समीना सुमरा/ मुंबई
हमारे देश का इतिहास इस बात का गवाह है कि हमारे देश की कई महिलाओं ने शिक्षा के क्षेत्र में अपना विशेष योगदान दिया है. सावित्रीबाई फूले से लेकर लेकर फातिमा शेख तक कई ऐसी महान महिलाएं मौजूद है जिन्होंने हमारे देश की लाखों महिलाओं के लिए शिक्षा का रास्ता आसान किया और सभी महिलाओं को एजुकेशन पाने का अधिकार भी मिला.
हम आज आपको यहां पर मुंबई के दहानू इलाके की बीएमएस कॉलेज की प्रोफेसर समीना जाकिर शेख (Sameena Zakir Shaikh) से रूबरू करवाने जा रहे हैं. यह वह महान महिला है जिसने लाइफ में बहुत सारी चुनौतियों का सामना किया और हैंडीकैप होने के बावजूद भी कई लोगों के जीवन के दीप को रोशन किया.
समीना जाकिर शैख वह शख्सियत है जो खुद तो आगे बढ़ी ही लेकिन दूसरों को भी आगे बढ़ाया. तो चलिए आगे बढ़ते हैं और उनके साथ हुई टेलिफोनिक कन्वर्सेशन का कुछ अंश आपके सामने पेश करते हैं.
सवाल: क्या आप हमारे पाठकों के लिए अपना परिचय दे सकते हैं ?
सबसे पहले तो मैं “आवाज द वॉइस” का शुक्रिया अदा करना चाहती हूं कि उन्होंने मुझे अपने आप को एक्सप्रेस करने के लिए यह अपॉर्चुनिटी दी. इसके साथ ही में अपने पेरेंट्स का भी शुक्रिया अदा करना चाहती हैं क्योंकि आज उन्हीं के सपोर्ट के कारण में इस मकाम पर खड़ी हूं.
मैं दहानू के बीएमएस कॉलेज में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर कार्यरत हूं. अपने एजुकेशन के इस कार्यकाल में मैंने में 20 साल से भी ज्यादा समय से एक्टिव हूं. मैंने हर उम्र और हर समाज के बच्चों को पढ़ाया है. यहां तक कि प्ले ग्रुप से लेकर नए-नए entrepreneur बनने वाले लोगों को भी ट्रेनिंग दी है. यदि अगर में थोड़े शब्दों में अपना परिचय देना चाहू तो मैं यह कह सकती हूं कि मैं एक “नेशन बिल्डर” का काम करती हूं.
सवाल: आप अपनी यात्रा शुरू करने के लिए कहां से प्रेरित हुई?
समीना जाकिर शेख: बचपन से ही मुझे शिक्षक बनने का शौक था और सही मानो में शिक्षक बनने का मेरा सफर बचपन से ही शुरु हो चुका था. मेरी हमेशा से यही तमन्ना रही थी कि मेरे पास जो भी नॉलेज है मैं उसे दूसरों से बांटती रहूं. मेरी इसी जिगनासा ने मुझे शिक्षक बनने के लिए प्रेरित किया और मैं हमेशा से यही चाहती थी कि ने सभी के काम आउं.
दूसरी बात है मेरे पिताजी जिन्होंने मुझे हमेशा ही नहीं समझाया था कि हमारा जीवन ऐसा होना चाहिए कि जो दूसरों के काम आए. यही वजह थी कि मैंने लोगों में शिक्षा बांटना अपना लक्ष्य बना लिया.
सवाल: आपने किन चुनौतियों का सामना किया और आपने कैसे उन चुनौतियों का सामना किया?
समीना जाकिर शेख: मगर बात सुनो क्योंकि आए तो सबसे पहली बात तो यह है कि इनमें एक हैंडीकैप वुमन हूं. मैं जब तीसरी कक्षा में थी तब मुझे पोलियो का अटैक हुआ था और तब से ही मेरे पैर में थोड़ी सी प्रॉब्लम है.
इसके बावजूद भी मैं आम लड़कियों की तरह ही लाइफ जीती हूं. में नॉर्मल स्कूटी पर 40 किलोमीटर तक का सफर करके बच्चों को फ्री में पढ़ाने के लिए जाती रहती थी. मैं झुग्गियों बस्तियों और आदिवासी बच्चों को भी इंग्लिश सिखाने का प्रयास करती थी.
मैंने उन एरिया के बच्चों को इंग्लिश सिखाया है जहां पर अच्छे टीचर्स मिलना काफी मुश्किल होता है. मैंने अपने जीवन में बहुत सारी चुनौतियों का सामना किया है. मेरी शादी भी एक ऐसे लड़के से हुई थी जो कुछ हद तक मेंटली डिसएबल थे नॉट टोटली बट कुछ हद तक.
