मैं कौन होता हूं निर्णय करने वाला? पोप फ्रांसिस की बोलने की शैली अनौपचारिक और हल्की-फुल्की थी

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 21-04-2025
Who am I to judge? Pope Francis' speaking style was informal and light-hearted
Who am I to judge? Pope Francis' speaking style was informal and light-hearted

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली

 

पोप फ्रांसिस की बोलने की शैली अनौपचारिक और हल्के-फुल्के अंदाज की थी और कभी-कभी वह अपनी मूल स्पेनिश और इतालवी भाषा के संयोजन में भी शब्द बनाते थे. उनका सोमवार को 88 उम्र में निधन हो गया. 
 
उनके कुछ यादगार उद्धरण

तेरह मार्च 2013 को पोप के रूप में निर्वाचित होने के बाद सेंट पीटर्स बेसिलिका के बरामदे से फ्रांसिस ने सबसे पहले कहा कि भाइयों और बहनों, शुभ संध्या."
 
गरीबों को याद रखने की अपील

फ्रांसिस ने 16 मार्च 2013 को पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि कैसे कार्डिनल क्लाउडियो ह्यूम्स ने उन्हें फ्रांसिस नाम चुनने का विचार दिया था. उन्होंने कहा, “ जब मतों की गिनती दो तिहाई तक पहुंच गई, तो वहां तालियां बजीं, क्योंकि पोप चुने जा चुके थे. और उन्होंने (कार्डिनल क्लाउडियो ह्यूम्स ने) मुझे गले लगाया और चूमा और कहा: गरीबों को मत भूलना!' और ये शब्द मेरे दिमाग में आए: गरीब, गरीब. फिर, गरीबों के बारे में सोचते हुए, मुझे तुरंत फ्रांसिस ऑफ असीसी का ख्याल आया. फिर मैंने सभी युद्धों के बारे में सोचा, क्योंकि वोटों की गिनती अभी भी जारी थी. फ्रांसिस शांति समर्थक व्यक्ति भी हैं. इस तरह से यह नाम मेरे दिल में आया: फ्रांसिस ऑफ असीसी. मैं एक ऐसा चर्च कैसे चाहूंगा जो गरीबों का हो और गरीब लोगों के लिए हो."
 
दया की गुहार

फ्रांसिस ने अपनी खिड़की से 17 मार्च 2013 को पहली एंजेलस प्रार्थना में कहा, “ इन दिनों, मैं एक कार्डिनल कैस्पर की किताब पढ़ रहा हूं जो एक अच्छे धर्मशास्त्री हैं. यह किताब दया के बारे में है. और इस किताब से मेरा काफी भला हुआ है. हालांकि ऐसा मत सोचो कि मैं सिर्फ अपने कार्डिनल की किताबों का प्रचार कर रहा हूं! ऐसा नहीं है. लेकिन इसने मुझे पर बहुत अच्छा प्रभाव डाला है. कार्डिनल कैस्पर ने कहा कि दया को महसूस किया जाए. यह शब्द सब कुछ बदल देता है. यह सबसे अच्छी चीज़ है जिसे हम महसूस कर सकते हैं: यह दुनिया को बदल देती है. थोड़ी-सी दया इस दुनिया को कम कठोर और अधिक न्यायपूर्ण बना देती है.”
 
बेनेडिक्ट के लिए शुभकामनाएं

फ्रांसिस ने अपने चुनाव के बाद 23 मार्च 2013 को पहली बार एमेरिटस पोप बेनेडिक्ट 16वें से मुलाकात करते हुए कहा, “ हम भाई हैं.”
 
एक स्वागत वाक्यांश

फ्रांसिस ने एक कथित समलैंगिक पादरी के बारे में 28 जुलाई 2013 को पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए टिप्पणी की, "मैं कौन होता हूं निर्णय करने वाला?" इस टिप्पणी ने ऐसे पोप कार्यकाल की दिशा तय की जो एलजीबीटीक्यू+ कैथोलिकों के लिए ज़्यादा स्वागतपूर्ण और अपनाने वाला होगा.
 
इस्लाम से संपर्क

फ्रांसिस ने 23 मई 2016 को प्रतिष्ठित सुन्नी मुस्लिम शिक्षा केंद्र अल-अजहर विश्वविद्यालय के इमाम-ए-आज़म शेख अहमद अल-तैयब से मुलाकात करते हुए कहा "बैठक अपने-आप में ही एक संदेश है."
 
महामारी

सेंट पीटर्स स्क्वायर में 27 मार्च, 2020 को कोरोना वायरस महामारी के अंत के लिए प्रार्थना करते हुए फ्रांसिस ने कहा, “ हमने महसूस किया है कि हम एक ही नाव पर सवार हैं. हम सभी कमजोर और भ्रमित हैं, लेकिन साथ ही महत्वपूर्ण और आवश्यक भी हैं, हम सभी को एक साथ नाव चलाने के लिए बुलाया गया है, हम में से प्रत्येक को दूसरे को सांत्वना देने की आवश्यकता है.”
 
फ्रांसिस ने अल्बर्टा के मास्कवासिस में एक पूर्व स्कूल के स्थल पर कनाडा के आवासीय विद्यालयों में मूल व्यक्तियों के साथ दुर्व्यवहार के लिए माफी मांगते हुए कहा, “ मुझे खेद है. मैं विशेष रूप से उन तरीकों के लिए क्षमा मांगता हूं, जिनमें चर्च और धार्मिक समुदायों के कई सदस्यों ने, कम से कम अपनी उदासीनता के माध्यम से, उस समय की सरकारों द्वारा बढ़ावा दिए गए सांस्कृतिक विनाश और जबरन आत्मसात करने की परियोजनाओं में सहयोग किया, जिसका समापन आवासीय विद्यालयों की प्रणाली में हुआ.”
 
समलैंगिकता

पोप फ्रांसिस ने ‘एसोसिएटेड प्रेस’ को 24 जनवरी 2023 को दिए साक्षात्कार में कहा, “समलैंगिक होना कोई अपराध नहीं है.”