दुनिया का पहला हिजाब बैंड Voice of Baceprot आज करेगा प्रदर्शन

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 25-06-2024
The amazing trio of the world's first hijab heavy metal band Voice of Baceprot
The amazing trio of the world's first hijab heavy metal band Voice of Baceprot

 

ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली 
 
हिजाबी हेवी मेटल बैंड वॉयस ऑफ बेसप्रोट अगले सप्ताह ब्रिटेन के प्रतिष्ठित ग्लासटनबरी फेस्टिवल में प्रदर्शन करने वाला पहला इंडोनेशियाई बेंड बनने जा रहा है, जो इन मुस्लिम लड़कियों की तिकड़ी के शानदार करियर में एक और मील का पत्थर साबित होगा.

वॉयस ऑफ़ बेसप्रोट को पिछले महीने ही फोर्ब्स एशिया की अंडर-30 सूची में भी शामिल किया गया है. समूह ने यूरोप और अमेरिका का दौरा किया है. हाल ही में इस बेंड ने अपना पहला एल्बम पहला सिंगल "school revolution" रिलीज़ किया है. जिसे सोशल मीडिया पर शानदार रेस्पोंस मिला.
 
ये बेंड अपने संगीत के ज़रिए भविष्य की पीढ़ियों के लिए दुनिया को बेहतर बनाने की उम्मीद करता है. Voice of Baceprot की मुख्य गायक मार्स्या हैं. Voice of Baceprot अंग्रेजी, इंडोनेशियाई और सुंडानी भाषा का मिश्रण गाता है, जो उनकी मूल भाषा है. वॉयस ऑफ बेसप्रोट का मतलब सुंडानीज़ में 'कष्टप्रद शोर' होता है. 
 
 
खास बात ये है कि हिजाबी हेवी मेटल बैंड वॉयस ऑफ़ बेसप्रोट (Voice of Baceprot) 28 जून को ब्रिटेन के प्रतिष्ठित ग्लैस्टनबरी महोत्सव (Glastonbury's Festival) में प्रदर्शन करने वाला पहला बेंड बनने जा रहा है जिसमें ये इंडोनेशियाई कलाकार शो करेंगें. जिसमें कोल्डप्ले, दुआ लिपा और सिंडी लॉपर जैसे कलाकारों के साथ इस प्रसिद्ध संगीत समारोह में प्रस्तुति देंगें.
 
बेंड की प्रमुख गायिका फ़िरदा "मार्स्या" कुर्निया
 
बेंड की प्रमुख गायिका फ़िरदा "मार्स्या" कुर्निया कहतीं हैं कि "हमें इस बात की परवाह है कि हमारे आस-पास क्या हो रहा है, इसलिए हम अपने अनुभव, दृश्य और सुनने के बारे में बहुत सारे गाने बनाते हैं. हम केवल यही चाहते हैं कि जिस दुनिया में हम रहते हैं, वह हमारे बाद की पीढ़ियों के लिए एक बेहतर जगह बने. हम निश्चित रूप से उत्साहित और गौरवान्वित महसूस करते हैं."
 
मार्स्या ने कहा कि "हम इस अवसर का उपयोग संगीत के माध्यम से इंडोनेशियाई संस्कृति को ऊपर उठाने के लिए भी करेंगे, जिसमें सुंडानी संगीत के टोनल तत्वों का उपयोग करना भी शामिल है."
 
 
हिजाबी हेवी मेटल बैंड वॉयस ऑफ़ बेसप्रोट की शुरुवात
 
आपको बता दें कि मार्स्या ने बैंड के अन्य सदस्यों - ड्रमर यूइस सिटी ऐसिया और बेसिस्ट विडी रहमावती - से एक इस्लामिक बोर्डिंग स्कूल में मुलाकात की और 2014 में समूह की स्थापना की. 
 
14 साल की उम्र में, लड़कियों ने पहली बार अपने इंस्ट्रूमेंट उठाए और सीखना शुरू किया. उन्होंने पहले कभी मेटल या रॉक गाने नहीं सुने थे, लेकिन जब उनके शिक्षक इरसा ने उन्हें अपना लैपटॉप दिया और उन्होंने रेड हॉट चिली पेपर्स जैसे बैंड के गानों से भरी प्लेलिस्ट सुनी. लड़कियों ने स्थानीय संगीत समारोहों में बजाना शुरू किया और अपने शो को फेसबुक पर अपलोड किया, जहाँ उन्होंने जल्द ही लोगों की दिलचस्पी आकर्षित करना शुरू कर दिया. उन्होंने गानों के कवर भी पोस्ट किए, जिन्हें लोगों ने बहुत पसंद किया. बैंड को पहले ही बहुत प्रशंसा मिल चुकी है. वे अब अपने गीत स्वयं लिखते हैं, लेकिन इरसा से मार्गदर्शन लेना जारी रखते हैं. 
 
हाल के वर्षों में, बैंड ने फ्रांस और नीदरलैंड जैसे यूरोपीय देशों में प्रदर्शन किया है. पिछले अगस्त में, बैंड ने संयुक्त राज्य अमेरिका में अपना पहला दौरा किया, जहाँ उसने नौ शहरों में प्रदर्शन किया. कैलिफोर्निया के ओकलैंड में, दर्शकों में मौजूद प्रशंसकों ने उन पर “अल्लाहु अकबर” चिल्लाया, जो अरबी वाक्यांश है जिसका अर्थ है “अल्लाह महान है.”
 
 
मुसलमानों और इस्लाम के बारे में रूढ़ियों को तोड़ रहा बेंड 
 
बैंड के सदस्य — मार्सिया; ड्रमर, यूइस सिती ऐस्याह, जिसे सिट्टी के नाम से जाना जाता है; और बास वादक विदी रहमावती - सभी का जन्म और पालन-पोषण गरूट में हुआ, जो पश्चिमी जावा प्रांत का एक रूढ़िवादी हिस्सा है.
 
उनके माता-पिता किसान हैं. जिस घर में मर्सिया बड़ी हुई, उसमें अभी भी पानी नहीं है और इंटरनेट भी खराब है. उनका बचपन कुरान पढ़ने, चावल के खेतों में खेलने और अपने माता-पिता के पसंदीदा संगीत, डांगडट - इंडोनेशियाई पॉप का एक स्वाद सुनने में बीता. 
 
फिर भी, समूह को आलोचकों का सामना करना पड़ा है. इंडोनेशिया, दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम बहुल राष्ट्र, एक धर्मशासित राज्य नहीं है और हमेशा अपनी धर्मनिरपेक्ष पहचान को संजोए रखता है, लेकिन हाल के वर्षों में, विशाल द्वीपसमूह के कुछ हिस्सों ने इस्लाम की अधिक रूढ़िवादी व्याख्या को अपनाया है - जो हिजाब पहने युवा महिलाओं द्वारा हेवी मेटल बजाने को अस्वीकार करता है. 
 
 
लिंग, धर्म और वर्ग की रूढ़ियों को तोड़ने वाले गीतों के साथ, वे इंडोनेशिया की कई युवा महिलाओं के लिए रोल मॉडल बन गई हैं.  
 
उनके गांव में कई लड़कियों पर बहुत कम उम्र में ही शादी करने का दबाव डाला जाता है, कुछ की तो 12 साल की उम्र में ही शादी कर दी जाती है. उन्होंने कहा, "अब हमें एहसास हुआ है कि हमारे लिए यह सौभाग्य की बात है कि बहुत से लोग हमारी बात सुनते हैं." "यह ऐसी चीज़ है जो हमारे गांव की सभी लड़कियों के पास नहीं हो सकती." 
 
अब इन लड़कियों का बेंड मुसलमानों और इस्लाम के बारे में रूढ़ियों को तोड़ रहा हैं और उनके बेंड को लोग काफी पसंद कर रहे हैं. लैंगिक असमानता से ले कर जलवायु परिवर्तन तक के गंभीर मुद्दों को संबोधित करने वाले गीतों के साथ, वे अपने संगीत के माध्यम से आने वाली पीढ़ियों के लिए दुनिया को बेहतर बनाने में मदद करने की उम्मीद करते हैं.
 
अब ये बेंड विदेशों में भी प्रशंसा का पात्र बन चूका है. रेड हॉट चिली पेपर्स के फ्ली और रेज अगेंस्ट द मशीन के टॉम मोरेलो जैसे लोगों ने इसकी प्रशंसा की है. 
 
 
वॉयस ऑफ़ बेसप्रोट के अंतरराष्ट्रीय शो 
 
मार्स्या ने कहा कि "हम सच्चाई के करीब दूसरे पक्ष को पेश करने की कोशिश करते हैं." बैंड को पहले ही रेड हॉट चिली पेपर्स के फ्ली और रेज अगेंस्ट द मशीन के टॉम मोरेलो से प्रशंसा मिल चुकी है, और 2021 और 2022 के यूरोप दौरे के दौरान ये काफी मशहूर हुआ.
 
सिती ने कहा "यह उम्मीद से परे था. हर बार जब हम कोई अंतरराष्ट्रीय दौरा करते हैं, तो मुझे डर लगता है कि कोई नहीं आएगा ... क्योंकि हम अभी इतने बड़े नहीं हैं." 
 
"लेकिन वहाँ कुछ बार प्रदर्शन करने के बाद, हमने देखा कि दर्शक कितने उत्साही थे. कुछ तो हमारे प्रदर्शन का इंतज़ार भी करते थे."
 
 
इंडोनेशियाई सरकार ने वॉयस ऑफ़ बेसप्रोट को सराहा 
 
तीनों की उपलब्धियों पर इंडोनेशियाई सरकार ने भी ध्यान दिया है, जो समूह की आगामी यूके यात्रा का समर्थन कर रही है.
 
यूके में इंडोनेशिया के राजदूत देसरा पेरकाया के मुताबिक "यह बेंड एक तरह की सॉफ्ट डिप्लोमेसी है. वॉयस ऑफ़ बेसप्रोट वास्तव में इंडोनेशिया के राजदूतों की भूमिका निभा रहा है और निश्चित रूप से, वे इंडोनेशिया को गौरवान्वित करने के मिशन पर हैं."