम बात हो गई है.’’ उन्होंने जोर देकर कहा कि बांग्लादेश में न्यायपालिका अब बीएनपी को बचाने के लिए ‘मात्र उपकरण’ बनकर रह गई है.
बांग्लादेश स्टूडेंट्स लीग के अध्यक्ष हुसैन सद्दाम ने एक्स पर लिखा, ‘‘10 ट्रक हथियार बरामदगी मामले में लुत्फोज्जमान बाबर और अन्य को उच्च न्यायालय द्वारा बरी करना दक्षिण एशिया के सबसे बड़े हथियार बरामदगी में से एक में उनकी संलिप्तता के भारी सबूतों की अनदेखी करता है. हथियार उल्फा और एनएससीएन-आईएम जैसे विद्रोही समूहों के लिए थे, जो राष्ट्रीय और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहे थे. यह (फैसला) इस आशंका को पुष्ट करता है कि दक्षिण एशियाई क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता दशकों में सबसे कमजोर स्थिति में है.’’
इस सप्ताह की शुरुआत में, बाबर को ‘10 ट्रक हथियार बरामदगी मामले’ में भी बरी कर दिया गया था, जिससे सभी कानूनी बाधाएं दूर हो गईं और गुरुवार को 17 साल बाद उसकी रिहाई का रास्ता साफ हो गया.
बांग्लादेश के रसातल में जाने के साथ ही यूनुस सरकार पर देश में इस्लामी ताकतों को खुली छूट देने का आरोप लगाया गया है. पिछले सप्ताह कई रिपोर्टों में कहा गया कि अंतरिम सरकार ने बांग्लादेश सेना के बर्खास्त मेजर सैयद जिया-उल हक को बरी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जो अल कायदा से जुड़ा हुआ है और अमेरिका द्वारा सख्त वांछित है. दिसंबर 2021 में, अमेरिकी विदेश विभाग की राजनयिक सुरक्षा सेवा ने अपने रिवॉर्ड्स फॉर जस्टिस कार्यालय के माध्यम से हक (उर्फ मेजर जिया) और अकरम हुसैन की गिरफ्तारी या दोषसिद्धि के लिए सूचना देने पर 5 मिलियन डॉलर तक का इनाम देने की पेशकश की, जो चार अन्य व्यक्तियों के साथ ढाका में फरवरी 2015 में हुए आतंकवादी हमले में शामिल पाए गए थे, जिसमें अमेरिकी नागरिक अविजित रॉय की मौत हो गई थी और उनकी पत्नी रफीदा बोन्या अहमद गंभीर रूप से घायल हो गई थीं.
बांग्लादेश में जन्मे दोनों अमेरिकी नागरिक एक पुस्तक मेले में भाग लेने के लिए ढाका जा रहे थे, जब हमलावरों ने उन पर छुरे से हमला किया. रॉय की मौत हो गई, जबकि अहमद गंभीर रूप से घायल हो गए. अमेरिकी विदेश विभाग के अनुसार, बांग्लादेश में स्थित अलकायदा से प्रेरित आतंकवादी समूह अंसारुल्लाह बांग्ला टीम ने ढाका में अपनी टीम के माध्यम से हमले की जिम्मेदारी ली है.
बाद में कथित तौर पर पाकिस्तान भाग जाने वाले जिया को बांग्लादेशी अधिकारियों द्वारा भी वांछित माना जा रहा था, जिन्होंने जागृति प्रोकशन के फोयसल अरेफिन दीपोन और कलाबागान के जुल्हास-टोनॉय की हत्या के मामलों में 2016 में उसे खोजने के लिए 2 मिलियन टका घोषित किया था. इससे पहले, 2011 में, उसने एक असफल तख्तापलट के प्रयास के आयोजन में भी प्रमुख भूमिका निभाई थी.
वीजा चाहने वाले पाकिस्तानी नागरिकों के लिए अनिवार्य सुरक्षा मंजूरी की नीति में हाल ही में व्यापक रूप से ढील दी गई थी, जिससे जिया को पाकिस्तानी पासपोर्ट पर ढाका लौटने में सुविधा हुई.
रिपोर्टों का हवाला दिया गया कि, अपनी वापसी के तुरंत बाद, जिया ने औपचारिक रूप से सभी आरोपों से बरी होने और 29 दिसंबर, 2024 को श्मोस्ट-वांटेडश् सूची से हटाए जाने के लिए आवेदन किया, जबकि सभी दोषसिद्धियों को रद्द करने और इनाम वापस लेने की मांग की.
दिलचस्प बात यह है कि स्थानीय मीडिया ने बताया कि बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण की गुमशुदगी समिति के प्रमुख न्यायमूर्ति मैनुल इस्लाम चौधरी, जो पूरे मामले की जांच करेंगे, जिया के ससुर हैं.