सेराज अनवर/पटना
यूपीएससी निकालने के लिए लोग नींद हराम कर देते हैं.यह देश का सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा है.लेकिन,ऐसा कम सुनने को मिला है कि आईपीएस रैंक मिलने के बाद भी किसी ने आईएएस बनने की ज़िद ठान रखी हो और उसमें सफलता भी मिली हो.बिहार पटना की निवासी ज़ुफ़िशां हक़ ने अपनी ज़िद और जुनून से यह कर दिखाया है.
यह मिसाल पेश करने वाली ज़ुफ़िशां सम्भवतः पहली मुस्लिम महिला है.ज़ुफ़िशां ने इस बार यूपीएससी में 34 वीं रैंक प्राप्त कर आख़िर अपने सपने को साकार कर दिखाया है.वह आईएएस बन गई है.आईएएस ही बनना चाहती थी.ज़ुफ़िशां को 2022 में भी यूपीएससी परीक्षा में सफलता मिली थी,पर 173 वां रैंक मिला था.उसने इस बार 139रैंक की छलांग लगा कर सबको चकित कर दिया है.173 से 34 वीं रैंक पर आना आसान नहीं है.
ज़ुफ़िशां को संवारने में बिहार हज भवन का बड़ा हाथ है.
कौन है ज़ुफ़िशां ?
ज़ुफ़िशां हक़ बिहार के जमुई की रहने वाली है.नाना घर नालन्दा ज़िले के इंढोस है.ननिहाल तालीमयाफता घराना है.फ़िलहाल परिवार पटना हारून नगर पेट्रोल पम्प के सामने फ़ेडरल प्लाज़ा में रहता है.पटना आईआईटी से तीन साल पहले ज़ुफ़िशा ने एमटेक किया है.
उन्हें पिछली बार आईपीएस मिला था.वह आईपीएस नहीं बनना चाहती थीं इसलिए बाद में आईआरएस मिला. फिलहाल जुफिशां देहरादून में ट्रेनिंग कर रही है. 66वीं बीपीएससी में बीडीओ बनीं बनी थी.जहानाबाद पोस्टिंग हुई पर उन्होंने ज्वॉइन नहीं किया.
उनका टारगेट आईएएस बनना था.इस साल उन्होंने अपने गोल को प्राप्त कर लिया. जुफिशां हज भवन में चलने वाले कोचिंग में भी पढ़ी थीं और मॉक इंटरव्यू में भी भाग लिया था.ज़ुफ़िशां बिहार की मुस्लिम बेटी में पहली लड़की है जिसने आईएएस बनने का गौरव प्राप्त किया.ज़ुफ़िशां एक ज़हीन छात्रा के साथ-साथ उच्च नैतिक मूल्यों की हिफ़ाज़त करने वाली और लड़कियों केलिए मशाल ए राह है.
आईएएस के लिए छोड़ दी बीडीओ की जॉब
66 वीं बीपीएससी में ज़ुफ़िशां का चयन प्रखंड विकास पदाधिकारी(बीडीओ) के पद पर हुआ था.लेकिन ज़ुफ़िशां ने बीडीओ की नौकरी नहीं की.इनको कुछ बड़ा करना था.2022में यूपीएससी के ज़रिया इनका चयन आईआरएस केलिए हुआ.हालांकि,इससे भी वह संतुष्ट नहीं हुई.एक बार फिर वह यूपीएससी परीक्षा में बैठी और इस बार उन्होंने कमाल कर दिया.
2023 के सिविल सर्विस में उन्हें 34वीं रैंक प्राप्त कर आख़िर आईएएस बनने के सपने को साकार कर ही दिया.ज़ुफ़िशां ने 10वीं और 12वीं की परीक्षा सीबीएससी बोर्ड से सिक्किम में रह कर मुकम्मल किया और वहीं से उन्होंने बी-टेक भी किया.उसके बाद आईआईटी पटना से उन्होंने एम-टेक किया.महफुजुल हक़ की बेटी ज़ुफ़िशां के बारे में कहा जाता है कि बचपन से ही पढ़ने में मेहनती थी.
बिहार स्टेट हज कमिटी के सीईओ राशिद हुसैन ने आवाज़ द वायस को बताया कि ज़ुफ़िशां की यह सफलता हज भवन में संचालित कोचिंग एवं गाईड़ेंस की भी उपलब्धि है.ज़ुफ़िशां की यह कामयाबी मिल्लत की बच्चियों को दिशा दिखाने का काम करेगी.
हज भवन कोचिंग क्या है
पटना के हार्डिंग रोड स्थित हज भवन में दीन और दुनिया दोनों संवारने का काम चलता है.एक तरफ हज यात्रा पर जाने वाले मुसलमानों को यहां ट्रेनिंग दी जाती है.दूसरी ओर अल्पसंख्यक नौजवानों को विभिन्न विभागों में अधिकारी बनने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है.
बिहार सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा संचालित हज भवन की कोचिंग एवं मार्ग दर्शन से अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों में नए उत्साह का संचार हुआ है.अल्पसंख्यक कल्याण विभाग इस कार्यक्रम के तहत अभ्यर्थियों को प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी के लिए हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराता है.
बीपीएससी की तैयारी के लिए मुफ्त आवासीय कोचिंग की व्यवस्था है. इस आवासीय कोचिंग में छात्रों को 24 घंटा लाइब्रेरी की भी सुविधा है. पूरे बिहार से बच्चे यहां निःशुल्क आवासीय कोचिंग योजना का लाभ लेने आते हैं.यहां बीपीएससी करने वाले यूपीएससी में भी झंडा गाड़ रहे हैं.