ढाका. बांग्लादेश में बदमाशों द्वारा सूफी दरगाहों को निशाना बनाए जाने की खबरें सामने आने के कुछ दिनों बाद, श्रद्धालुओं और स्वयंसेवकों ने दरगाहों को किसी भी संभावित खतरे से बचाने की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली है. स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, कुछ ‘बदमाशों’ ने देर रात सिलहट में हजरत शाह परान दरगाह पर हमला किया, जबकि श्रद्धालु दरगाह पर उर्स मना रहे थे.
सिलहट क्षेत्र के 14वीं सदी के सूफी संत शाह परान ने अपने मामा शाह जलाल के नेतृत्व में 1303 में सिलहट की विजय में भाग लिया था. इन हमलों की खबरों ने श्रद्धालुओं को भयभीत कर दिया है. ढाका के मध्य में गोलाप शाह सूफी दरगाह में लंबे समय से सुरक्षा गार्ड रहे जहीर ने राजधानी के बाहर दरगाहों पर हमलों के बारे में सुनकर अपना आश्चर्य व्यक्त किया.
जहीर ने बताया, ‘‘दरगाहों में बहुत परेशानी थी. हम बहुत दबाव में थे. बदमाशों ने दरगाहों पर हमला करने की धमकी दी थी. आगे की घटनाओं को रोकने के लिए, सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए गोलाप शाह दरगाह सहित विभिन्न दरगाहों में सुरक्षा बलों और भक्तों के बीच से स्वयंसेवी समूहों को तैनात किया गया है.
जहीर ने कहा, ‘‘सेना सहित विभिन्न सुरक्षा बलों ने पर्याप्त सुरक्षा प्रदान की है. भक्त यहां तैनात हैं. वे चार या पांच दिनों से, दिन-रात, 24 घंटे यहां हैं. अल्लाह की कृपा से, यहां कोई अराजकता नहीं हुई.’’
मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने हमलों की निंदा की और सुरक्षा बलों से कार्रवाई करने को कहा. मुख्य सलाहकार के कार्यालय ने एक बयान में कहा, ‘‘हमारे संज्ञान में आया है कि पिछले कुछ दिनों में देश में उपद्रवियों का एक समूह सूफी दरगाहों और मजारों पर हमला कर रहा है. अंतरिम सरकार धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों और सूफी दरगाहों पर किसी भी तरह के घृणास्पद भाषण और हमले की कड़े शब्दों में निंदा करती है. सरकार हमलों में शामिल बेईमान ताकतों को कानून के कठघरे में लाने और उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई शुरू करने के लिए काम कर रही है. कानून लागू करने वाली एजेंसियों को धार्मिक स्थलों और सांस्कृतिक स्थलों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त उपाय करने के निर्देश दिए गए हैं.’’
बयान में आगे कहा गया, ‘‘बांग्लादेश हजारों सालों से सांप्रदायिक सद्भाव और सभी मान्यताओं के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का देश है. हम स्पष्ट शब्दों में कह रहे हैं कि हम सद्भाव का देश बने रहेंगे और धार्मिक या सांस्कृतिक सहिष्णुता और सद्भाव को बिगाड़ने के किसी भी प्रयास से बिना किसी भेदभाव के सख्ती से निपटा जाएगा.’’
एक महीने पहले, छात्रों के नेतृत्व वाले आंदोलन ने कई हफ्तों तक चले विरोध प्रदर्शनों और झड़पों के बाद बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से हटा दिया था, जिसके परिणामस्वरूप 600 से अधिक मौतें हुईं. शेख हसीना 5 अगस्त को भारत भाग गईं और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया.