ढाका. बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार गिरने और मोहम्मद यूनुस के सत्ता संभालने के बाद सूफी दरगाहों पर लगातार हमले हुए हैं. हिज्ब-उत-तहरीर और जमात-ए-इस्लामी जैसे कट्टरपरंथी गुटों ने बीते साल अगस्त के बाद से 100 से ज्यादा सूफी दरगाहों पर हमले कर उनको नुकसान पहुंचाया है. वहीं यूनुस सरकार ने इसे लगातार नजरअंदाज करने की कोशिश की है. 100 से ज्यादा दरगाहों पर हमले में अभी तक सिर्फ 20 लोगों की गिरफ्तारी हुई है. ये दिखाता है कि सरकार का रुख भी कट्टरपंथियों के हौसले बढ़ा रहा है.
एनबीटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश में सूफी इस्लाम के मानने वालों की संख्या 3 से 6 करोड़ के बीच मानी जाती है. बांग्लादेश में पीरों और सूफी आध्यात्मिक उस्तादों की 12,000 से ज्यादा मजारें और करीब 17,000 दरगाहें हैं. ये मजारें देशभर में फैली हुई हैं. सूफी समुदाय 5 अगस्त, 2024 को शेख हसीना के हटने बाद हमलों का शिकार हो रहा है. जमात-ए-इस्लामी और हिज्ब जैसे गुट इन पर हमलावर हैं, जो सूफीवाद का विरोध करते हैं. बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर भी बीते कुछ महीनों में हमले हुए हैं.
ग्लोबल सूफी ऑर्गनाइजेशन के नेता हसन शाह सुरेश्वरी दीपू नूरी ने कहा, ‘‘कट्टरपंथी पूरे बांग्लादेश में सूफी दरगाहों को खत्म करने की धमकी दे रहे हैं. वे कहते हैं कि दरगारों में कव्वाली होती है और गाना-नाचना इस्लाम विरोधी है. ऐसे में ये खत्म होना चाहिए.’’
ग्लोबल सूफी ऑर्गनाइजेशन 5,000 दरगाहों और उनके अनुयायियों का प्रतिनिधित्व करता है.
बांग्लादेश में बीते साल हसीना सरकार गिरने के तुरंत बाद सूफी दरगाहों पर हमले शुरू हो गए थे. 6 सितंबर को कट्टरपंथियों की भीड़ ने सिलहट में हजरत शाह पोरान दरगाह पर हमला किया था. इसके बाद जमात-ए-इस्लामी ने सोशल मीडिया पर पूरे देश में सूफी दरगाहों और खानकाहों पर विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया. इससे सूफी दरगाहों पर हमले बढ़ गए.
सूफी दरगाहों पर हमलों को मामले में यूनुस सरकार ने अब तक केवल 20 गिरफ्तारियां की हैं. यह कार्रवाई हमलों की संख्या की तुलना में नाकाफी है. इससे साफ है कि सरकार सूफी समुदाय को सुरक्षा देने में गंभीर नहीं है. ग्लोबल सूफी ऑर्गनाइजेशन ने कहा है कि सरकार को उनकी सुरक्षा का जिम्मा उठाना चाहिए, जो कि अभी नहीं हुआ है.
हसन शाह सुरेश्वरी दीपू नूरी ने कहा कि बांग्लादेश में सूफी समुदाय सदियों से रहता है. इस समुदाय का देश की संस्कृति और इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है. उन पर कट्टरपंथियों की ओर से हो रहे हमले बांग्लादेश की सांस्कृतिक विरासत पर हमले हैं. सरकार को कदम उठाते हुए इसे तुरंत रोकना चाहिए.