सवाल: आपने झुग्गी और बस्तियों के बच्चों की शिक्षा के लिए क्या काम किया है?
समीना जाकिर शेख: मैं झुग्गी और बस्तियों में जाकर वहां सभी बच्चों को किसी एक घर में इकट्ठा करके उन्हें पढ़ाती थी. मैंने अविकसित क्षेत्रों के बच्चों खासकर लड़कियों और महिलाओं को ट्यूशन देने के लिए हर मुमकिन प्रयास किया है. मेरी हमेशा से यही मंशा रही थी कि मैं झुग्गी और बस्तियों में रहने वाली महिलाएं और खास तौर पर लड़कियों और बच्चों को प्राथमिक शिक्षा दे पाऊं.
सवाल: अपने पेशे के बारे में कुछ बताएं और लोगों को इससे कैसे लाभ मिलता है.
समीना जाकिर शेख: अगर मैं अपने प्रोफेशन यानी पेशे के बारे में बताएं तो शिक्षक का पैसा है एक ऐसा पेशा है जिसे एक लफ्ज़ में बयां करना काफी मुश्किल है. शिक्षक का पैसा बहुत ही खूबसूरत है क्योंकि एक शिक्षक ही होता है जो अपने स्टूडेंट के फ्यूचर को संवारता है. एक टीचर का प्रोफेशन ऐसा होता है कि एक नदी में मानो कि पत्थर है. जैसे पत्थर नदी में पड़ा रहता है लेकिन ऊपर से पानी बहता ही रहता है ऐसे ही शिक्षक खुद एक जगह पर खड़ा रहता है लेकिन अपने ज्ञान रूपी नदी से वह स्टूडेंट को आगे बढ़ाता रहता है. मुझे बहुत ही खुशी है कि मैं एक शिक्षक हूं क्योंकि मैं ज्ञान का दीप जला कर लोगों के जीवन में उजाला करती हूं. सही मानो में कहूं तो टीचर एक वह शख्सियत है जो हमारी कंट्री को मजबूत बनाने का सबसे महत्वपूर्ण पिलर है.
सवाल: आप अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ को कैसे बैलेंस करती हैं?
समीना जाकिर शेख: इस सवाल का जवाब तो यही है कि जहां चाह वहां राह. पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ को बैलेंस करना मेरे लिए काफी कठिन होता है इसके बावजूद भी मेरा यही प्रयास होता है कि मैं दोनों में बैलेंस कर पाऊंगा और अपनी जिम्मेदारियों को सही तौर पर निभा पाऊं. वीक में संडे एक ऐसा दिन होता है जो मैं अपने परिवार के साथ ही बिताती हूं उसको संडे के दिन में अपने परिवार के लिए मौजूद रहती हूं.
सवाल: आपका सबसे बड़ा सपोर्ट सिस्टम कौन है?
समीना जाकिर शेख: अगर मैं अपने सपोर्ट सिस्टम की बात करूं तो मेरा सबसे पहला सपोर्ट सिस्टम मेरे पेरेंट्स है. क्योंकि उन्होंने ही मुझे पढ़ाया वह इस काबिल बनाया कि आज मैं दूसरों का फ्यूचर सवार्थी हूं. मेरे मम्मी पापा और मेरा तालुको उस समुदाय से हैं जहां पर लोगों को लड़कियों को पढ़ाना पसंद नहीं है.
लोगों की सोच यही रहती है कि आखिर लड़कियों को पढ़ाने की क्या जरूरत है. समुदाय के लोगों से लड़कर मेरे पेरेंट्स ने मुझे पढ़ाया लिखाया और इस मुकाम तक पहुंचाया. दूसरा सपोर्ट सिस्टम मेरा मेरे हस्बैंड है. दरअसल यह मेरी दूसरी शादी है.
अपने पहले पति से डिवोर्स लेने के बाद मैंने दूसरी शादी की थी लेकिन अल हमदुलिल्ला अल्लाह ताला का लाख-लाख शुक्रिया अदा करती हूं क्योंकि मेरे हस्बैंड का ही मेरे करियर में सबसे ज्यादा साथ और सहकार रहा है.
मेरे हस्बैंड वह इंसान है कि जब मुझे कभी कॉलेज से आने में देर हो जाती है तो मेरे हस्बैंड खाना बनाने से लेकर घर के सभी काम भी खुद अपने हाथ से कर लेते हैं. आपने अभी मुझसे सवाल किया था कि मैं अपनी प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ में बैलेंस कैसे कर लेती हूं. तो मेरा जवाब यही है कि मेरे हस्बैंड ही मेरे यह सपोर्ट सिस्टम है जो मुझे हर फील्ड में आगे बढ़ने और हर चुनौती से लड़ने के लिए एंकरेज करते हैं.
मेरा तीसरा सपोर्ट सिस्टम है मेरा बेटा जो मुझे अपने पहले हस्बैंड से है. आज मेरा बेटा माशाअल्लाह 18 साल का हो चुका है लेकिन जब पहले हस्बैंड से डिवोर्स लिया तब अपने बेटे के लिए मां और बाप दोनों की भूमिका मुझे ही निभानी थी इसलिए जिम्मेदारियों ने भी मुझे अपने लक्ष्य को हासिल करने में काफी मदद की थी.
सवाल: आपके फाउंडेशन “एस आर दल्वी” के बारे में कुछ बताएं
समीना जाकिर शेख: “एस आर दल्वी” फाउंडेशन से मेरा नाता काफी पुराना है. दरअसल मैंने एक ऑनलाइन वेबीनार अटेंड किया था और तभी से मैं इस फाउंडेशन से जुड़ी हुई हैं और शिक्षक तथा छात्रों के विकास के लिए काम करती हूं. हमारे फाउंडेशन का उद्देश्य है बच्चों के साथ ही टीचर्स के करियर को भी आगे बढ़ाना और टीचर्स को भी सपोर्ट करना.
एसआर दल्वी फाउंडेशन में मेरी भूमिका बतौर एडवाइजर की है. इस फाउंडेशन को गीता दल्वी में और उनके हस्बैंड राम दल्वी दोनों मिलकर चलाते हैं. मेरा यह फाउंडेशन सिर्फ बच्चों के लिए नहीं है बल्कि टीचर्स के लिए है क्योंकि आजकल ऐसे बहुत सारे फाउंडेशन है जो बच्चों के लिए काम करते हैं लेकिन टीचर्स का कोई फाउंडेशन नहीं था.
हमने यह स्लोगन एस्टाबलिशड किया है जैसे कि अगर किसी डॉक्टर के नाम के आगे “Dr” लगाया जाता है ऐसे ही एक शिक्षक के नाम के आगे “TR” लगाना चाहिए. क्योंकि टीचर थी वह लोग होते हैं जो हजारों लोगों को डॉक्टर वकील और इंजीनियर बनाने में योगदान देते हैं. इसलिए हमारे फाउंडेशन का मुख्य उद्देश्य देश के बच्चों के भविष्य को संवारने के साथ ही टीचर का भविष्य सवारना भी है.
सवाल: आप हमारी महिला पाठकों को क्या संदेश देना चाहती है?
समीना जाकिर शेख: देखिए मैं उन सभी महिलाओं को यही कहना चाहूंगा कि जिंदगी में कोई भी चीज़ नामुमकिन नहीं है. किंतु हमें हमारे जीवन में कुछ हासिल करने का लक्ष्य बनाना चाहिए और लोगों का विश्वास जीते हुए आगे बढ़ना चाहिए.
कोई भी महिला असाधारण नहीं होती है और किसी भी महिला की लाइफ सिर्फ घर की चारदीवारी तक सीमित नहीं होती है. आपके अंदर जो भी प्रतिभाएं छुपी हुई है उसे खुलकर बाहर लाओ अगर मैंने अपनी प्रतिभाओं को पहचान कर आगे बढ़ने का प्रयास नहीं किया होता तो मैं आज कुछ भी नहीं कर पाती.
देखिए मैं तो हैंडीकैप होने के बावजूद भी आगे आए अपना पैर से मजबूर होना अपनी जिंदगी को मजबूर करना नहीं बनाया और जिंदगी में कुछ कर दिखाया. इसलिए मैं आपसे यही कहना चाहूंगी कि आप अपनी प्रतिभा को दूसरों का जीवन संवारने में अपने समाज के बच्चों का जीवन संवारने में इस्तेमाल करें और अपना और साथ ही दूसरों का नाम भी रोशन करें.
सवाल: हमारे पाठक आपको कहां ढूंढ सकते हैं/ आप से कैसे संपर्क कर सकते हैं?
समीना जाकिर शेख: रीडर्स मुझसे व्हाट्सएप, फेसबुक या इंस्टाग्राम पर कांटेक्ट कर सकते हैं.
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सवाल: हमें अपनी सामाजिक सेवाओं के बारे में संक्षेप में बताएं जो आप अपने समुदाय के लिए करती हैं.